महिला नक्‍सली ने किया सरेंडर, कुंदन पाहन पर लगाया यौन शोषण का आरोप

रांची: कुंदन पाहन के दस्ते में रही गरुवरी कुमारी (15 वर्ष) ने डीआइजी प्रवीण कुमार के सामने गुरुवार को सरेंडर कर दिया. डीआइजी ने उसे सरेंडर पॉलिसी के तहत 50 हजार रुपये दिये. वहीं उसे मीडिया के समक्ष पेश किया. गरुवरी ने पत्रकारों से बताया कि वह किशन दा के लिए खाना बनाने व भार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2014 2:51 AM

रांची: कुंदन पाहन के दस्ते में रही गरुवरी कुमारी (15 वर्ष) ने डीआइजी प्रवीण कुमार के सामने गुरुवार को सरेंडर कर दिया. डीआइजी ने उसे सरेंडर पॉलिसी के तहत 50 हजार रुपये दिये. वहीं उसे मीडिया के समक्ष पेश किया.

गरुवरी ने पत्रकारों से बताया कि वह किशन दा के लिए खाना बनाने व भार वाहक का काम करती थी. जब वह कुंदन पाहन के दस्ते में आयी, तो अड़की कैंप में कुंदन उसका यौन शोषण करता था. उसने धमकी भी दी थी कि यौन शोषण की बात किसी से कहने पर वह उसकी मां और भाई की हत्या कर देगा.

गरुवरी ने इसकी जानकारी प्रेमी गुलशन को दी, तब उसने इसकी शिकायत अनल जी से की. इस मामले को लेकर एक मीटिंग में कुंदन पर दबाव बनाया गया, तो कुंदन पाहन अपने सहयोगी प्रमीला, निक्की, सुनीता, अजरुन व चंदन के साथ वहां से भाग गया. गरुवरी ने कहा, इस घटना के बाद अपनी हत्या हो जाने की भय से वह नवंबर-2013 को मौका पाकर दस्ता से भाग निकली. गरुवर नामकुम की रहनेवाली है. डीआइजी ने कहा कि पुलिस उसे रिमांड होम भेजेगी. उसके पढ़ने-लिखने की व्यवस्था करेगी. संवाददाता सम्मेलन में एसएसपी प्रभात कुमार, ग्रामीण एसपी एसके झा, एएसपी अभियान हर्षपाल सिंह सहित कई पुलिस पदाधिकारी उपस्थित थे.

11 वर्ष की उम्र दस्ता में शामिल हुई थी
गरुवरी के अनुसार 2009 में वह भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हुई थी. वह महिला समिति की सदस्य बनी, फिर पोड़ाहाट में प्रसादजी के संपर्क में आयी. वर्ष 2010 में तमाड़ में पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी. उस वक्त वह वहां से भाग कर मइलपीड़ी व गितिलबेड़ा के जंगलवाले कैंप में कुछ दिन रही. वहां से पोड़ाहाट होते हुए सारंडा गुंडीजोड़ा (पश्चिमी सिंहभूम) कैंप में अनमोल व प्रशांत के नेतृत्व में वर्ष 2012 तक रही. वहां पिंकी उर्फ सुजाता, सुलेखा, अनिक व शकुंतला के साथ किशन दा के लिए खाना बनाने व भारवाहक का काम करती थी. वर्ष 2013 में कुंदन पाहन व उनके सहयोगियों के साथ बीरबांकी से होते हुए तनसुइया, चतनीबेड़ा कैंप में रही.

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