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संताल परगना में घटी एसटी आबादी

रांची: वर्ष 2001 व 2011 की जनगणना के अनुसार जनजातीय (शिडय़ूल ट्राइब या एसटी) आबादी राज्य की कुल आबादी की तुलना में 0.1 फीसदी घटी है. हालांकि, इनकी कुल आबादी वर्ष 2001 की तुलना में 15.5 लाख बढ़ी है. वहीं, पूरे संताल परगना प्रमंडल में जनजातीय लोगों की संख्या में तुलनात्मक कमी आयी है. प्रमंडल […]

रांची: वर्ष 2001 व 2011 की जनगणना के अनुसार जनजातीय (शिडय़ूल ट्राइब या एसटी) आबादी राज्य की कुल आबादी की तुलना में 0.1 फीसदी घटी है. हालांकि, इनकी कुल आबादी वर्ष 2001 की तुलना में 15.5 लाख बढ़ी है.

वहीं, पूरे संताल परगना प्रमंडल में जनजातीय लोगों की संख्या में तुलनात्मक कमी आयी है. प्रमंडल के सभी छह जिलों साहेबगंज, गोड्डा, देवघर, दुमका पाकुड़ व जामताड़ा में जनजातीय आबादी जिले की कुल आबादी की तुलना में 0.1 फीसदी से 2.5 फीसदी तक कम हुई है. इधर, रांची व हजारीबाग जिले में भी जिले की कुल आबादी की तुलना में जनजातीय आबादी घटी है. माना जा रहा है कि वर्ष 2001 के बाद दोनों जिलों के बंटवारे के कारण ऐसा हुआ. जनगणना-2011 के अनुसार रांची से अलग होकर बने खूंटी जिले में राज्य की सर्वाधिक जनजातीय आबादी है. यहां जिले की कुल आबादी का 73.3 फीसदी आदिवासी समुदाय के लोग हैं.

इस अलगाव से रांची जिले की जनजातीय आबादी में छह फीसदी की कमी आयी है. यही बात हजारीबाग व रामगढ़ पर भी लागू होती है. हजारीबाग की कुल जनजातीय आबादी में वर्ष 2001 की तुलना में 4.8 फीसदी की कमी आयी है. रामगढ़ में जनजातीय आबादी का 21.2 फीसदी आंका गया है. गिरिडीह राज्य का अकेला जिला है, जहां जनजातीय आबादी की वृद्धि दर जिले की कुल आबादी की वृद्धि के समान रही है. यहां पहले (वर्ष 2001) व अब (वर्ष 2011) भी जिले में इनकी संख्या 9.7 फीसदी है.

एसटी पॉपुलेशन : तब और अब

वर्ष कुल आबादी जनजातीय आबादी

जनगणना-2001 26945829 7087068 (26.3})

जनगणना-2011 3298813 8645042 (26.2})

जिलों की जनजातीय आबादी (फीसदी में)

जिला 2001 2011 वृद्धि/कमी

गढ़वा 15.4 15.6 + 0.2

चतरा 3.8 4.4 + 0.6

कोडरमा 0.8 1.0 + 0.1

गिरिडीह 9.7 9.7 समान

धनबाद 8.5 8.7 + 0.2

बोकारो 12.3 12.4 + 0.1

लोहरदगा 55.7 56.9 + 1.2

पू.सिंहभूम 27.8 28.5 + 0.7

पलामू 9.0 9.3 + 0.3

लातेहार 45.2 45.5 + 0.3

हजारीबाग 11.8 7.0 – 4.8

रामगढ़ – 21.2 + 21.2

रांची 41.8 35.8 – 6.0

खूंटी – 73.3 + 73.3

गुमला 67.2 68.9 + 1.7

सिमडेगा 70.2 70.8 + 0.6

प.सिंहभूम 65.4 67.3 + 1.9

सरायकेला 35.9 35.2 + 0.7

संताल परगना के जिले

देवघर 12.2 12.1 – 0.1

गोड्डा 23.6 23.1 – 0.5

साहेबगंज 29.1 26.8 – 2.3

पाकुड़ 44.6 42.1 – 2.5

दुमका 44.8 43.2 – 1.6

जामताड़ा 31.6 30.4 – 1.2

संख्या में कमी आयी
संताल परगना की जनजातीय आबादी में तुलनात्मक कमी की एक वजह तो पहाड़िया लोगों की संख्या में कमी आना है. ये लोग ब्रिटिश काल से ही खुद को छला मानते हैं, जो पहाड़ से तो उतरे, लेकिन फिर वापस पहाड़ पर जाने को मजबूर हो गये. चिकित्सा सहित जीवन की मूलभूत जरूरतों के अभाव में इनकी मौत हो रही है. दूसरी ओर संताल पलायन कर रहे हैं. असम के चाय बागान में इलाके से बड़ी संख्या में लोग जाते हैं, जो वापस नहीं लौटते. बाहर से भी लोग प्रमंडल में आ रहे हैं या इनकी संख्या बढ़ रही है. इन मिले-जुले कारणों से जनजातीय आबादी में तुलनात्मक कमी दिखती होगी.

डॉ सुरेंद्र झा, व्याख्याता

इतिहास विभाग, सिद्दो-कान्हू विवि

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