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क्या आप जानते हैं सुल्तानगंज से जल भरकर ‘बाबा धाम’ जाने की परंपरा किसने शुरू की थी?

देश भर में कुल द्वादश यानी की 12 ज्योतिर्लिंग हैं, इनका हिंदू धर्म में खास महत्व है. ऐसी मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव जहां-जहां प्रकट हुए वहां-वहां शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है. इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है वैद्यनाथ धाम, जो झारखंड के देवघर जिले में स्थित है, इसे […]

देश भर में कुल द्वादश यानी की 12 ज्योतिर्लिंग हैं, इनका हिंदू धर्म में खास महत्व है. ऐसी मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव जहां-जहां प्रकट हुए वहां-वहां शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है. इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है वैद्यनाथ धाम, जो झारखंड के देवघर जिले में स्थित है, इसे बाबा धाम के नाम से भी जाना जाता है. इस ज्योतिर्लिंग का खास महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहां शक्तिपीठ भी है.

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भगवान राम ने सुल्तानगंज से भरा था जल

देवघर में बाबा वैद्यनाथ को जो जल अर्पित किया जाता है, उसे शिव भक्त भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में बहने वाली उत्तर वाहिनी गंगा से भरकर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा वैद्यनाथ को अर्पित करते हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. भगवान वैद्यनाथ की पूजा विशेषकर रोगमुक्ति और कामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले भगवान श्रीराम ने सुल्तानगंज से जलभरकर देवघर तक की यात्रा की थी, इसलिए यह परंपरा आज भी विद्यमान है.

बाबा धाम में त्रिशूल नहीं पंचशूल

बाबा धाम की खासियत यह है कि यहां मंदिर के शीर्ष पर त्रिशूल नहीं बल्कि पंचशूल लगा हुआ है. इस पंचशूल को सुरक्षा कवज की संज्ञा दी जाती है. ऐसी मान्यता है कि यहां आने से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं. इस पंचशूल को शिवरात्रि के दिन उतारा जाता है और उसकी विशेष पूजा होती है.

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