वर्ष 2014 : झारखंड में पहली बार बनी पूर्ण बहुमत की सरकार

रांची : वर्ष 2014 झारखंड के लिए अहम है, क्योंकि इसी वर्ष झारखंड में राज्य गठन के बाद पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. रघुवर दास प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और पहली बार किसी गैर आदिवासी को प्रदेश की कमान मिली. वर्ष 2014 के अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा को अपने दम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2014 11:37 AM

रांची : वर्ष 2014 झारखंड के लिए अहम है, क्योंकि इसी वर्ष झारखंड में राज्य गठन के बाद पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. रघुवर दास प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और पहली बार किसी गैर आदिवासी को प्रदेश की कमान मिली.

वर्ष 2014 के अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा को अपने दम पर 543 सदस्यीय लोकसभा में 282 सीटें मिलीं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से दस सीटें अधिक थीं. वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की मौत से उपजी सहानुभूति की लहर में कांग्रेस को मिली पूर्ण बहुमत की सरकार के तीस वर्षों बाद इस वर्ष जब भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार केंद्र में बनी तो यह अपने आप में ऐतिहासिक था.

लेकिन 30 साल बाद केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली इस स्थिर सरकार को बनाने में उन राज्यों का बड़ा योगदान था जिन्होंने एक सिरे से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के पक्ष में मतदान किया और इन्हीं में एक था झारखंड. यहां से भाजपा को लोकसभा की 12 सीटें प्राप्त हुईं. भाजपा को उत्तर प्रदेश की 80 में से मिली 71 सीटों से झारखंड की इन 12 सीटों का महत्व किसी भी तरह कम नहीं था.

झारखंड की 14 में से 12 सीटें जीतकर भाजपा ने इन लोकसभा चुनावों में देश के अन्य हिस्सों की भांति ही झारखंड में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़कर कांग्रेस और अन्य सभी दलों राजद, जदयू, झारखंड विकास मोर्चा आदि का सूपड़ा साफ कर दिया. यहां इन चुनावों में भाजपा को कुल 52 लाख, 7,439 मत प्राप्त हुए.

लोकसभा चुनावों में झारखंड के इन परिणामों की एक विशेषता यह भी थी कि शिबू सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने गढ़ संथाल परगना में किसी तरह से सिर्फ दो सीटें ही जीत पायी. वह भी दुमका की एक सीट स्वयं पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन ने और राजमहल की सीट कांग्रेस से आयातित विजय हांसदा ने जीती थी. दोनों स्थानों पर भाजपा के उम्मीदवार बहुत कम मतों के अंतर से पराजित हुए.

राज्य की शेष 12 लोकसभा सीटें भाजपा ने मोदी की लहर पर सवार होकर लगभग एकतरफा ढंग से जीत लीं.लोकसभा चुनावों से अधिक रोचक नवंबर-दिसंबर, 2014 में पांच चरणों में हुए विधानसभा चुनाव रहे जिनके परिणाम 23 दिसंबर को आये और भाजपा ने अपने चुनाव पूर्व गंठबंधन सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के साथ मिलकर 81 सदस्यीय विधानसभा में 42 सीटें जीत लीं जो पूर्ण बहुमत से एक अधिक थी.

विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कुल पड़े मतांे का 45.7 प्रतिशत प्राप्त किया और अपने बूते पर 37 सीटें जीत लीं. यह संख्या 2009 के विधानसभा चुनावों में उसे मिली 18 सीटों के दोगुने से भी एक अधिक थी. जबकि उसके सहयोगी आजसू ने पांच सीटें जीतीं. इन चुनावों में 23.5 प्रतिशत मत हासिल कर झामुमो ने कुल 19 सीटें जीतीं जो उसके पिछले प्रदर्शन से एक अधिक थी.

राजनीतिक अस्थिरता के लिए चर्चित झारखंड में इस बार के चुनाव परिणामों से ऐसा प्रतीत होता है कि जनता 14 वर्षोमें नौ सरकारें बनने और गिरने तथा तीन बार राष्ट्रपति शासन लगने से उकता गयी थी और उसने इस वर्ष स्थिर सरकारों के पक्ष में ही मत देने का मन बना लिया था. इसलिए इस वर्ष का अंत आते-आते उसने राज्य में भाजपा के रघुवर दास के नेतृत्व में एक स्थिर सरकार को सत्तासीन कर दिया.

भाजपा नेता रघुवर दास 28 दिसंबर, 2014 को शपथ लेने के बाद 14 वर्षों के झारखंड के इतिहास में 10वें मुख्यमंत्री बने हैं और वह राज्य के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री हैं. रघुवर दास से पहले राज्य में कुल नौ मुख्यमंत्री बन चुके हैं और यहां तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा चुका है.दास राज्य में पहली बार पूर्ण बहुमत की एक स्थिर सरकार का नेतृत्व करेंगे.

हाल के विधानसभा चुनावों की एक और खासियत यह रही कि जनता ने बड़े-बड़े सूरमाओं को धूल चटाते हुए उन्हें जमीन पर ला दिया, जिनमें झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष और राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा सदस्य अर्जुन मुंडा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो और निवर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हैं.

इन सभी को चुनावों में करारी हार मिली. जहां मरांडी दो सीटों से लड़कर दोनों पर हारे, वहीं हेमंत सोरेन अपने गढ़ दुमका में बुरी तरह हार गये लेकिन पड़ोस की बरहेट सीट पर जीतकर उन्होंने किसी तरह अपनी इज्जत बचायी.

Next Article

Exit mobile version