हत्याएं हुईं, पर की किसने?
रांची: झारखंड के कई बड़े आपराधिक मामलों में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम फेल हुआ है. इस वजह से आरोपी बरी हो गये. अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर गुनहगार कौन है. किसने हत्या की. हाल ही में झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश टाटिया ने भी एक सेमिनार में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर चिंता जतायी […]
रांची: झारखंड के कई बड़े आपराधिक मामलों में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम फेल हुआ है. इस वजह से आरोपी बरी हो गये. अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर गुनहगार कौन है. किसने हत्या की. हाल ही में झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश टाटिया ने भी एक सेमिनार में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर चिंता जतायी थी. कहा था : क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में जांच एजेंसी, प्रोसिक्यूटिंग एजेंसी व ज्यूडिशियल एजेंसी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.
जब क्रिमिनल ट्रॉयल में कोई अभियुक्त बरी होता है, तो समाज में यह संदेश जाता है कि सच्चई उजागर करने में क्रिमिनल जस्टिस फेल हो गया. तब लोग सोचते हैं आखिर कौन दोषी है? ऐसे में लोगों की अंगुलियां सिस्टम पर उठती हैं, क्योंकि जब अपराध हुआ है, तो कोई न कोई तो दोषी होगा. अगर कोई दोषी नहीं पाया जाता है, तो यह साबित होता है कि जांच, अभियोजन या फिर ट्रॉयल में चूक हुई है. प्रभात खबर उदाहरण के तौर पर इनमें से कुछ चर्चित मामलों का जिक्र कर रहा है, जिनमें क्रिमिनल जस्टिस फेल हुआ.
रंजना पालित हत्याकांड
राज्य गठन से पहले शिक्षिका रंजना पालित की हत्या हुई थी. इंस्पेक्टर भगवान प्रसाद को आरोपी बनाया गया था. निचली अदालत ने इन्हें दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनायी थी. हाइकोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया.
जालिम नरसंहार कांड
वर्ष 1988 में लातेहार के जालिम गांव में सात लोगों की हत्या हुई थी. निचली अदालत ने 31 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनायी थी. इसके खिलाफ हाइकोर्ट में अपील याचिका दायर की गयी थी. हाइकोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सभी को बरी कर दिया.
एसपी अजय सिंह हत्याकांड
लोहरदगा के एसपी अजय सिंह की हत्या चार अक्तूबर 2000 को पेशरार में गोली मार कर की गयी थी. इस मामले में महिला सहित आधे दर्जन नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, पर साक्ष्य के अभाव में निचली अदालत ने सभी को बरी कर दिया. इसके खिलाफ सरकार ने हाइकोर्ट में अपील याचिका दायर की है.
डीएसपी यूसी झा हत्याकांड
वर्ष 2000 में राजेंद्र चौक डोरंडा के समीप विवाद हुआ था. डीएसपी यूसी झा की मौत हो गयी थी. पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया था. निचली अदालत में ट्रॉयल चला. साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने सात आरोपियों को बरी कर दिया. सरकार इस मामले में हाइकोर्ट में अपील याचिका दायर करने की तैयारी में है.
डोरंडा स्थित दरजी मुहल्ले में 25 अप्रैल 2013 को एक बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गयी. घटना के एक दिन पहले से बच्ची घर से लापता थी. घटना के दूसरे दिन पड़ोस के एक निर्माणाधीन आवास में उसका शव मिला था. पुलिस ने इस मामले में आरोपी सद्दाम का पॉलिग्राफी टेस्ट कराया. इसमें आरोपी के दोषी होने की पुष्टि नहीं हो पायी.
क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम फेल होने के कारण
किसी के खिलाफ अनावश्यक मामला दर्ज करनात्नपर्याप्त साक्ष्य का नहीं मिलना त्न आइओ, डॉक्टर की गवाही नहीं होना त्नअनुसंधान में लापरवाही
झारखंड में 2.65 लाख आपराधिक मामले लंबित
झारखंड में 31 दिसंबर 2012 तक 3,61,222 मामले लंबित थे. इसमें से लगभग 74} (2,65,312) मामले आपराधिक हैं. आंकड़ों के मुताबिक हत्या, दुष्कर्म व दंगा से जुड़े मामलों में 28 } लोगों को ही सजा मिल पाती है.
ट्रॉयल को लॉजिकल बनायें : पीसी त्रिपाठी
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन प्रेम चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि ट्रॉयल को लॉजिकल बनाते हुए सच्चाई को सामने लाना होगा, ताकि दोषी व्यक्ति को सजा मिल सके.