भाजपा पर बढ़ा मुसलमानों का विश्वास
गुजरात के व्यापारी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र जफर सरशेवाला एक सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए रांची आये हुए हैं. प्रभात खबर के वरीय संवाददाता मनोज सिंह से बातचीत में उन्होंने कहा कि भाजपा अब पहले की तरह नहीं है. मुसलिम भी यह मानने लगे हैं. इसी का नतीजा है कि पूरे देश […]
गुजरात के व्यापारी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र जफर सरशेवाला एक सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए रांची आये हुए हैं. प्रभात खबर के वरीय संवाददाता मनोज सिंह से बातचीत में उन्होंने कहा कि भाजपा अब पहले की तरह नहीं है. मुसलिम भी यह मानने लगे हैं. इसी का नतीजा है कि पूरे देश में भाजपा को सत्ता मिली. महाराष्ट्र में पार्टी की स्थिति सुधरी. बिना मुसलमानों के ऐसे परिणाम संभव नहीं हैं.
सवाल : आज के मुसलमान भाजपा के बारे में क्या सोचते हैं?
जवाब : पहले की भाजपा और मोदी की भाजपा में बहुत फर्क है. अब 10 साल पुराने वाली भाजपा नहीं रही है. भाजपा को पता है कि मुसलमानों को साथ लिए बिना विकास नहीं हो सकता है. यही कारण है गुजरात के अंतिम विधानसभा चुनाव में 32 से 33 फीसदी मुसलमानों ने भाजपा को वोट किया था. मुसलमान अब सोचने को मजबूर हो रहे हैं. यहीं कारण है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में 13-14 फीसदी मुसलमानों ने भाजपा को वोट किया. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासन में भी चार फीसदी से अधिक मुसलमानों ने भाजपा को वोट नहीं किया था. मुसलमान भी देश का विकास चाहते हैं. जानते हैं कि भारत विकसित होगा, तो हमारी भी हिस्सेदारी होगी.
सवाल : यह 13-14 फीसदी का आंकड़ा कहां से आया?
जवाब : कई ऐसे सीट हैं जहां 75 फीसदी मुसलिम हैं, वहां भी भाजपा को 50 से 60 फीसदी तक मत मिला. यह कैसे हुआ. सोचने की बात है. दो साल पहले तक मुसलमान मोदी का नाम भी नहीं लेते थे. अब स्थिति ऐसी नहीं है.
सवाल : आप कहते हैं बदलाव हो रहा है? क्या मुसलमानों ने मोदी को माफ कर दिया?
जवाब : असल में गुजरात दंगे को लेकर एक गलतफहमी थी. देश के एक वर्ग का मानना था कि दंगा मोदी ने कराया था. लेकिन, गुजरात के मुसलमानों का मानना था कि दंगा करनेवालों पर मोदी का नियंत्रण नहीं था. बाद में उनके सामने स्थिति स्पष्ट हो गयी. पता चल गया कि मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने जितना संभव था किया. उनके कार्यकाल में एक भी दंगा नहीं हुआ. देश में पहली बार दंगा करनेवालों को सजा मिली. कई अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है.
सवाल : भाजपा में मुसलमानों को राजनीतिक भागीदारी क्यों नहीं मिल रही?
जवाब : पहली बार भाजपा में मुसलमानों को लेकर डायलॉग शुरू हुआ है. कमी दोनों ओर से है. मुसलमान विश्वास नहीं करते थे. इस कारण हमारी भागीदारी नहीं थी. अब रास्ता बनना शुरू हुआ है. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान करते समय में मेरे भी हाथ कांप रहे थे. पहली बार भाजपा को मतदान कर रहा था. मैंने उनके खिलाफ आवाज उठायी थी. असल में मोदी बहुत अकलमंद हैं. उनको देश निर्माण में मुसलमानों की भागीदारी का एहसास है.
सवाल : भाजपा के लिए काम करनेवाली संघ को लेकर क्या धारणा है?
जवाब : संघ और मुसलमानों को भी आपस में बात करनी चाहिए. दोनों को समझना चाहिए कि क्या समस्या है. मुझमें भी यही समस्या थी. पिछले एक साल से मेरी भी संघ से बात होने लगी है. अब पता चलने लगा है कि दोनों हिंदुस्तान का अभिन्न हिस्सा है. दोनों को अपने-अपने मजहब की वाफादारी का पालन करने की जरूरत है. जो अपने मजहब से वाफादारी नहीं कर सकता है, वह अपने मुल्क के प्रति भी वाफादार नहीं हो सकता है.