Loading election data...

माओवादी-आदिवासी का भेद समझे पुलिस: राजनाथ सिंह

रांची : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़ दें, तो केंद्र उनसे बातचीत करने को तैयार है. केंद्र हिंसा का मार्ग अपनाना नहीं चाहता है. साथ ही दूसरों को हिंसा करने की इजाजत भी नहीं दे सकता. गृह मंत्रालय माओवादियों की चुनौती स्वीकार करता है. राज्य सरकार को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2014 5:23 PM
2014 9$largeimg123 Sep 2014 172736440gallery
माओवादी-आदिवासी का भेद समझे पुलिस: राजनाथ सिंह 8
माओवादी-आदिवासी का भेद समझे पुलिस: राजनाथ सिंह 9
माओवादी-आदिवासी का भेद समझे पुलिस: राजनाथ सिंह 10
माओवादी-आदिवासी का भेद समझे पुलिस: राजनाथ सिंह 11
माओवादी-आदिवासी का भेद समझे पुलिस: राजनाथ सिंह 12
माओवादी-आदिवासी का भेद समझे पुलिस: राजनाथ सिंह 13
माओवादी-आदिवासी का भेद समझे पुलिस: राजनाथ सिंह 14

रांची : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़ दें, तो केंद्र उनसे बातचीत करने को तैयार है. केंद्र हिंसा का मार्ग अपनाना नहीं चाहता है. साथ ही दूसरों को हिंसा करने की इजाजत भी नहीं दे सकता. गृह मंत्रालय माओवादियों की चुनौती स्वीकार करता है. राज्य सरकार को केंद्र से पूरा सहयोग मिलेगा. माओवादियों से निबटने के लिए अभी सेंट्रल फोर्स है.

राज्य सरकार को जितनी फोर्स की जरूरत होगी, दी जायेगी. माओवादी से अपील है कि वे लोकतंत्र में आस्था जतायें और देश निर्माण में योगदान करें. श्री सिंह ने कहा कि हमने पुलिस को निर्देश दिया है कि वे माओवादी और आदिवासी के भेद को समझें. स्थानीय लोगों के साथ अच्छे रिश्ते बनायें. सारंडा में हमारी फोर्स इसे बखूबी निभा रही है. जवान जनता के साथ मिल कर काम कर रहे हैं. माओवादी एक समय में सारंडा को लिबरेटेड जोन मानते थे, आज स्थिति बदल गयी है. श्री सिंह मंगलवार को राजभवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.

* हिंसा की जगह नहीं : गृह मंत्री ने कहा : तानाशाही होती है, हिंसा के साथ सत्ता परिवर्तन होता है. लेकिन यहां लोकतंत्र है. सत्ता परिवर्तन के लिए हिंसा की कोई जगह नहीं है. अहिंसा ही सशक्त और ताकतवर औजार है. केंद्र ने फैसला लिया है कि जो राज्य माओवाद से प्रभावित हैं, उन राज्यों में जाना चाहिए. मैंने पहले झारखंड को चुना. यहां के मुख्यमंत्री और अधिकारियों से जानकारी ली है.

माओवादी समस्या से निजात पाने के लिए राज्य सरकार प्रयत्न कर रही है. लेकिन इसमें और गति लाने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने अपनी कठिनाइयों से अवगत कराया है. इसे संज्ञान में भी ले लिया हूं. कठिनाइयों को दूर करेंगे. एक प्रश्न पर गृह मंत्री ने कहा कि सारंडा के हालात पर वे पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के कार्यों पर कोई मार्किंग नहीं देना चाहते हैं, क्योंकि वह कोई गैंबलर नहीं हैं. सारंडा की सड़कें ठीक नहीं थी. इसलिए मोटरसाइकिल चला कर ही गये. जवानी में मोटरसाइकिल चलाते थे, इसलिए उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई.

* सीएम की मांग पर विचार करेंगे

गृह मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी जिलों को आइएपी (इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान) और एसआरइ (सिक्यूरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर) में शामिल करने की मांग की है. हम इस पर विचार करेंगे. रांची में चर्चित तारा शाहदेव प्रकरण की जांच सीबीआइ से कराने की बात पर श्री सिंह ने कहा कि सीबीआइ एक स्वतंत्र एजेंसी है. उनके पास कई अनुशंसाएं आती-जाती हैं. यह मामला सीबीआइ के पास गया है, उन्हें कोई जानकारी नहीं है. एक सवाल कि झारखंड में राजनीतिक व माओवादी गंठजोड़ के बारे में केंद्र क्या कदम उठा रहा है? श्री सिंह ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है.

– राजभवन में पत्रकारों से कहा

* पुलिस स्थानीय लोगों के साथ अच्छे रिश्ते बनाये

* माओवादी की चुनौती स्वीकार है, केंद्र संतुलित तरीके से सामना करेगा

* राज्य के सभी जिलों को आइएपी में शामिल करने पर विचार करेंगे

* झारखंड में राजनीतिक माओवादी गंठजोड़ की नहीं है जानकारी

* तारा प्रकरण की सीबीआइ जांच की जानकारी नहीं

Next Article

Exit mobile version