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झारखंड : गुमला रेप एंड मर्डर केस का तीन महीने में आया फैसला, दरिंदे को कोर्ट ने दी फांसी की सजा

दुर्जय/अंकित गुमला : झारखंड की राजधानी रांची से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित गुमला की अदालत ने एक दुष्कर्मी को फांसी की सजा सुनायी है. कोर्ट ने महज तीन महीने के अंदर मामले की सुनवाई पूरी की और बुधवार को अपना फैसला भी सुना दिया. कोर्ट से सजा-ए-मौत मिलने के बाद आरोपी ने कहा कि […]

दुर्जय/अंकित

गुमला : झारखंड की राजधानी रांची से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित गुमला की अदालत ने एक दुष्कर्मी को फांसी की सजा सुनायी है. कोर्ट ने महज तीन महीने के अंदर मामले की सुनवाई पूरी की और बुधवार को अपना फैसला भी सुना दिया. कोर्ट से सजा-ए-मौत मिलने के बाद आरोपी ने कहा कि वह इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देगा.

गुमला के व्यवहार न्यायालय के एडीजे-वन लोलार्क दुबे की अदालत ने बुधवार को तीन साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में पुसो थाना (सिसई प्रखंड) निवासी बंधन उरांव को फांसी की सजा सुनायी. आरोपी की उम्र 20 साल है. नवंबर, 2018 में उसके खिलाफ चार्जशीट दायर की गयी थी.

गुमला जिला के इतिहास में यह पहला केस है, जब कोर्ट ने इतनी त्वरित सुनवाई की और फैसला सुनाया. बच्ची का बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या की यह वारदात गुमला जिला के पुसो थाना अंतर्गत कोल्हूटोली गांव में हुई थी. 23 सितंबर, 2018 को.

पीड़िता अपने घर के बाहर कुछ बच्चियों के साथ खेल रही थी. तभी आरोपी उसे अपने घर के अंदर ले गया और उससे दुष्कर्म किया. बच्ची चिल्लाने लगी, तो बंधन ने गला घोंटकर बच्ची को मार डाला. उधर, काफी देर तक बच्ची घर नहीं लौटी, तो परिजन परेशान हो उठे. उसकी खोजबीन करने लगे.

किसी ने बताया कि उनकी बच्ची को बंधन ले गया है. वह उसके साथ खेल रहा है. कुछ देर के बाद बंधन उरांव पीड़िता के घर पहुंचा और कहने लगा कि आपकी बेटी का शरीर ठंडा हो गया है. वह कुछ बोल नहीं रही है. परिजन बंधन के घर पहुंचे. उन्होंने देखा कि बच्ची बंधन के घर की चौकी पर मृत पड़ी है. इसके बाद आरोपी वहां से फरार हो गया.

घटना के कुछ दिन के अंदर ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. 24 सितंबर को बच्ची के परिजनों ने बंधन उरांव के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी. इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से अपर लोग अभियोजक चंपा कुमारी व बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता राघव सिंह ने पैरवी की. अधिवक्ता ने कहा कि फांसी की सजा रोकने के लिए अब हाइकोर्ट जायेंगे.

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