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झारखंड विफल क्यों? या अराजक झारखंड

– हरिवंश – प्रो. गुन्नार मिर्डल ने 60 के दशक में सावधान किया था. भारत की समस्या ‘साफ्ट स्टेट’ (राजसत्ता का कमजोर होना) होना है. झारखंड में यह ‘साफ्ट स्टेट’ मार्क्स के मुहावरे में कहें, तो ‘विदरअवे’ (समाप्त होना) हो चुका है. झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने 28 जून को कहा, पूरा राज्य उग्रवाद […]

– हरिवंश –
प्रो. गुन्नार मिर्डल ने 60 के दशक में सावधान किया था. भारत की समस्या ‘साफ्ट स्टेट’ (राजसत्ता का कमजोर होना) होना है. झारखंड में यह ‘साफ्ट स्टेट’ मार्क्स के मुहावरे में कहें, तो ‘विदरअवे’ (समाप्त होना) हो चुका है. झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने 28 जून को कहा, पूरा राज्य उग्रवाद से प्रभावित है.
सरकार मानती है कि 22 जिलों में से 16 से 18 जिलों में नक्सली जड़ें गहरी हैं. 26 और 27 जून के आर्थिक बंदी के बाद तो दबी जुबान सरकार, पुलिस और प्रशासन कह रहे हैं कि अब झारखंड में नक्सलियों की समानांतर सरकार नहीं, एकमात्र सरकार है.
भाकपा (माओवादी) की दो दिनों की आर्थिक बंदी के दौरान सिर्फ झारखंड को लगभग 250 करोड़ के नुकसान हुए . ट्रेनों को रास्ते बदलने पड़े. ढाई हजार ट्रकें नहीं चलीं. खदानों से कोयला, लौहअयस्क वगैरह नहीं निकले. इस तरह बार-बार नक्सली साबित करते रहे हैं कि राज्य में ताकतवर नक्सली हैं, स्टेट पावर नहीं. हकूमत उनकी चलती है, सरकार की नहीं.
यह स्थिति क्यों और कैसे हुई ?
झारखंड के मुख्यमंत्री मधुकोड़ा ने यह भी कहा है कि झारखंड में भ्रष्टाचार, कैंसर की तरह पसर गया है. दरअसल यह स्थिति इस कारण हुई कि यहां, विधान सभा, सरकारें, नौकरशाही और राजनीतिक दल, सबने अपना-अपना मूल फर्ज छोड़ दिया है.
राज्य बने साढ़े छह वर्ष हुए, पर कभी भी राज्य की बुनियादी समस्याओं पर विधानसभा में जीवंत और सार्थक चर्चा नहीं हुई. परंपरा के अनुसार छोटे राज्यों में वर्ष में 60 दिन विधानसभा को बैठना चाहिए. यहां कभी भी 37 दिनों से अधिक विधानसभा की बैठक नहीं हुई. पहले एनडीए का शासन था. अब पिछले नौ महीनों से यूपीए राज कर रहा है. एनडीए सरकार भी विधानसभा से भागती थी. यूपीए सरकार तो एक दिन में बजट पास कराने का रिकार्ड बना चुकी है. एनडीए राज्य में स्पीकर ने अपनी इच्छानुसार विधानसभा में नियुक्तियां की.
अपने विधानसभा क्षेत्र के अधिसंख्य लोगों को भरा.अब यूपीए स्पीकर ने मनमानी नियुक्तियों का नया उदाहरण रख दिया है. विधायकों के रिश्तेदार एवं सगे ‘मेहतर’ से लेकर हर पद पर भर दिये गये हैं.
बिहार विधानसभा में विधायकों की संख्या 243 है, तो लगभग 625 के आसपास विधानसभा के कुल कर्मचारी हैं. झारखंड विधानसभा में 81 विधायक हैं, तो कर्मचारी लगभग 600 के आसपास. इन अवैध नियुक्तियों के खिलाफ, एनडीए राज में यूपीए खामोश रहा. अब यूपीए राज में, एनडीए खामोश है. विधानसभा में मुख्यमंत्री ने प्रति विधायक, विधायक राशि, तीन करोड़ करने की घोषणा की है. शायद देश में और कहीं ऐसा नहीं है.
इस राशि का उपयोग,समाज को पता है. यूपीए-एनडीए, दोनों आम सहमति से साढ़े कुछ छह वर्षों में वेतन भत्ता नियमावली में छह बार संशोधन करा चुके हैं, और अपनी तनख्वाएं बढ़ायी हैं. एजी कार्यालय के अनुसार साढ़े छह वर्षों में लगभग साढ़े छियालीस हजार करोड़, बजट प्रावधान से अधिक खर्च हुए हैं.
पर न सरकार इस पर कुछ बोलती है, न विधानसभा बहस करती है. इस ‘सरप्लस एक्सपेंडीचर’ (बजट शब्द ‘अधिकाई व्यय’ ) में न जाने कितने ‘पशुपालन घोटाला’ छुपे हैं. उल्लेखनीय है कि झारखंड में ही पशुपालन घोटाला हुआ था, जहां स्कूटर-मोटरसाइकिल पर गाय, बैल, भैंस ढोये गये. फरजी बिल बनाये गये और 1000 करोड़ से अधिक का घोटाला हो गया. यह प्रक्रिया झारखंड बनने के बाद और तेज हुई है.
दरअसल, लोकतंत्र में, सरकार को नियंत्रित करने, उसकी नीतियों-विफलताओं पर सार्थक बहस से जनमत बनाने, कुशासन, अराजकता भ्रष्टाचार पर नकेल कसने का काम विधानसभा करती है. शुरू से आज तक विधानसभा, सबसे जीवंत लोकतंत्रिक व प्रभावी संस्था बनने के बदले कमजोर होती गयी है.
क्योंकि झारखंड की राजनीति, मुद्दों, सवालों, विचारों से भटककर निजी लाभ के मुद्दों पर आ टिकी है. यह कहना सही होगा कि राजनीति ने गांव-देहातों समेत सार्वजनिक जीवन में अपना मूल काम – धर्म छोड़ दिया है. वह जगह खाली है. नक्सली उस खाली जगह को भर रहे हैं.
इसलिए झारखंड में नक्सली प्रभाव बढ़ रहा है.झारखंड अशासित हो रहा है. इसका असर सरकार पर दिखता है. यहां यह कहना सही होगा कि झारखंड में मुख्यमंत्री एक नहीं 13 हैं. सभी 12 मंत्री खुद को मुख्यमंत्री ही मानते हैं. मुख्यमंत्री की संपत्ति जांच से लेकर उनके खिलाफ रोज उन्हीं के सहयोगी मंत्री बयान देते हैं. यानी मंत्री ही सत्ता में और मंत्री ही विपक्ष में.
सरकार शब्द वीर है, पर कर्म शून्य. राज्य बनने के बाद से अब तक 64 बड़ी कंपनियों से लगभग 1.50 लाख, करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए . मित्तल, टाटा, जिंदल, एस्सार से लेकर अनेक बड़े उद्योग समूहों के साथ. पर एक बड़ा उद्योग नहीं खुला सका. बिजली उत्पादन में 24 बड़े घरानों से लगभग 70,00 करोड़ के एमओयू हुए . पर एक नया प्लांट नहीं खुल सका. राज्य में अंधेरा बढ़ता ही जा रहा है.
यूनियनों और भ्रष्ट इंजीनियरों के दबाव में 12 बार बिजली बोर्ड का बंटवारा टला है, केंद्र सरकार के दबाव के बावजूद. बिजली बोर्ड का नुकसान है, हर साल लगभग 900 करोड़. हां, गुजरे साढ़े छह वर्षों में माइंस ‘एलाटमेंट’ (कोयला खदान , लौहअयस्क खदान, बाक्साइड खदान वगैरह) में जो बड़े खेल हुए हैं, वे सिर्फ दिल्ली व रांची के सत्ताधीशों को पता हैं. राजनेता, उद्यमी व भ्रष्ट अफसर इसके खिलाड़ी हैं. राज्य बनाने का सबसे अधिक सुख इसी वर्ग ने पाया है. नया धनाढ्य वर्ग उभरा है, बिचौलियों का. सबसे ताकतवर और असरदार.
राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन (एनएसएस) के अद्यतन आंकड़े (61 वां राउंड) सामने हैं. झारखंड में देश के सबसे अधिक गरीब (ग्रामीण) रहते हैं. 40.2 फीसदी. बिहार से भी अधिक.खनिज संपदा देश में सबसे अधिक झारखंड में, पर देश के सबसे अधिक गरीब भी यहीं हैं.
यहीं झारखंड की विफलता है. इसके लिए जिम्मेवार वे लोग हैं, जिन्होंने राजनीति, शिक्षा, प्रशासन, पुलिस सभी क्षेत्रों में ‘इंस्टीट्यूशंस’ (श्रेष्ट संस्थाएं) नहीं बनने दिया. राज्य 28 फरवरी 2007 से बिना मुख्यसचिव के चल रहा है. देश में अकेला राज्य है झारखंड, जहां पंचायत चुनाव नहीं हुए हैं. पहले विकास के लिए पूंजी कमी का रोना रोते थे, अब हर साल हजारों करोड़ सरेंडर हो जाते हैं. खर्च नहीं कर पाते. अपराध, नियंत्रण से बाहर है.
हर काम एडहाक तौर पर हो रहा है. विधानसभा, सरकार, प्रतिपक्ष, सचिवालय, नौकरशाही, राजनीति, सामाजिक संस्थाएं, सिविल सोसाइटी वगैरह नितांत कमजोर हैं. सही तो यह कहना होगा कि राज्य गठन के बाद से ही निर्दलियों के ‘डिक्टेट’ पर झारखंड चल रहा है.
पहले भाजपा और जदयू, निर्दलियों के इशारों पर नाचते थे. अब कांग्रेस और राजद इनके चरण पखार रहे हैं. और निर्दलीय, निरंकुश भाव से सत्ता चला रहे हैं. केंद्र, इस अराजक झारखंड को मूकदर्शक बनकर देख रहा है.
(सूचना के लिए- ‘मेहतर’ शब्द का इस्तेमाल झारखंड विधानसभा सफाई करने वाले कर्मचारी के लिए करती है.)
(हरिवंश, प्रभात खबर के प्रधान संपादक हैं. प्रभात खबर पूर्व भारत के तीन राज्यों के सात केन्द्रों से छपता है)
दिनांक : 2-07-07

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