14 साल में भी नहीं बना रिंग रोड
रांची: राज्य गठन के 14 वर्षो बाद भी राजधानी के लिए महत्वपूर्ण रिंग रोड (कांठीटांड़ से विकास) का निर्माण नहीं हो सका है. इसे रिंग रोड फेज सात का नाम दिया गया है. सबसे पहले इसी सड़क का कार्य शुरू कराया गया था. वर्ष 2005 में इस रोड के निर्माण की योजना तैयार हुई थी. […]
रांची: राज्य गठन के 14 वर्षो बाद भी राजधानी के लिए महत्वपूर्ण रिंग रोड (कांठीटांड़ से विकास) का निर्माण नहीं हो सका है. इसे रिंग रोड फेज सात का नाम दिया गया है. सबसे पहले इसी सड़क का कार्य शुरू कराया गया था.
वर्ष 2005 में इस रोड के निर्माण की योजना तैयार हुई थी. वर्ष 2007 में इसका काम शुरू हुआ था लेकिन अभी तक रिंग रोड का काम अधूरा पड़ा है. इस पर वाहनों का आवागमन नहीं होता. रिंग रोड फेज सात की परिकल्पना असफल साबित हुई है. हालांकि रिंग रोड (फेज सात) के तीन-चार वर्षो बाद शुरू हुई रिंग रोड फेज तीन, चार, पांच व छह पूरी हो गयी हैं. इसका उपयोग भी हो रहा है.
200 करोड़ अधिक पर कराना होगा काम : मौजूदा समय में इस सड़क पर पहले की तुलना में 200 करोड़ रुपये अधिक खर्च कर काम कराना होगा. क्योंकि शुरू में इसका एस्टिमेट 156 करोड़ रुपये का था, पर हाल ही में बने डीपीआर में इसकी लागत 356 करोड़ रुपये दिखायी गयी है. 60 करोड़ रुपये से अधिक तो पहले ही इस सड़क पर खर्च हो चुके हैं. अगर सरकार पहले ही इस सड़क का निर्माण करा लेती तो 156 करोड़ में पूरी सड़क बन जाती. अब तो उसे 356 करोड़ रुपये देकर ही कार्य कराने होंगे. ऊपर से 60 करोड़ पहले ही इस पर लग चुका है. यानी सड़क बनेगी तो कुल 416 करोड़ रुपये लागत आयेगी.
क्यों नहीं बना रिंग रोड
रिंग रोड का काम वर्ष 2007 में मेसर्स सोमदत्त बिल्डर्स एंड श्रीनेत शांडिल्य को दिया गया था. तब 154 करोड़ रुपये की लागत से इसका काम शुरू हुआ था. काम जारी था, इस बीच कांके के नगड़ी में जमीन की समस्या हुई. इससे योजना लटक गयी. बाद में उसे सुलझाया भी गया लेकिन बाद में कई कारणों से इसके क्रियान्वयन में विलंब होने लगा. विभाग की ओर से कंपनी को दो बार एक्सटेंशन भी दिया गया, फिर भी काम लटका रह गया. इस योजना की वित्तीय प्रगति 40 फीसदी दर्ज की गयी. मार्ग पर पड़नेवाले सभी पुलों व फ्लाई ओवरों का निर्माण लटका रह गया. अंतत: दो साल पहले सरकार ने कंपनी को टर्मिनेट कर दिया. तब से काम ऐसे ही पड़ा हुआ है.
रिंग रोड एक नजर में
सड़क की लंबाई-23 किमी
कांठीटांड़ से विकास तक
टेंडर निकला -नवंबर 2005 में
शिलान्यास हुआ-मार्च 2007 में
काम शुरू हुआ-जून 2007 में
काम पूरा करना-तीन साल में