हर दिन हो रही हजारों पशुओं की तस्करी
संताल परगना के विभिन्न इलाकों से मवेशी तस्करी पर प्रशासन खामोश अजय झा/आनंद देवघर : संताल परगना के विभिन्न इलाकों से प्रतिदिन हजारों मवेशियों की तस्करी होती है. लेकिन इस पर कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती. ऐसा नहीं कि यह चोरी छिपे होती है. दुमका से होकर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रकें मवेशियों से लदे गुजरते […]
संताल परगना के विभिन्न इलाकों से मवेशी तस्करी पर प्रशासन खामोश
अजय झा/आनंद
देवघर : संताल परगना के विभिन्न इलाकों से प्रतिदिन हजारों मवेशियों की तस्करी होती है. लेकिन इस पर कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती. ऐसा नहीं कि यह चोरी छिपे होती है. दुमका से होकर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रकें मवेशियों से लदे गुजरते हैं.लेकिन शायद इस पर किसी सरकारी मुलाजिमों की नजर नहीं पड़ती. इन मवेशियों को बिहार व पश्चिमबंगाल के विभिन्न रास्तों बंगलादेश पहुंचाया जाता है. विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इन मवेशियों को किसी पारंपरिक उपयोग में नहीं बल्कि इन्हें मार कर इसके चमड़े व मांस को गैर कानूनी रूप से उपयोग में लाया जाता है.
प्रशासन भी इस मामले से अनभिज्ञ नहीं, लेकिन इस पर कार्रवाई के बजाय कुछ विशेष तबके के लोग इसे बढ़ावा दे रहे हैं. इलाके के विभिन्न हाटों से पशुओं को बड़े आसानी से एकत्रित कर माफिया इन्हें दूसरे देश को भेज देते हैं.
माफियाओं की रहती है सेटिंग
मवेशी लदे वाहनों को इलाके से पार कराने के लिए जगह जगह माफियाओं की जबरदस्त सेटिंग होती है. एक ट्रक को पार कराने के एवज में पुलिस व सफेद पोशों को बंधी बंधायी रकम दी जाती है. यदि नहीं दी जाती है तो पुलिस व सफेदपोशों की नजर इस पर क्यों नहीं पड़ती एक बड़ा सवाल है.
राजस्व की भी होती है चोरी
पशुओं की खरीद बिक्री में राजस्व की भी चोरी की जाती है. कई सफेदपोश लोग भी इस धंधे में देर रात ट्रकों को रोककर 200 से लेकर 500 रुपये ट्रक के हिसाब से वसूलते हैं. पैदल पशुओं को लेकर जाने वालों से भी कई स्थानों पर वसूली होती है. पूरा नेटवर्क इसमें काम करता है और राजस्व दिये वगैर भी आसानी से पशुओं को एक राज्य से दूसरे राज्य तक पहुंचा दिया जाता है.
आसपास के जिलों से भी लाये जाते हैं मवेशी
आसपास के ईलाकों के अलावा बिहार के भी कई जिलों से व्यापारी मवेशियों को खरीदकर लाते हैं. एक-एक ट्रक में 30-32 मवेशियों को लादकर ले जाया जाता है. दुमका शहर से बाहर रामपुर में भी इसी तरह ग्रामीण हाट से खरीदकर लाये गये पशुओं को एकत्रित किया जाता है और फिर ट्रकों में लादकर ले जाया जाता है.
एक-दो बार पदाधिकारियों ने पशु तस्करी के मामले में कार्रवाई भी की, तो उस मामले में प्रशासन ही बाद में प्रशासन ने ही अपने कदम पीछे कर लिया. रामगढ़ में पशुओं को जब्त किया गया, लेकिन रखने की व्यवस्था की बात कहते हुए उन पशुओं को ले जाने दे दिया गया.
कमराडोल पशु तस्करी के लिए मशहूर
दो होटलों में माफियाओं को शरण
देवघर : पोड़ैयाहाट थाना क्षेत्र का कमराडोल पशु तस्करी के मामले में काफी मशहूर है. कमराडोल के आस पास के दो लाइन होटल इन पशु तस्करों की पनाह स्थल हैं. इन होटलों पर बड़ी संख्या में मवेशियों से लदे ट्रक हमेशा मौजूद रहते हैं. पुलिस भी यहां पहुंचती है लेकिन माफियाओं द्वारा बंधी बंधायी रकम देकर उन्हें खुश कर दिया जाता है. इन दोनों होटलों के पीछे बड़ी संख्या में मवेशियों को जमा किया जाता है. ये मवेशी पास के हाट गम्हरिया, हंसडीहा, महराना हटिया, गोड्डा से लाकर जमा किये जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इन होटलों से रोजाना करीब पांच हजारा मवेशियों को तस्करों के हाथों बेच दिया जाता है. यहां से ये ट्रकें सीधे बिहार के रास्ते ठिकाने लगा दिया जाता है. ऐसा नहीं कि पुलिस कार्रवाई नहीं करती लेकिन उसे खानापूर्ति ही कहा जाय. कुछ दिन पहले पोड़ैयाहाट थाना पुलिस द्वारा कुछ ट्रकों को पकड़ा गया था. लेकिन फिर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इस जब्ती के बाद ही थानेदार बदल गये. उम्मीद थी कि ऐसे तस्करों पर कार्रवाई होगी लेकिन नहीं हुई. जबकि आरक्षी अधीक्षक का कहना है कि मामले पर ध्यान रखा जा रहा है.