झारखंड में भाषा को लेकर बवाल, शिक्षामंत्री ने भोजपुरी मगही को बताया बाहरी

* स्टैंड पर कायम : शिक्षा मंत्री ।। सुनील झा ।। रांची : शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा है कि भोजपुरी भाषा को लेकर उन्होंने जो बयान दिया है, वे उस पर कायम हैं. जो भाषा झारखंड की है ही नहीं, उसे यहां बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए. भाषा के विकास के लिए यह आवश्यक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2013 7:43 AM

* स्टैंड पर कायम : शिक्षा मंत्री

।। सुनील झा ।।

रांची : शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा है कि भोजपुरी भाषा को लेकर उन्होंने जो बयान दिया है, वे उस पर कायम हैं. जो भाषा झारखंड की है ही नहीं, उसे यहां बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए. भाषा के विकास के लिए यह आवश्यक है कि बाहरी भाषा को स्थानीय भाषा की श्रेणी से अलग किया जाये. शिक्षा मंत्री मंगलवार को प्रभात खबर से बातचीत कर रही थीं. उन्होंने कहा, राज्य गठन के बाद बिहार से मुंडारी, हो, संताली व कुड़ुख भाषा को हटा दिया गया. ऐसे में झारखंड में भोजपुरी व मगही जैसी भाषाओं को क्यों मान्यता दी जाये.

भोजपुरी व मगही भाषा नहीं, बल्कि बोली है. दोनों को बिहार में भी मान्यता नहीं है. भोजपुरी के साथ मगही में शिक्षक पात्रता परीक्षा में सफल विद्यार्थी का रिजल्ट रद्द किया जायेगा. दोनों भाषा झारखंड की संस्कृति से मेल भी नहीं खाती हैं. इसके लिए शिक्षक नियुक्ति नियमावली में बदलाव किया जायेगा. प्रस्तुत है शिक्षा मंत्री से बातचीत.

* भोजपुरी को शिक्षक पात्रता परीक्षा में क्यों मान्यता नहीं दी जायेगी?

भोजपुरी कोई भाषा नहीं है, यह बोली है. ऐसे में इसे भाषा के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती. शिक्षक पात्रता परीक्षा में इसे भाषा के रूप में मान्यता देना गलत है.

भोजपुरी के अलावा और कौन सी भाषा है, जिसे मान्यता नहीं दी जायेगी?

मगही को शिक्षक पात्रता परीक्षा में मान्यता नहीं दी जायेगी. दोनों को बिहार में भी भाषा के रूप में मान्यता नहीं दी गयी है.

* दोनों भाषाओं को सरकार ने शिक्षक नियुक्ति नियमावली में शामिल किया है?

ऐसा नहीं कि पूर्व में जो गलती हो गयी है, उसे जानते हुए भी नहीं सुधारा जाये. अगर गलती से दोनों को स्थानीय भाषा के रूप में शामिल कर लिया गया, तो इसमें सुधार किया जायेगा. पूर्व की सरकार ने अगर कोई गलती की है, तो मैं उसे नहीं दोहरा सकती.

* शिक्षक नियुक्ति नियमावली का क्या होगा?

शिक्षक नियुक्ति नियमावली में बदलाव किया जायेगा. इसके लिए विभाग के अधिकारियों से नियमावली बनाने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी मांगी गयी है. सभी पक्ष पर विचार के बाद जल्द कार्रवाई की जायेगी.

* ऐसे में शिक्षक नियुक्ति का अब क्या होगा?

शिक्षक नियुक्ति होगी. मामले को जानते हुए गलत प्रक्रिया के तहत नियुक्ति नहीं होने दूंगी. नियमावली में सुधार के बाद ही शिक्षकों की नियुक्ति होगी. नियुक्ति प्रक्रिया में थोड़ा विलंब होगा.

* नियमावली बनानेवालों पर कार्रवाई होगी?

शिक्षक नियुक्ति नियमावली बनाने की प्रक्रिया की पूरी फाइल मांगी है. नियमावली में गड़बड़ी करनेवाले अधिकारियों को चिह्न्ति किया जायेगा. उन पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

* आपके निर्णय का कांग्रेस सहित अन्य दल विरोध कर रहे हैं?

कांग्रेस में कोई भी निर्णय का विरोध नहीं कर रहा. इस संबंध में ददई दुबे से बात हुई है, उन्हें मामले की जानकारी दी गयी है. नियम के अनुरूप कार्रवाई के विरोध का कोई औचित्य नहीं है.

* राज्य में जनजातीय भाषा की स्थिति क्यों खराब है?

राज्य में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं के साथ भेदभाव हुआ है, इस कारण इनकी स्थिति खराब है. इसमें सुधार किया जायेगा. इसके लिए प्रयास कर रही हूं.

स्थानीय भाषा की बात समरसता तोड़ना नहीं

* साहित्यिक- सांस्कृतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन मंत्री के समर्थन में

राज्य के विभिन्न साहित्यिक- सांस्कृतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने मानव संसाधन मंत्री गीताश्री उरांव के वक्तव्य का स्वागत करते हुए इस पर हो रही राजनीतिक बयानबाजी और पुतला दहन को गलत बताया है.

पंचपरगनिया भाषा विकास केंद्रीय समिति, मुंडा सभा, कुड़ुख विकास समिति, कुड़ुख भाषा परिषद, झारखंडी भाषा साहित्य परिषद, खोरठा भाषा साहित्य परिषद, भारतीय आदिवासी मुंडा भाषा परिषद, मुंडा उबार समिति, अखिल भारतीय सरना समाज, आदिवासी मूलवासी छात्र संघ, कुड़ुख लिटरेरी सोसाइटी ऑफ इंडिया, खड़िया साहित्य समिति, खड़िया महासभा, शहीद तेलंगा खड़िया स्मारक समिति, नागपुरी भाषा परिषद, नागपुरी संस्थान, आदिवासी कुड़मी समाज, संताली साहित्य परिषद के प्रतिनिधियों ने कहा कि जब भी स्थानीय भाषा संस्कृति की बात आती है, तो लोगों को समरसता के टूटने, जहर घुलने, भाषा के नाम पर लड़ाने का प्रयास नजर आता है.

जेपीएससी में जब झारखंडी भाषाओं को निष्प्रभावी बनाया गया था, तो लोग क्यों चुप थे? इस मुद्दे पर मंगलवार को झारखंडी भाषा सहित्य संस्कृति अखड़ा के कार्यालय में डॉ शांति खलखो की अध्यक्षता में बैठक हुई.

* सिर्फ रोजगार ही नहीं, विकास का भी सवाल

वंदना टेटे, केएम मुंडा व अन्य ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा का सवाल सबसे अहम है. इसलिए झारखंड की स्थानीय आदिवासी क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. यह सिर्फ रोजगार का ही नहीं बल्कि विकास का सवाल है. जेपीएससी में झारखंडी भाषाओं को निष्प्रभावी करके टेट में बाहरी भाषाओं को प्रभावी बनाने का प्रयास व स्थायनीय भाषाओं को खत्म करने की साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे.

* गीताश्री के बयान पर अतिरंजित प्रतिक्रिया : डॉ करमा

झारखंड प्रदेश बुद्धिजीवी मंच के अध्यक्ष डॉ करमा उरांव ने कहा कि शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव के टेट परीक्षा में भोजपुरी भाषा के संबंध में दिये गये बयान के बाद विभिन्न दलों द्वारा अतिरंजित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. गीताश्री झारखंड के आदिवासी मूलवासी जनता की आवाज है. वे ईमानदार जनप्रतिनिधि है. आदिवासी जनपरिषद के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा ने भी गीताश्री के बयान का समर्थन किया है.

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