रांची: सीसीएल के स्वांग वाशरी में काम करनेवाले दैनिक मजदूरों के स्थान पर दूसरे लोगों को स्थायी कर दिया गया था. यह मामला प्रकाश में आने के बाद पूरे मामले की जांच चल रही है. कई लोगों को चाजर्शीट भी दी गयी है.
कंपनी ने पूरे मामले की जांच की, तो पता चला कि करीब 50 से ऐसे लोग हैं, जो 10 साल से कम उम्र से नौकरी कर रहे थे. कंपनी और प्रबंधन के बीच मध्यस्थ करनेवाली कंपनी ने ही आवदेकों के नाम की पुष्टि की थी. यह जानकारी सीसीएल ने सूचना अधिकार के तहत दी है. 124 कर्मियों के उम्र की जांच कंपनी ने की है.
कैसे की गयी गड़बड़ी
प्रबंधन और यूनियन को नौकरी का आवेदन देनेवालों के कागजातों की जांच की जिम्मेदारी दी गयी थी. जांच के दौरान यूनियन ने जो उम्र दिया और ठेका में काम करनेवाली कंपनी ने जो उम्र दिया था, उसमें काफी अंतर था. कंपनी ने जिसका उम्र 43 साल बताया था, उसे यूनियन ने 39 साल बताया था. जब ठेका में मजदूरी शुरू करने और मेडिकल जांच के आधार पर उम्र का आंकलन कराया गया, तो पता चला कि छह-सात साल के उम्र से कई लोग शामिल हो गये थे.
सुप्रीम कोर्ट से जीतनेवालों को भी नौकरी नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने सीसीएल को दैनिक मजदूर रामश्रृंगार सिंह को नौकरी देने का निर्देश दिया है. निर्देश के बाद भी इसे नौकरी नहीं दिया गया है. इनका मेडिकल जांच कराया गया. द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के महासचिव सनत मुखर्जी ने बताया कि जांच में उम्र को ओवर एज बताते हुए नौकरी नहीं दी गयी. कई अन्य मामलों में कंपनी ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट नहीं किया. लेकिन कथारा, बेरमो और स्वांग के इस मामले में आउट ऑफ कोर्ट सेटेलमेंट किया गया. बिना मेडिकल बोर्ड की जांच करायी गयी. नौकरी देना प्रबंधन और यूनियन की साजिश का नतीजा है.
जेबीसीसीआइ के एक सदस्य हैं यूनियन में: जिस यूनियन के साथ प्रबंधन का समझौता हुआ था, उसमें जेबीसीसीआइ के एक सदस्य भी है. इसी यूनियन को कंपनी ने सदस्यों को पहचान के लिए प्राधिकृत किया था.