फैसला लेने को स्वतंत्र है ऊर्जा विकास निगम
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने बिजली फ्रेंचाइजी रद्द करने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद कहा है कि राज्य सरकार का आदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के लिए बाध्यकारी नहीं है. सरकार निगम को निर्णय लेने के लिए प्रभावित नहीं कर सकती.
निर्णय लेने में निगम स्वतंत्र है. जस्टिस आरआर प्रसाद की अदालत ने याचिकाकर्ता रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की ओर से दायर हस्तक्षेप याचिका पर 18 जुलाई को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
मूल याचिका पर सुनवाई बाकी : रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के अधिवक्ता आनंद सेन ने बताया कि हाइकोर्ट के फैसले से कंपनी को अंतरिम राहत मिल गयी है.
राज्य सरकार ने बिजली फ्रेंचाइजी करार रद्द करने के लिए तीन जुलाई को झारखंड राज्य ऊर्जा विकास निगम को आदेश दिया था. राज्य सरकार को करार रद्द करने का आदेश देने का अधिकार नहीं है. हालांकि यह अंतरिम राहत है. मूल याचिका पर सुनवाई होनी है. मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी.
बिजली फ्रेंचाइजी करार रद्द करने का मामला
फ्रेंचाइजी पानेवाली कंपनियों को अंतरिम राहत
क्या था याचिका में : प्रार्थी रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की ओर से याचिका दायर कर सरकार के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था. प्रार्थी कोलकाता इलेक्ट्रिक सप्लाई (सीइएससी) कंपनी की अनुषंगी इकाई है. इसे रांची में बिजली फ्रेंचाइजी का अधिकार मिला हुआ है. वहीं टाटा पावर लिमिटेड को जमशेदपुर में बिजली फ्रेंचाइजी दी गयी है.