रांची : केंद्रीय विवि झारखंड (सीयूजे) के चेरी मनातू स्थित कैंपस निर्माण में बगैर मास्टर प्लान और डीपीआर के 343.84 करोड़ के काम विभिन्न एजेंसियों को बांट दिये गये थे. इसकी जांच सीबीआइ कर रही है. नॉमिनेशन के आधार पर 43 करोड़ के भुगतान के मामले में सीबीआइ में प्राथमिकी भी दर्ज है. उस वक्त यूजीसी की अंडर सेक्रेटरी सुषमा राठौर ने विवि को पत्र भेज कर कहा था कि जब तक आयोग को आवश्यक कागजात नहीं मिल जाते हैं, निर्माण से संबंधित अनुदान राशि निर्गत नहीं किये जायेंगे.
चेरी मनातू कैंपस में निर्माण कार्य पर उस समय कैग ने भी आपत्ति जतायी थी. इस मामले में सीबीआइ ने वीसी समेत कई अधिकारियों व इंजीनियरों के यहां छापेमारी भी की थी. इतना ही नहीं, विवि में निर्माण से लेकर नियुक्ति में इतनी गड़बड़ी की गयी कि मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव को भी बदलने का काम किया गया.
विवि में फर्जी बिल पर भी करोड़ों के भुगतान का मामला प्रकाश में आया. इससे संबंधित सीबीआइ ने चार अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की है. फर्जी बिल भुगतान मामले में उस वक्त के अोएसडी, अकाउंट अफसर, सिविल इंजीनियर आदि से सीबीआइ ने पूछताछ भी की. कोर्ट को बताया गया है कि विवि में हर स्तर पर नियमों की अनदेखी की गयी है. 12 करोड़ के लोकल परचेज पर भी सवाल उठा.
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सीयूजे कैंपस निर्माण का मामला
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सीबीआइ कर रही है इस मामले की जांच
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निर्माण कार्य पर कैग ने भी जतायी थी आपत्ति
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2014 में बगैर विज्ञापन हुई नियुक्ति
सीयूजे में 2014 में बगैर विज्ञापन निकाले वरीय से सहायक स्तर के पदों पर अपने चहेते की नियुक्ति करने की भी बात याचिका में कही गयी है. उस वक्त पांच प्रोफेसर, आठ एसोसिएट प्रोफेसर अौर दो असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की गयी थी. इसके साथ कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर प्रोफेसर व क्लर्क की 42 नियुक्ति की गयी. इस मामले में 25 नवंबर 2014 को वीसी के आवास पर छापेमारी की गयी थी और कई कागजात जब्त किये गये.
Post by : Pritish Sahay