दिखा आदिवासी संस्कृति का संगम

रांची: केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित इंटरनेशनल ट्राइबल फेस्टिवल अखरा 2013 का बुधवार को रंगारंग समापन हुआ. झारखंड के अलावा केरल, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल व आंध्रप्रदेश के कलाकारों ने नृत्य पेश किया. समापन समारोह में विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने कहा कि झारखंड में अवैज्ञानिक तरीके से औद्योगिक विकास के नाम पर जनजातियों का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2013 7:28 AM

रांची: केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित इंटरनेशनल ट्राइबल फेस्टिवल अखरा 2013 का बुधवार को रंगारंग समापन हुआ. झारखंड के अलावा केरल, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल व आंध्रप्रदेश के कलाकारों ने नृत्य पेश किया. समापन समारोह में विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने कहा कि झारखंड में अवैज्ञानिक तरीके से औद्योगिक विकास के नाम पर जनजातियों का विस्थापन सबसे अधिक हुआ है.

यह शुभ संकेत नहीं हैं. समारोह में सांसद सुबोधकांत सहाय ने भी मांदर बजाया. मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डीटी खटिंग सहित अन्य उपस्थित थे. समारोह में शामिल छात्रों के लिए यह एक अनोखा अनुभव प्रदान करने वाला उत्सव रहा. विभिन्न संस्कृति व नृत्य के अलावा उनके जीवन के बारे में जानकारी मिली. संस्कृति को सहेजने की प्रेरणा मिली. ऐसा लगा जैसे देश की आदिवासी संस्कृति का संगम हुआ हो.

यूनिवर्सिटी ऑफ नेवी, सर्बिया की प्रो जोया कारनोविक, टाटा स्टील के सीएसआर प्रमुख बीरेन रमेश, विवि के रजिस्ट्रार प्रो एके शर्मा, पंचायती राज मंत्रलय के सलाहकार आनंद तिर्की, अमृतसर से आये प्रो रंजीत सिंह बाबा, विश्वविद्यालय के भाषा विभाग के संकाय अध्यक्ष प्रो बीपी सिन्हा, संत जेवियर महाविद्यालय के प्रो फादर इमानुएल एक्का, अधिवक्ता डॉ सैगल टोपनो, मंगल सिंह मुंडा, भीखा उरांव, डॉ नारायण उरांव, प्रो विक्टर तिग्गा व सुधांशु शेखर ने भी विचार व्यक्त किये.

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