झारखंड: विधायकों का वेतन फिर बढ़ेगा

रांची: झारखंड में एक बार फिर विधायकों का वेतन बढ़ सकता है. वेतन वृद्धि को लेकर पक्ष-विपक्ष के अधिकतर विधायक सहमत हैं. सरकार को इससे संबंधित प्रस्ताव विधानसभा से भेजा जायेगा. सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता के साथ हुई विधायकों की बैठक में इसकी सहमति बनी. बैठक में विधायकों ने सर्वसम्मति से निर्णय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 8, 2014 7:48 AM

रांची: झारखंड में एक बार फिर विधायकों का वेतन बढ़ सकता है. वेतन वृद्धि को लेकर पक्ष-विपक्ष के अधिकतर विधायक सहमत हैं. सरकार को इससे संबंधित प्रस्ताव विधानसभा से भेजा जायेगा. सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता के साथ हुई विधायकों की बैठक में इसकी सहमति बनी. बैठक में विधायकों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि बिहार के समकक्ष वेतन करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाये. स्पीकर ने कहा : पिछले दिनों मैं बिहार गया था. वहां विधायकों को मिल रहे वेतन और सुविधाओं को देखा. बिहार ने सुविधाओं में बढ़ोतरी की है.झारखंड में विधायकों को बिहार की तुलना में 70 हजार रुपये कम मिल रहे हैं.

सामाजिक दायित्व बढ़े

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा : विधायकों के सामाजिक दायित्व बढ़े हैं. कई तरह के खर्च जुट गये हैं. पूर्व विधायकों को पेंशन भी काफी कम मिल रही है. कई पूर्व विधायक गांव-देहात में बदतर जिंदगी गुजार रहे हैं. उन्होंने कहा : वेतन बढ़ाना राज्य सरकार का काम है. विधायकों में सहमति बनी है कि इससे संबंधित प्रस्ताव सरकार को भेजा जाये.

मुंडा नहीं आये बैठक में

प्रतिपक्ष के नेता अजरुन मुंडा स्पीकर की ओर से बुलायी गयी बैठक में नहीं पहुंचे. उन्होंने स्पीकर को पत्र भेज कर कहा था कि बैठक का एजेंडा तय नहीं है. इसमें सभी विधायकों को बुलाया गया है. विधायक दल की कोई बैठक नहीं है. इससे अच्छा होता कि सत्र ही बुला लिया जाता.

बैठक के बाद पहुंचे प्रदीप यादव

माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि बैठक का एजेंडा तय नहीं था, इसलिए नहीं गया. वहीं झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव बैठक खत्म होने के बाद स्पीकर के कक्ष में पहुंचे.

विधानसभा का कार्यकाल बहुत नहीं बचा है, ऐसे में इस तरह के नीतिगत फैसले विधानसभा को नहीं लेने चाहिए. आनेवाली विधानसभा फैसला लेती, तो बेहतर होता. बिहार का हवाला देकर वेतन बढ़ोतरी की जा रही है, लेकिन दूसरे राज्यों में जनता को बेहतर सुविधा मिल रही है, उसके लिए यह तत्परता क्यों नहीं दिखती है. बिहार में शिक्षकों का वेतन ज्यादा है, तो यहां क्यों नहीं मिलता. कई राज्यों में न्यूनतम मजदूरी ज्यादा है. ओडिशा में हाथी द्वारा मकान क्षतिग्रस्त किये जाने पर इंदिरा आवास मिलता है. ऐसी सुविधाओं को लिए तत्परता नहीं दिखती, यह दु:खद स्थिति है. विधायकों का तनख्वाह बढ़ने से आम लोगों का गुस्सा लाजमी है.

– विनोद सिंह, माले विधायक

राज्य की स्थिति वैसी नहीं है कि विधायकों का वेतन बढ़े. बिहार की क्या वित्तीय स्थिति है, मुङो जानकारी नहीं है. लेकिन झारखंड में आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है. 20 प्रतिशत लोगों को दो जून का भोजन नहीं मिलता है. सरकार की प्राथमिकता में ये चीजें होनी चाहिए. विधायकों का वेतन बढ़े, लेकिन जतना के हितों का पहले ध्यान देना होगा. बैठक में नहीं पहुंच पाये. यदि बैठक में होते, तो वह इसका विरोध करते.

– प्रदीप यादव, झाविमो विधायक

बैठक में थे : मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह, अन्नपूर्णा देवी, केएन त्रिपाठी, योगेंद्र साव, लोबिन हेंब्रम, पूर्व स्पीकर सीपी सिंह, भाजपा विधायक रघुवर दास, बड़कुंवर गगराई, गुरुचरण नायक, अमित यादव, उमाशंकर अकेला, हरेकृष्ण सिंह, कांग्रेस विधायक डॉ सरफराज अहमद, बन्ना गुप्ता, झामुमो से मथुरा प्रसाद महतो, अकील अख्तर, जदयू के राजा पीटर, सुधा चौधरी, मासस से अरूप चटर्जी, झाविमो से मिस्त्री सोरेन, राजद के संजय प्रसाद यादव व संजय सिंह यादव.

Next Article

Exit mobile version