वाहनों पर चलने से कांपती है हाड़
रांची/जमशेदपुर: राष्ट्रीय राजमार्ग-33 (एनएच-33) रांची-महुलिया-बहरागोड़ा पर चलने से पहले लोगों की हाड़ कांप जाती है, क्योंकि इस सड़क पर चलेंगे, तो जाम में निश्चित रूप से फंसेंगे. अगर जाम में नहीं फंसे, तो गाड़ियां खराब होंगी या दुर्घटना होगी. इतना ही नहीं, दो-ढाई घंटे का सफर तीन-साढ़े तीन घंटे में पूरा हो रहा है. इस […]
रांची/जमशेदपुर: राष्ट्रीय राजमार्ग-33 (एनएच-33) रांची-महुलिया-बहरागोड़ा पर चलने से पहले लोगों की हाड़ कांप जाती है, क्योंकि इस सड़क पर चलेंगे, तो जाम में निश्चित रूप से फंसेंगे. अगर जाम में नहीं फंसे, तो गाड़ियां खराब होंगी या दुर्घटना होगी. इतना ही नहीं, दो-ढाई घंटे का सफर तीन-साढ़े तीन घंटे में पूरा हो रहा है. इस सड़क की यही नियति बन गयी है.
एनएच-33 ने रोड का मायने ही बदल दिया है. पूरी तरह सड़क की सूरत बिगड़ गयी है. सफर भी महंगा हो गया है. ज्यादा ईंधन जल रहा है. इस सड़क पर जितने भी कारोबार चल रहे हैं, बुरी तरह प्रभावित हैं.
क्या 2015 तक जजर्र सड़क पर चलेंगे?
इस सड़क का काम मधुकॉन को मिला है. एनएचएआइ इसका काम करा रहा है. कंपनी ने दिसंबर 2012 में काम शुरू किया है. जून 2015 में काम पूरा होना है. सवाल खड़ा हो रहा है कि जब तक सड़क नहीं बन जाती है (2015 तक), तब तक लोग जजर्र सड़क पर ही चलेंगे क्या? जजर्र सड़क का निर्माण कौन करेगा? हालांकि, विभागीय सूत्र बताते हैं कि जिस कंपनी को काम मिला है, उसे ही चलने लायक सड़क बनानी है, पर कंपनी इससे मुंह मोड़े हुई है.
जजर्र सड़क के साइड इफेक्ट
चांडिल से बहरागोड़ा तक 500 करोड़ का निवेश अटका
चांडिल से बलरामपुर इलाके में 300 करोड़ रुपये का निवेश अटका
एनएच-33 के किनारे स्थित बिग बाजार और आइलेक्स का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित
एनएच-33 के किनारे स्थित पांच बड़े होटल बंदी के कगार पर
जेवीएम करेगा जाम
इधर जेवीएम ने 26 व 27 अक्तूबर को दो दिनों तक एनएच-33 पर आर्थिक नाकेबंदी का निर्णय लिया है. सड़क की हालत को लेकर जेवीएम ने यह फैसला लिया है. जेवीएम के सांसद डॉ अजय कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय हुआ है. जेवीएम का कहना है कि इस सड़क पर रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं.