यौन शोषण मामले में पीड़ित बच्चों को थाने में नहीं लायें
रांची: पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों से कहा है कि वे चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज (बच्चों के यौन शोषण) मामले में पीड़ित बच्चों को थाना नहीं लाना सुनिश्चित करें. पीड़ित के घर में जाकर उसका बयान लें. उन्होंने कहा कि लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012 में अब कड़े […]
रांची: पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों से कहा है कि वे चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज (बच्चों के यौन शोषण) मामले में पीड़ित बच्चों को थाना नहीं लाना सुनिश्चित करें. पीड़ित के घर में जाकर उसका बयान लें. उन्होंने कहा कि लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012 में अब कड़े प्रावधान किये गये हैं.
देश भर में 42 प्रतिशत आबादी बच्चों की है, जो 18 वर्ष से कम आयु के हैं. नेशनल क्राइम रिकार्डस ब्यूरो के आंकड़ों में भी बच्चों के साथ यौन शोषण की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. झारखंड में अब बलात्कार की घटनाओं की रिपोर्टिग थाने में बढ़ रही है. डीजीपी सोमवार को लैंगिक अपराधों से संबंधित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. डीजीपी ने कहा कि पीड़ित बच्चों को हाजत में रखना नहीं है, 24 घंटे के अंदर उन्हें शेल्टर होम भेजना जरूरी है. यदि बच्चों का मेडिकल परीक्षण कराना जरूरी हो, तो (बच्चियों) के मामले में उनका परीक्षण महिला चिकित्सक करेंगी. इस दौरान बच्चों के अभिभावकों का उपस्थित रहना जरूरी है.
अपर महानिदेशक केएस मीणा ने कहा कि झारखंड के सिमडेगा, खूंटी, गुमला, लोहरदगा जिले की बच्चियां प्लेसमेंट एजेंसियों के मार्फत बाहर जा रही हैं. इन एजेंसियों का ट्रैक सही नहीं है और कई तो मानव व्यापार से जुड़े हैं. निबंधित प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से ही बच्चों को बाहर भेजा जाना चाहिए. पुलिस उप महानिरीक्षक एमएस भाटिया ने कहा कि वीभत्स घटनाएं बढ़ रही हैं, जो चौंकानेवाली हैं.अब नया कानून बनने से सख्त प्रावधान किये गये हैं. समाज कल्याण सचिव मृदुला सिन्हा, राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे. सभी का स्वागत संजय मिश्र ने किया.