झारखंड में ट्रैफिकिंग बड़ी समस्या: मंत्री केएन त्रिपाठी

रांची: झारखंड का नाम अब महिलाओं और युवतियों के मानव व्यापार को लेकर ज्यादा प्रचलित होने लगा है. हालांकि सरकार की ओर से इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई करने के प्रयास किये जा रहे हैं. यह बातें बुधवार को श्रम मंत्री केएन त्रिपाठी ने वर्क इन फ्रीडम कार्यक्रम की रांची में लांचिंग के अवसर पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2014 1:09 AM

रांची: झारखंड का नाम अब महिलाओं और युवतियों के मानव व्यापार को लेकर ज्यादा प्रचलित होने लगा है. हालांकि सरकार की ओर से इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई करने के प्रयास किये जा रहे हैं. यह बातें बुधवार को श्रम मंत्री केएन त्रिपाठी ने वर्क इन फ्रीडम कार्यक्रम की रांची में लांचिंग के अवसर पर कही.

उन्होंने कहा कि दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में बेहद कम पैसे पर राज्य की युवतियां व महिलाएं घरेलू नौकरानी के रूप में काम कर रही हैं. यही हाल बाल श्रमिकों का भी है. लगभग 80 हजार महिलाएं झारखंड से प्रत्येक वर्ष दूसरे राज्यों में पलायन करती हैं.

वर्क इन फ्रीडम कार्यक्रम के तहत महिलाओं के पलायन, ट्रैफिकिंग की घटनाओं को रोकने का प्रयास किया जायेगा. श्रम विभाग के विशेष सचिव केके सिन्हा ने कहा कि सरकार यह प्रयास कर रही है कि स्थानीय स्तर पर ट्रैफिकिंग को रोका जाये. श्रमायुक्त मनीष रंजन ने कहा कि अखबारों के माध्यम से पता चला है कि वामदेव ने झारखंड की लड़कियों को बाहर भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की निदेशक टीने स्टेयरमोस ने कहा कि यह खुशी की बात है कि झारखंड में वर्क इन फ्रीडम पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष महुआ माजी और बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा ने भी राज्य में ट्रैफिकिंग एवं पलायन पर अपने-अपने विचार रखे.

Next Article

Exit mobile version