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आतंकियों के लिए सुरक्षित जगह बना झारखंड

रांची: खास कर रांची इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों के लिए सुरक्षित स्थान है. यहां आतंकी और टाइमर बम बनाये जाते हैं. इस संगठन का कई जिलों में व्यवस्थित नेटवर्क है. यह सब अचानक नहीं हुआ. लंबे समय से इस बात के संकेत मिल रहे थे कि झारखंड आतंकियों के लिए सुरक्षित जगह बनता जा रहा […]

रांची: खास कर रांची इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों के लिए सुरक्षित स्थान है. यहां आतंकी और टाइमर बम बनाये जाते हैं. इस संगठन का कई जिलों में व्यवस्थित नेटवर्क है. यह सब अचानक नहीं हुआ. लंबे समय से इस बात के संकेत मिल रहे थे कि झारखंड आतंकियों के लिए सुरक्षित जगह बनता जा रहा है.

आतंकी संगठनों के लोग यहां आते हैं. आतंकियों को झारखंड के कुछ भटके हुए लोगों का संरक्षण मिलता है. पटना सीरियल बम ब्लास्ट से पहले झारखंड में आतंकियों के खिलाफ जो भी कार्रवाई हुई, वह सभी बाहर की पुलिस या आइबी के स्तर से की गयी. किसी भा मामले में झारखंड पुलिस की दिलचस्पी नहीं के बराबर रहती थी. बाहर से आनेवाली पुलिस को सिर्फ सहयोग भर किया जाता था.

* वर्ष 2003 अंसल प्लाजा ब्लास्ट

दीपावली के दो दिन पहले आतंकियों ने दिल्ली के अंसल प्लाजा में बम विस्फोट किया था. लश्कर-ए-तैयबा नामक आतंकी संगठन ने विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी. इस विस्फोट के आरोपी शाहनवाज को पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था. बाद में पता चला था कि शाहनवाज जमशेदपुर में रहा था. जमशेदपुर में रह कर उसने न सिर्फ ड्राइविंग सीखी थी, बल्कि ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवाया था. मारे जाने के बाद पुलिस को उसकी जेब से ड्राइविंग लाइसेंस मिला था.

* 22 जनवरी 2002 कोलकाता अमेरिकन सेंटर के सामने ब्लास्ट

हरकत-उल-जिहाद अल इसलामी नामक आतंकी संगठन के आतंकियों ने कोलकाता स्थित अमेरिकन सेंटर में ब्लास्ट किया था. इसमें चार पुलिसकर्मी और एक निजी सुरक्षाकर्मी मारे गये थे. घटना में 20 लोग घायल हुए थे. घटना की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम कर रही थी. घटना के चार दिन बाद 26 जनवरी को सुबह इस टीम ने हजारीबाग के खीरगांव में छापामारी की. छापामारी के दौरान हुई मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गिराये गये. दोनों की पहचान सलीम व जाहिद के रूप में हुई. उस वक्त हजारीबाग में दोनों आतंकियों के स्थानीय नेटवर्क के बारे में कई जानकारी मिली, लेकिन गंभीरता से जांच नहीं होने से मामला दबा रह गया.

* वर्ष 2008 सिमी का ट्रेनिंग कैंप

केरल के अरनाकुलम में वर्ष 2008 में इंडियन मुजाहिदीन का ट्रेनिंग कैंप लगा था. सुरक्षा एजेंसियों को कैंप से जुड़े कुछ दस्तावेज हाथ लगे थे. इसके बाद यह तथ्य सामने आया था कि रांची के बरियातू निवासी मंजर इमाम और दानिश भी ट्रेनिंग कैंप में शामिल हुए थे. आइबी ने रांची पुलिस को इसकी सूचना दी थी. पुलिस ने दोनों युवकों के घर का पता लगाया था. रिपोर्ट भेज दी थी कि दोनों लंबे समय से रांची में नहीं रह रहे हैं. इसके बाद पुलिस ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं ली. लंबे समय तक पीछा करने के बाद एनआइए ने दोनों को गिरफ्तार किया.

* वर्ष 2011 भोपाल में छह किलो सोना की लूट

भोपाल में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों ने मण्णापुरम गोल्ड फाइनांस कंपनी के ऑफिस में धावा बोला था. आतंकियों ने छह किलो सोना लूट लिया था. इस दौरान एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी. पुलिसिया जांच के दौरान घटना में इंडियन मुजाहिदीन का भोपाल सरगना डॉ अबू फैजल व इकरार शेख की संलिप्तता का खुलासा हुआ था. पता चला था कि घटना के बाद दोनों दो माह तक जमशेदपुर में रहे. इस दौरान बरियातू निवासी दानिश और मंजर की मदद से जमशेदपुर के जाकिर नगर में घर खरीदा. गैस कनेक्शन लिये और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाये. दोनों की गिरफ्तारी के बाद भोपाल पुलिस ने जमशेदपुर के जाकिर नगर स्थित घर में छापामारी की थी, जहां से तीन किलो सोना बरामद हुआ था.

* वर्ष 2012 हजारीबाग से एक गिरफ्तार

नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) की टीम ने 29 फरवरी 2012 को हजारीबाग में आइएम सदस्य के होने की सूचना पर छापामारी की थी. टीम ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी होने के आरोप में पीर मुहम्मद नामक युवक को गिरफ्तार किया था. उसकी निशानदेही पर पुलिस ने दूसरे आतंकी को दिल्ली से गिरफ्तार किया था.

* 27 अक्तूबर 2013 : पटना ब्लास्ट

इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) के आतंकियों ने 27 अक्तूबर को पटना के गांधी मैदान में सीरियल बम ब्लास्ट किया. घटनास्थल से ही पुलिस ने रांची निवासी आतंकी इम्तियाज और विस्फोट में घायल आतंकी तारिक उर्फ एनुल (अब मृत) को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार आतंकियों ने न सिर्फ विस्फोट में अपनी संलिप्तता स्वीकार की, बल्कि आइएम के रांची कनेक्शन की बात भी पुलिस को बतायी. इसके बाद एनआइए और रांची पुलिस द्वारा की गयी कार्रवाई से साबित हुआ है कि रांची आइएम का हब बन गया है. यहां आतंकी और बम दोनों बनाये जाते हैं.

* मुजिबुल्ला के साथ इम्तियाज भी आरोपी

हिंदपीढ़ी थाना क्षेत्र के इरम लॉज से बरामद विस्फोटक के संबंध में मंगलवार को हिंदपीढ़ी थाना में धुर्वा थानेदार बीएन सिंह के बयान पर मामला दर्ज कर लिया है. मामले में मुजिबुल्ला अंसारी, सलीम अंसारी, और पटना सीरियल ब्लास्ट में गिरफ्तार इम्तियाज को अभियुक्त बनाया गया है. केस का अनुसंधानक कोतवाली डीएसपी को बनाया गया है. पुलिस के मुताबिक सभी के खिलाफ 17 सीएलए एक्ट, यूएपी एक्ट और विस्फोटक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.

पुलिस के मुताबिक पटना सीरियल ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार इम्तियाज के पास से एक मोबाइल नंबर बरामद हुआ था. जब उस मोबाइल नंबर की जांच हुई. तब यह जानकारी मिली कि मोबाइल नंबर मुजिबुल का है. जांच के दौरान यह भी पता चला कि मुजिबल इरम लाज में रहता है. उसके कमरे में उसका साथी सलीम अंसारी भी रहता है. तब पुलिस ने मुजिबल अंसारी की तलाश में लॉज में छापेमारी की. जहां से पुलिस ने विस्फोटक बरामद हुआ.

पुलिस के अनुसार अभी सिर्फ इन्हीं तथ्यों और लॉज से बरामद सामान के आधार पर मामला दर्ज किया है. जिसकी जानकारी वरीय अधिकारियों को दे दी गयी है. अनुसंधान के दौरान पूरे मामले से जुड़े अन्य लोग नाम भी सामने आ सकते हैं.

* सलीम ही आइएमए का हैदर : पुलिस के मुताबिक लॉज के कमरे से मुजिबुल और सलीम के वोटर आइकार्ड भी मिले हैं. लेकिन जांच में जो बाते सामने आयी है. उसके मुताबिक सलीम ही इंडियन मुजाहिदीन का हैदर हो सकता है. हैदर अपना पहचान छिपाने के लिए सलीम के नाम पर पहचान पत्र बनवा कर मुजिबुल के साथ रहता था. इसलिए वोटर कार्ड की भी जांच होगी कि वह असली है नकली.

* मुजिबुल के परिजनों को पूछताछ के बाद छोड़ा

पुलिस और दूसरे अधिकारियों ने मंगलवार की शाम पूछताछ के बाद मुजिबुल के माता -पिता को पूछताछ के बाद छोड़ दिया. पूछताछ के दौरान दोनों ने अधिकारियों को बताया कि मुजिबुल पिछले एक साथ हिंदपीढ़ी इलाके में लॉज में रहता था. वह अंतिम बार बकरीद में घर वापस आया था. इसके बाद वह कभी घर नहीं आया. हिंदपीढ़ी में रहने से पहले इधर- उधर जाया करता था. लेकिन कहां- जाता था और क्या करता था. इसके संबंध में वह कभी परिजनों को जानकारी नहीं देता था. उल्लेखनीय है कि पुलिस ने दोनों को सोमवार की रात पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था.

* ओरमांझी गयी एनआइए की टीम

नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) की टीम मंगलवार को दिन के करीब 1.00 बजे ओरमांझी के चकला स्थित मुजिबुल के घर पहुंची. टीम ने मुजिबुल के घर के भीतर जाकर कमरों का निरीक्षण किया. टीम ने आसपास के लोगों से बात की. लोगों से मुजिबुल की गतिविधियों की जानकारी ली. टीम करीब 10 मिनट रुकी. टीम के साथ ओरमांझी थाना की पुलिस भी थी.

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