पड़ोसी राज्य में इलाज से केंद्र असहमत

रांचीः राज्य सरकार ने केंद्र को एक प्रस्ताव बना कर भेजा था. इसमें जिक्र था कि ओड़िशा, बिहार, छत्तीसगढ़ व बंगाल से सटे झारखंड के इलाके में मरीजों के इलाज संबंधी परेशानी होती है. खास कर ममता वाहन योजना के संबंध में लिखा गया था कि जरूरत पड़ने पर गर्भवती महिलाओं को पड़ोसी राज्य के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2013 3:45 AM

रांचीः राज्य सरकार ने केंद्र को एक प्रस्ताव बना कर भेजा था. इसमें जिक्र था कि ओड़िशा, बिहार, छत्तीसगढ़ व बंगाल से सटे झारखंड के इलाके में मरीजों के इलाज संबंधी परेशानी होती है. खास कर ममता वाहन योजना के संबंध में लिखा गया था कि जरूरत पड़ने पर गर्भवती महिलाओं को पड़ोसी राज्य के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा लेने की छूट दी जाये.

केंद्र ने इस प्रस्ताव को नहीं माना है. राज्य सरकार को उम्मीद थी कि यह सहमति मिल जाने पर गर्भवती माताओं को राहत मिलती. दरअसल पड़ोसी राज्यों से सटे कई इलाके ऐसे हैं, जहां बेहतर अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र नहीं हैं. यहां की महिलाओं को भी प्रसव के समय अपने ही राज्य के किसी अस्पताल तक जाना होता है. संबंधित स्थानों से अस्पताल की दूरी अधिक होने तथा देर रात के वक्त उन्हें पड़ोसी राज्य के किसी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल पहुंचाना ज्यादा आसान हो सकता है. पर अब यह मामला रद्द हो गया है.

एमएमयू रिपेयरिंग का फार्मूला तय

स्वास्थ्य विभाग ने खराब होने वाले मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) की रिपेयरिंग के लिए फामरूला तय किया है. रिपेयरिंग की लागत 50 हजार तक रहने पर सिविल सजर्न के स्तर से इसकी मरम्मत करायी जा सकेगी. वहीं इससे अधिक खर्च की इजाजत उपायुक्त स्तर से लेनी होगी. किसी यूनिट की साल में अधिकतम दो बार तक रिपेयरिंग इसी तर्ज पर होगी. वहीं दो बार से अधिक मरम्मत की जरूरत पर इसकी इजाजत एनआरएचएम के अभियान निदेशक देंगे. गौरतलब है कि अभी कुल 103 एमएमयू में से चार खराब हैं.

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