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कुपोषण दूर करना चुनौती

रांची: राज्य में कुपोषण दूर करना एक चुनौती है. यहां की अधिकतर महिलाएं और बच्चे कुपोषित हैं. सरकार के स्तर पर इसे दूर करने के लिए जीवन आशा कार्यक्रम, आंगनबाड़ी सेवा सहित अन्य विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही हैं. इन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में सरकार सिविल सोसाइटी संगठन की भी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहती […]

रांची: राज्य में कुपोषण दूर करना एक चुनौती है. यहां की अधिकतर महिलाएं और बच्चे कुपोषित हैं. सरकार के स्तर पर इसे दूर करने के लिए जीवन आशा कार्यक्रम, आंगनबाड़ी सेवा सहित अन्य विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही हैं. इन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में सरकार सिविल सोसाइटी संगठन की भी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहती है.

ये बातें समाज कल्याण मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने 31 अगस्त को रांची में पैक्स, जश्न, एकजुट व अन्य गैर सरकारी संगठनों द्वारा पोषण विषय पर आयोजित कार्यशाला में कहीं. कार्यशाला का उदघाटन करते हुए उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र पोषाहार सुनिश्चित करने का एक सशक्त माध्यम है, इसलिए इसे मजबूत करने की जरूरत है. इस कार्य में पंचायत प्रतिनिधि के रूप में समुदाय को भी जोड़ा जा रहा है. सहिया व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा स्तनपान सुनिश्चित कराने के लिए गृह-भ्रमण की शुरुआत की गयी है.

स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक डॉ अजीत प्रसाद ने राज्य में कुपोषण दूर करने के लिए कुपोषण उपचार केंद्र के माध्यम से किये जाने वाले प्रयासों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि राज्य में वर्तमान में 66 कुपोषण उपचार केंद्र कार्यरत हैं. इनकी संख्या बढ़ कर जल्द ही 96 हो जायेगी.

सामाजिक कार्यकर्ता प्रो ज्यां द्रेज ने खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्चा करते हुए कहा कि यह पूरी तरह खाद्य सुरक्षा देने में सक्षम नहीं होगा, लेकिन भविष्य में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कराने की यह एक महत्वपूर्ण कड़ी मानी जायेगी. पैक्स के राज्य प्रबंधक जॉनसन टोपनो सहित स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक डा टी हेंब्रम, एसपीएम ए मिंज, सामाजिक कार्यकर्ता बलराम, एमचिप के डा सुरंजन पांडा, एकजुट के डॉ प्रशांत त्रिपाठी, सिनी के रंजन पांडा, पीएचआरएन के हलधर महतो, शंपा राय, राजेश श्रीवास्तव सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

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