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झारखंड में यूपीए को साख बचाने की चुनौती

रांची: हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे का संकेत साफ है. लोकसभा चुनाव से बह रही चुनावी बयार अब भी भाजपा के पक्ष में है. हरियाणा-महाराष्ट्र से कांग्रेस का खूंटा उखड़ गया है. अब यूपीए के लिए झारखंड में साख बचाने की चुनौती होगी. भाजपा के बढ़ते कदम ने यूपीए फोल्डर को बेचैन किया है. […]

रांची: हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे का संकेत साफ है. लोकसभा चुनाव से बह रही चुनावी बयार अब भी भाजपा के पक्ष में है. हरियाणा-महाराष्ट्र से कांग्रेस का खूंटा उखड़ गया है. अब यूपीए के लिए झारखंड में साख बचाने की चुनौती होगी. भाजपा के बढ़ते कदम ने यूपीए फोल्डर को बेचैन किया है.

झारखंड में परिस्थितियां बदलेंगी. यूपीए के लिए गंठबंधन मजबूरी होगी. भाजपा इन दलों के लिए आने वाले समय में चुनौती होगी. कांग्रेस, राजद, झामुमो के बीच गंठबंधन के लिए किचकिच कम होगा. मजबूरी में ये दल एक दूसरे से हाथ मिलायेंगे. झारखंड में किसी भी दल की जमीनी ताकत अकेले सत्ता तक पहुंचने की नहीं है. भाजपा का रास्ता कोई एक खास दल नहीं रोक सकता है. राजद, झामुमो जैसी पार्टियों की खास इलाके में पैठ है. वहीं भाजपा ने राज्य के अलग-अलग इलाके में अपनी ताकत बढ़ायी है.

केंद्रीय नेतृत्व भी सुलझाना चाहेगा पेंच
झारखंड मे गंठबंधन का खाका दिल्ली में तय होना है. कांग्रेस, झामुमो, राजद और जदयू के बीच सीट का बंटवारा दिल्ली आला कमान तय करेगा. गंठबंधन के पेंच सुलझाने की जल्दबाजी होगी. गंठबंधन में शह-मात का खेल बहुत नहीं चलने वाला है. कांग्रेस फिलहाल बैकफुट पर रहेगी.
10 से 12 सीटों पर ही फंस रहा है मामला
यूपीए फोल्डर में मामला 10 से 12 सीटों पर फंसा है. राजद से बहुत परेशानी नहीं है. वहीं जदयू को भी जो मिलेगा, वह संतोष करने के लिए तैयार है. जदयू का संगठन प्रदेश में पस्त है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष रहे और विधायक राजा पीटर भाजपा में ठिकाना तलाश चुके हैं. जदयू के पास दावेदारी के लिए सीट नहीं बच रही है. वहीं झामुमो भी दो-चार सीटों पर समझौता कर सत्ता के करीब आने की कोशिश करेगा.

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