दो निलंबित अफसरों ने हटवाया सोन को?

भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की फाइल पड़ी है मंत्री के पास रांची : हाल ही में जब कमल किशोर सोन को सहकारिता विभाग के सचिव पद से हटाया गया तो यही चर्चा थी कि उन्होंने सहकारिता प्रसार पदाधिकारियों के बड़े पैमाने पर हुए तबादलों को रोकने का मंत्री का आदेश नहीं माना था. इसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2014 5:47 AM
भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की फाइल पड़ी है मंत्री के पास
रांची : हाल ही में जब कमल किशोर सोन को सहकारिता विभाग के सचिव पद से हटाया गया तो यही चर्चा थी कि उन्होंने सहकारिता प्रसार पदाधिकारियों के बड़े पैमाने पर हुए तबादलों को रोकने का मंत्री का आदेश नहीं माना था. इसी कारण उन्हें हटा दिया गया. सच कुछ और ही है. अंदर की खबर यह है कि केके सोन को हटाने के पीछे इसी विभाग के दो ताकतवर अधिकारी रामोद नारायण झा (अभी निलंबित) और चंद्रेश्वर कांपर (निलंबित) का हाथ है. इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं अ़ौर इनके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज है.
रामोद नारायण झा जब वेजफेड के प्रबंध निदेशक अ़ौर धनबाद में बैंक के प्रबंध निदेशक थे, उन पर करोड़ों रुपये के गबन का आरोप लगा. श्रीमती राजबाला वर्मा उनके खिलाफ गबन और वित्तीय अनियमितता की जांच कर रही है. रामोद नारायण झा की सरकारी सेवा से बरखास्तगी के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री स्तर से अनुमोदन मिल चुका है. खबर यह है कि जब इन दोनों अधिकारियों (रामोद नारायण झा और चंद्रेश्वर कांपर) को लग गया कि उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केके सोन अड़े हुए हैं, तो उन्होंने सहकारिता मंत्री हाजी हुसैन अंसारी पर केके सोन को हटाने के लिए दबाव बनाया. उन्हें हटाने में वे सफल भी हो गये. ये दोनों अधिकारी जानते हैं कि राजबाला वर्मा पर दबाव बना कर जांच को प्रभावित कराना असंभव है, इसलिए उन्होंने मंत्री पर दबाव बनाकर केके सोन को जांच पदाधिकारी बदलने के लिए पीत पत्र भी लिखवाया. जब इस पीत पत्र का भी केके सोन पर कोई असर नहीं पड़ा तो उन्हें हटाने में ये दोनों अफसर लग गये.
सोन को नरमी बरतने को कहा गया था!
खबर है कि चंद्रेश्वर कांपर और अन्य कुछ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार में लिप्त रहने का आरोप है और इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की फाइल मंत्री के पास चार माह से पड़ी है. चंद्रेश्वर कांपर को भी सेवा से बरखास्त करने के लिए विभाग द्वारा प्रस्ताव दिया गया है. मंत्री के पास जो फाइल दबी पड़ी हैं, उसमें एक फाइल है एक अधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देना. संचिका में उस पदाधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की अनुशंसा की गयी है, लेकिन उस फाइल को दाब कर रखा गया है. खबर तो यह भी है कि मंत्री ने पूर्व सचिव केके सोन से इन अधिकारियों के प्रति नरमी बरतने का भी आग्रह किया था.
लेकिन श्री सोन नहीं माने. श्री सोन के स्थान पर श्री अरुण कुमार सिंह को सहकारिता विभाग का नया सचिव बनाया गया है. पिछली बार अरुण कुमार सिंह को सहकारिता सचिव के पद से हटाने के लिए मंत्री हाजी हुसैन अंसारी ने ही दबाव बनाया था. कैबिनेट की बैठक में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा से स्पष्ट कहा था कि अगर अरुण सिंह को आज ही नहीं हटाया गया तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. उस वक्त अरुण सिंह ने पदाधिकारियों के स्थानांतरण पदस्थापन में मंत्री की बात नहीं मानी थी.

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