रांची: राज्य के कल्याण मंत्री साइमन मरांडी ने राज्यसभा चुनाव 2010 में हुई हॉर्स ट्रेडिंग की जांच के दौरान अपनी आवाज का नमूना देने से इनकार कर दिया है. सीबीआइ ने साइमन मरांडी से इसका अनुरोध किया था. वह हॉर्स ट्रेडिंग के नामजद अभियुक्तों में एक हैं. मामले में सीबीआइ ने छह विधायकों को नामजद अभियुक्त बनाया है. इनमें टेकलाल महतो का निधन हो चुका है. अभियुक्त बनाये गये अन्य चार विधायकों में तीन राजेश रंजन, उमाशंकर अकेला और योगेंद्र साव ने अपनी आवाज के नमूना दे दिये हैं. सावना लकड़ा गंभीर रूप से बीमार हैं.
आवाज की पहचान के लिए मांगा था नमूना : राज्यसभा चुनाव 2010 के दौरान न्यूज चैनल सीएनएन आइबीएन ने राज्य के छह विधायकों का स्टिंग किया था. बाद में इससे संबंधित सीडी न्यूज चैनल पर प्रसारित की गयी थी. इसमें विधायकों की ओर से पैसे लेकर प्रत्याशियों को वोट देने के प्रस्ताव पर सहमति दिये जाने से संबंधित बातचीत दर्ज है. चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था. जांच के दौरान सीबीआइ ने सभी अभियुक्तों से आवाज का नमूना देने का अनुरोध किया था, ताकि विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच कर इस बात का पता लगाया जा सके कि सीडी में आवाज इन्हीं विधायकों की है या किसी ने नकली आवाज के सहारे उन्हें फंसाने की साजिश रची है. सीडी में कहीं छेड़-छाड़ तो नहीं की गयी है.
साइमन ने फंसाने का लगाया था आरोप : सीबीआइ के अनुरोध पर विधायक राजेश रंजन, उमाशंकर अकेला और योगेंद्र साव ने अपनी आवाज के नमूने दे दिये. विधायक सावना लकड़ा बीमार हैं और उनका इलाज वेदांता अस्पताल में चल रहा है, इसलिए उनकी आवाज का नमूना नहीं लिया जा सका. पर साइमन मरांडी ने इससे इनकार कर दिया. हालांकि मामले में प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद तीन अगस्त 2010 को साइमन मरांडी ने आरोप लगाया था कि उनकी छवि धूमिल करने के लिए गलत तरीके से सीडी बना कर उन्हें फंसाया गया है. इस मामले में सीबीआइ ने 21 फरवरी 2010 को साइमन मरांडी सहित सभी पांचों नामजद अभियुक्तों के ठिकाने पर छापामारी की थी. साइमन के ठिकानों से निवेश और चल -अचल संपत्ति अजिर्त करने से संबंधित दस्तावेज जब्त किये गये थे. सीबीआइ इस मामले में उनसे पूछताछ भी कर चुकी है.
राज्यसभा चुनाव 2010 का इतिहास
– न्यूज चैनल सीएनएन आइबीएन ने स्टिंग कर छह विधायकों से बातचीत रिकॉर्ड की थी. सीडी में इन विधायकों को पैसे लेकर प्रत्याशियों को वोट देने के प्रस्ताव पर सहमति देने से संबंधित बातचीत रिकॉर्ड है
– न्यूज चैनल पर इसका प्रसारण होने के बाद चुनाव आयोग ने प्राथमिकी दर्ज कराने का अनुरोध किया था
– आयोग के निर्देश पर सरकार ने महाधिवक्ता की सलाह ली और चार अगस्त 2010 को निगरानी को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया
– निगरानी ने पांच अगस्त 2010 को छह में से चार विधायकों को नामजद अभियुक्त बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी. सावना लकड़ा और योगेंद्र साव को अभियुक्त नहीं बनाया
– निगरानी जांच की धीमी गति को देखते हुए झारखंड एगेंस्ट करप्शन ने 10 अप्रैल 2012 में सीबीआइ जांच की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की
– हाइकोर्ट ने सुनवाई के बाद 28 जनवरी 2013 को सीबीआइ जांच का आदेश दिया
– सीबीआइ ने 20 फरवरी 2013 को प्राथमिकी(2/13)दर्ज की. इसमें सीडी में दिखाये गये सभी छह विधायकों को अभियुक्त बनाया
– निगरानी जांच की अवधि में ही विधायक टेकलाल महतो की मृत्यु हो गयी थी
– 21 फरवरी 2013 को पांच विधायकों के ठिकानों पर छापामारी हुई थी
– चार अप्रैल 2013 को नौ विधायकों और चार अन्य के ठिकानों पर छापामारी हुई
केडी सिंह और धीरज साहू विजयी हुए थे
– राज्यसभा चुनाव 2010 में झामुमो के अधिकृत प्रत्याशी केडी सिंह (32 वोट) और कांग्रेस के प्रत्याशी धीरज साहू (27 वोट) विजयी हुए थे. धीरज को झामुमो, कांग्रेस के अलावा तीन निर्दलीयों ने भी वोट दिया था
– भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी अजय मारू (17 वोट) को उनकी ही पार्टी का पूरा वोट नहीं मिला था. भाजपा विधायक रामचंद्र बैठा ने वोट नहीं डाला था
जिन्हें अभियुक्त बनाया गया है
साइमन मरांडी(झामुमो), राजेश रंजन (कांग्रेस), उमाशंकर अकेला (भाजपा), योगेंद्र साव (कांग्रेस) और सावना लकड़ा (कांग्रेस). (एक अन्य अभियुक्त झामुमो विधायक टेकलाल महतो का निधन हो चुका है)
राजेश रंजन, उमाशंकर अकेला और योगेंद्र साव ने आवाज का नमूना दे दिया है. विधायक सावना लकड़ा बीमार हैं. इसलिए उनकी आवाज का नमूना नहीं मिल पाया है.