रांची: झारखंड के राज्यपाल व कुलाधिपति के रूप में डॉ सैयद अहमद ने दो वर्ष पूरा कर लिये. चार सितंबर 2011 को डॉ अहमद ने झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ ली. अपने दो वर्ष के कार्यकाल में इन्होंने छह माह तक राष्ट्रपति शासन की बागडोर संभाली और इसके बाद लोकप्रिय सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त कर मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन को शपथ दिलायी.
राष्ट्रपति शासन में इन्होंने राज्य न्यायिक पदाधिकारियों का पद सृजन किया. राज्य प्रावैधिकी शिक्षा पर्षद में पदों का सृजन, बीआइटी सिंदरी में शिक्षकों की सीधी नियुक्ति, बाल अधिकार आयोग में पदों का सृजन, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी कार्यालय संचालन के लिए 20 पदों का सृजन किया.
इसके अलावा डॉ अहमद ने लातेहार, चतरा व खरसांवा में मॉडल कॉलेज की स्थापना की कार्रवाई शुरू की. विवि शिक्षकों के स्थानांतरण व पदस्थापना नीति बनायी. विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए स्टेट टॉपर को 50-50 हजार रुपये देने की परंपरा शुरू की. विवि में चांसलर ट्रॉफी पुन: आयोजित करायी.
सेवानिवृत्त विवि शिक्षकों के मामले का निष्पादन कराने के लिए झारखंड उच्च न्यायालय के साथ मिल कर शिविर लगाया. अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए राजभवन में कोषांग का गठन किया. राजभवन में मानकी-मुंडा, पड़हा-प्रधान, मांझी-परगनैत, डोकलो-सोहोर सम्मेलन का आयोजन किया. साहित्य में प्रोत्साहन के लिए राज्य स्तर पर दो हिंदी व दो उर्दू लेखकों को 50-50 हजार रुपये से पुरस्कृत करने की परंपरा शुरू की. बिहार आइ बैंक को प्रभावी बनाने के लिए दो लाख 20 हजार रुपये दिये. उत्तराखंड आपदा राहत के लिए आवश्यक कदम उठाये और सहायता के रूप में एक करोड़ से अधिक राशि दी. गरीब,लाचार तथा बीमार व्यक्तियों को आर्थिक सहायता की. विवि में गड़बड़ी मिलने पर विनोबा भावे विवि में तीन पदाधिकारियों की नियुक्ति को रद्द किया.