पत्थरों की नीलामी होगी

रांची: झारखंड में पत्थरों की नीलामी होगी. राज्य में जमीन से पत्थर निकालने का अधिकार देने के लिए सरकार नीलामी करेगी. खान विभाग के भूतत्व निदेशालय द्वारा जमीन का विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की जायेगी. उस रिपोर्ट के आधार पर सरकार पत्थर खदान के लिए स्थान चिह्न्ति करेगी. संबंधित जमीन पर खनन का अधिकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2013 6:24 AM

रांची: झारखंड में पत्थरों की नीलामी होगी. राज्य में जमीन से पत्थर निकालने का अधिकार देने के लिए सरकार नीलामी करेगी. खान विभाग के भूतत्व निदेशालय द्वारा जमीन का विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की जायेगी. उस रिपोर्ट के आधार पर सरकार पत्थर खदान के लिए स्थान चिह्न्ति करेगी. संबंधित जमीन पर खनन का अधिकार देने के पूर्व सरकार ही पर्यावरण स्वीकृति ले लेगी. यानी अब लीजधारकों को पर्यावरण स्वीकृति के लिए भाग-दौड़ नहीं करनी होगी.

सभी तरह की सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद ही खान विभाग पत्थर खदानों की नीलामी करेगी. सबसे अधिक बोली लगाने वाले को पत्थर खदान लीज पर दी जायेगी. लीज की अवधि पांच से दस वर्षो की होगी. सरकार अब नयी प्रक्रिया के लिए झारखंड माइंस एंड मिनरल्स रूल में संशोधन करेगी. इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.

वैज्ञानिक तरीके से होगा खनन : नयी प्रक्रिया लागू होने के बाद पत्थर खदानों में पारंपरिक रूप से किये जा रहे खनन का तरीका भी बदलेगा. अभी पत्थर खनन करने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. विस्फोट करना ही पत्थर खदानों में खनन का एकमात्र तरीका है. इससे प्रदूषण और दुर्घटना की आशंका तो बनी ही रहती है, खदान के आस-पास रहने वालेलोगों को भी खासी परेशानी का सामना करनापड़ता है.

अभी क्या है नियम
वर्तमान में पत्थर व्यवसायी स्वयं ही खनन के लिए जमीन चिह्न्ति करते हैं. इसके बाद वे संबंधित जमीन को लीज पर लेने के लिए आवेदन देते हैं. जिला खनन पदाधिकारी द्वारा संतुष्ट होने के बाद लीज की अनुशंसा विभाग को की जाती है. इसके बाद संबंधित व्यक्ति को जमीन लीज पर दी जाती है. इस पूरी प्रक्रिया में रायल्टी की राशि तय करने का अधिकार जिला खनन पदाधिकारी के पास होता है. खनन पदाधिकारी अपने अंदाज से या लीजधारक द्वारा दी गयी विवरणी के आधार पर ही रायल्टी निर्धारित करते हैं. इस वजह से राज्य सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. खदान की नीलामी होने पर मिनिमम रायल्टी तय करने का अधिकार सरकार के पास होगा. सरकार रिपोर्ट के आधार पर रायल्टी तय करेगी, जिससे सरकारी खजाने में बड़ा मुनाफा होने की उम्मीद है.

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