19.50 लाख रूपये गबन के आरोप में असिस्टेंट कमांडेंट गिरफ्तार

रांची/ नगड़ी : सीआरपीएफ के आइजी संजय आनंद लाठकर के फर्जी हस्ताक्षर के जरिये एसएस फंड के 19.50 लाख रुपये गबन करने के आरोप में गिरफ्तार सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट संतोष कुमार को नगड़ी पुलिस ने शनिवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. जानकारी के मुताबिक संतोष एसएस फंड के खाते से रुपये सिपाही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 22, 2019 12:50 AM

रांची/ नगड़ी : सीआरपीएफ के आइजी संजय आनंद लाठकर के फर्जी हस्ताक्षर के जरिये एसएस फंड के 19.50 लाख रुपये गबन करने के आरोप में गिरफ्तार सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट संतोष कुमार को नगड़ी पुलिस ने शनिवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.

जानकारी के मुताबिक संतोष एसएस फंड के खाते से रुपये सिपाही के खाते में ट्रांसफर कर देता था़ इसके बाद वह सिपाही के जरिये रुपये की निकासी करवाता था़ मामले में सीआरपीएफ के अन्य कर्मियों की संलिप्तता के बिंदु पर भी पुलिस जांच कर रही है़ जांच में किसी अन्य कर्मी के दोषी पाये जाने पर पुलिस कार्रवाई कर सकती है.
गौरतलब है कि संतोष पूर्व में सीआरपीएफ आइजी के निजी सचिव रह चुके है अौर वर्तमान में असम के जोराहाट में पदस्थापित था. पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए सेक्टर दो स्थित आवास से हिरासत में लिया था. पुलिस ने उसके आवास की तलाशी के लिए शुक्रवार को कोर्ट से सर्च वारंट भी लिया था.
हालांकि तलाशी के दौरान पुलिस को उसके घर से रुपये तो नहीं मिले, लेकिन एक लैपटॉप जरूर जब्त किया है. तकनीकी एक्सपर्ट के सहयोग से पुलिस उसके लैपटॉप की जांच कर सकती है. सूत्रों के अनुसार उसने आरंभिक पूछताछ में रुपये निकालने की बात को स्वीकार कर लिया है. फिलहाल, पैसा उसके बैंक खाते में है या कहीं और इस बिंदु पर जांच के लिए उसके खाते की जांच की जायेगी.
वर्तमान सचिव ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी
उल्लेखनीय है कि सीआरपीएफ आइजी के वर्तमान सचिव रमेश कुमार जेना ने 19 सितंबर को मामले में संतोष कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी. जिसमें अवैध तरीके से और फर्जी हस्ताक्षर कर पैसे की निकासी करने का आरोप था.
प्राथमिकी में यह भी आरोप है कि आइजी के नाम से चेक बुक में फर्जी हस्ताक्षर किया हुआ था और पैसे भी निकाले गये हैं, जिसका वर्तमान में कोई हिसाब नहीं मिल रहा. साथ ही विभाग के गोपनीय संदेश के साथ भी छेड़छाड़ की गयी है. केस दर्ज होने के बाद मामले की जानकारी मिलने पर सीनियर पुलिस अधिकारियों ने तत्काल मामले में कार्रवाई करने का निर्णय लिया था.

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