जमशेदपुर: टाटा स्टील के एलडी गैस होल्डर में धमाका, 20 से अधिक घायल

जमशेदपुर: टाटा स्टील के एलडी गैसहोल्डरके फटते ही जुगसलाई, बर्मामाइंस, साकची और बिष्टुपुर थर्रा गया. लोगों को लगा कि भूकंप आ गया है. आसपास के इलाके में भी भगदड़ जैसी स्थिति पैदा गयी. अफवाह फैलने लगी की बड़ा गैस लीकेज हुआ है. भोपाल गैस जैसी त्रासदी होने वाली है. कंपनी एरिया से सटे हुए इलाके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2013 10:05 AM

जमशेदपुर: टाटा स्टील के एलडी गैसहोल्डरके फटते ही जुगसलाई, बर्मामाइंस, साकची और बिष्टुपुर थर्रा गया. लोगों को लगा कि भूकंप आ गया है. आसपास के इलाके में भी भगदड़ जैसी स्थिति पैदा गयी. अफवाह फैलने लगी की बड़ा गैस लीकेज हुआ है. भोपाल गैस जैसी त्रासदी होने वाली है. कंपनी एरिया से सटे हुए इलाके को पूरी तरह लोगों ने खाली करना शुरू कर दिया और खुली हवा में चले गये. लोग सहमे हुए थे. हर कोई काफी परेशान नजर आ रहा था.

घटना के बाद कैद हुए लोग घरों में
दोपहर में जोरदार आवाज के बाद लोगों में दहाशत इस कदर हुआ कि लोग अपने घरों के खिड़की, दरवाजे बंद कर घरों में कैद हो गये. बर्मामांइस, इस्टप्लांट बस्ती में लोग घरों से निकल गये. पहले लोगों को एहसास हुआ कि भूकंप हुआ है, लेकिन चंद मिनटों बाद ही लोगों को कंपनी के अंदर घटना होने की जानकारी मिलने लगी. अलग तरह की गंध आने के बाद लोगों ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए खुद घरों में कैद हो गये.

दमकलों को चार घंटे से ज्यादा करनी पड़ी मशक्कत
टाटा स्टील में लगी घटना के बाद दमकलों को चार घंटे से ज्यादा मशक्कत करना पड़ा. अपराह्न् साढ़े तीन बजे से लगी आग पर करीब रात आठ बजे काबू पाया जा सका. पाइपलाइन को ठंडा करने के लिए लगातार पानी का फव्वारा मारा गया. दमकलों ने त्वरित कार्रवाई की और इसका लाभ सबको मिला.

पहुंचे कई आला अधिकारी
घटना की जानकारी मिलते ही कंपनी के प्रेसिडेंट आनंद सेन पहुंच गये. घटना स्थल पर पहुंचने वालों में सेफ्टी के चीफ ओबी कृष्णा समेत कई अन्य पदाधिकारी आ गये. इस दौरान सभी ने आग पर त्वरित काबू पाने के लिए दिशा-निर्देश दिये. आग पर काबू पाने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली.

कई विभागों में उत्पादन ठप
टाटा स्टील के एलडी गैस होल्डर में विस्फोट की घटना के बाद कई विभागों में उत्पादन ठप कर दिया गया है. इस घटना में कंपनी को भी करोड़ों का नुकसान हुआ है. कई विभागों में उत्पादन ठप हो जाने के कारण सबसे ज्यादा नुकसान स्टील मेकिंग में ही हुआ है. हालांकि, देर रात तक उत्पादन को फिर से सामान्य करने की कोशिशें तेज कर दी गयीं, लेकिन देर रात तक पूरी स्थिति काबू में नहीं किया जा सका था. कई विभागों में गैस की आपूर्ति ठप हो जाने के कारण यह हालात उत्पन्न हुई. सीआरएम समेत कई महत्वपूर्ण विभागों में कामकाज को बंद कराया गया है. शनिवार तक हालात में सुधार होने की उम्मीद है. हालांकि, उत्पादन प्रभावित होने को लेकर अब तक मैनेजमेंट की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गयी है.

टाटा स्टील में फटी गैस टंकी, कई घायल
टाटा स्टील प्लांट में गुरुवार को एलडी गैस होल्डर (गैस से भरी टंकी) फट जाने से 20 से अधिक मजदूर घायल हो गये. घायलों में चार की हालत गंभीर है, जिनका इलाज टीएमएच में चल रहा है. 17 से ज्यादा लोगों का सामान्य इलाज चल रहा है. ब्लास्ट के बाद उड़े लोहे के टुकड़ों की चपेट में आये लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. गंभीर रूप से घायलों में इक्वीपमेंट मेंटेनेंस के कर्मचारी भोला सिकदर की स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर बतायी जा रही है. इनके अलावा फ्यूल मैनेजमेंट के कर्मचारी सीताराम, भावनाथ झा और प्रेमजीत कुमार को भी गंभीर चोट लगी है. घटना गुरुवार अपराह्न् 3.30 बजे हुई. टाटा स्टील के एलडी गैस होल्डर में ‘हार्सको’ ठेका कंपनी

एस्केप होल्डिंग (मचान जहां चढ़कर लोग काम करते हैं) बना रही थी. इसी दौरान अचानक जोरदार आवाज हुई एलडी गैस होल्डर के परखच्चे उड़ गये. कई कर्मचारी इसकी चपेट में आये. इसके बाद कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस लीक होने लगी. गैस लीकेज होते ही मजदूरों में भगदड़ मच गयी. अचानक उसमें आग लग गयी. गैस के प्रभाव से कुछ लोग वहां बेहोश होने लगे, जिन्हें तत्काल बाहर निकाला गया और कंपनी के भीतर ही स्थित डिस्पेंसरी ले जाया गया, जहां तीन लोगों की हालत गंभीर होने पर वहां से टीएमएच ले जाया गया. गैस के कारण घबराहट की शिकायतें मिलने पर 20 से ज्यादा मजदूरों को डिस्पेंसरी भेजा गया. इनमें से 11 मजदूरों को टीएमएच ले जाया गया.

गैस लीकेज की घटना के तत्काल बाद पूरे इलाके को कंपनी प्रबंधन ने खाली करा दिया. आग पर काबू पाने के लिए टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, झारखंड अग्निशमन के करीब एक दर्जन दमकल लगाये गये थे. आग पर काबू पाने में चार घंटे से भी ज्यादा समय लगा. घटना की जानकारी मिलने पर राज्य के श्रम मंत्री ददई दुबे ने मामले की जांच के आदेश दिये हैं. श्रमायुक्त पूजा सिंघल ने तत्काल चीफ फैक्ट्री इंस्पेक्टर अवधेश कुमार सिंह को घटनास्थल की जांच के लिए भेजा. पूरे मामले की जांच के लिए टीम गठित करने का आदेश जारी कर दिया गया है. देर रात टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन भी शहर पहुंचकर घायलों से मिलने पहुंचे. चीफ फैक्ट्री इंस्पेक्टर अवधेश कुमार सिंह खुद पूरे मामले की जांच करने के लिए रांची से जमशेदपुर आ चुके हैं.

क्या है गैस होल्डर
टाटा स्टील के जी ब्लास्ट फर्नेस, एलडी वन, एलडी- 2, एलडी- 3 समेत तमाम विभागों में गैस के मार्फत ही स्टील का निर्माण किया जाता है, जिसमें सीओ (कार्बन मोनो ऑक्साइड) के जरिये भट्ठी को जलाया जाता है. कार्बन मोनो ऑक्साइड की आपूर्ति एलडी गैस होल्डर के जरिये ही की जाती है. यहां से गैस आपूर्ति की मात्र तय की जाती है.

ये हैं घायल
राजेश नायक, नारायण पाटिल, दिनेश चौहान, परमजीत चौहान, भोला सिकदर, ज्वाला प्रसाद, प्रेमजीत, श्यामलाल मुमरू, सीताराम, सरोज कुमार, भावनाथ झा

ये हैं गंभीर

फ्यूल मैनेजमेंट के कर्मी सीताराम, भावनाथ झा और प्रेमजीत कुमार

कंपनी ने जारी किया बयान, कहा 11 घायल, एक गंभीर
टाटा स्टील कॉरपोरेट अफेयर्स एंड कम्युनिकेशन के हेड प्रभात शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी है कि दोपहर साढ़े तीन बजे टाटा स्टील के भीतर एक गैस होल्डर में हुए विस्फोट से कुल 11 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से एक की हालत गंभीर है. घायलों का इलाज टीएमएच में चल रहा है. टाटा स्टील ने बताया कि विस्फोट से आग लग गयी और गैस लीकेज हुआ, जिसके बाद सभी मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया. अब प्लांट से गैस लीकेज का कोई खतरा नहीं है.

आग नहीं लगी होती, तो गैस त्रासदी झेलता शहर
टाटा स्टील के एलडी गैस होल्डर में हुए विस्फोट के बाद आग लग गयी. अगर आग नहीं लगी होती तो शहर बड़ा हादसा ङोलता. सिर्फ कंपनी ही नहीं बल्कि चहारदीवारी के बाहर भी लोग प्रभावित होते. कई इलाके में लोग हताहत हो सकते थे. सुरक्षा के दृष्टिकोण से किसी भी गैस लीकेज के बाद आग लगने की प्रक्रिया को सुरक्षित माना जाता है ताकि गैस फैलने के पहले ही जल जाये. यही इस मामले में भी हुआ और सारे लोग सुरक्षित बच गये. इसको लेकर कंपनी की ओर से भी सेफ्टी के कदम पहले से ही उठाये गये थे ताकि इस तरह के हालात को काबू में किया जा सके. एलडी गैस होल्डर में फिर भी आग लगने से काफी नुकसान होने की आशंका व्यक्त की जा रही है.

आग लगने से कैसे बचा शहर
ब्लास्ट में जो गैस लीकेज हुआ, वह फैलने के पहले ही जल गया. यह सिक्यूरिटी के लिहाज से महत्वपूर्ण घटनाक्रम है. अगर आग से गैस नहीं जली होती तो शहर के कई हिस्से में जहरीली कार्बन मोनो ऑक्साइड फैल जाती, जिससे कई लोग हताहत हो सकते थे.

गैस कितनी जहरीली
कार्बन मोनो-ऑक्साइड एक जहरीली गैस है. यह रंगहीन और गंधहीन होती है. यह मानव के लिए काफी खतरनाक है. इसका 100 पीपीएम से अधिक अगर कोई व्यक्ति सूंघ ले तो उसकी जान भी जा सकती है. इसके अलावा सिर में दर्द, फ्लू समेत अन्य तरीके की परेशानी हो सकती है.

नरेंद्रन लौटे, जांच के दिये आदेश
टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन घटना की जानकारी मिलते ही मुंबई में होने वाली बैठक को बीच में ही छोड़ कर जमशेदपुर लौट आये. देर शाम को वे सोनारी एयरपोर्ट पहुंचे. उन्होंने आते ही कंपनी का विजिट किया और घटनास्थल को देखा. अपने अधीनस्थ अधिकारियों को तत्काल आदेश दिया कि कहां क्या खामियां रह गयीं, उसके बारे में पता लगायें और पूरी रिपोर्ट उनको दें ताकि इस तरह की घटनाएं फिर से नहीं हो सके. घटनास्थल और कंपनी के अधिकारियों को निर्देश देने के बाद टाटा स्टील के एमडी सीधे घायलों से मिलने के लिए टीएमएच पहुंचे. टीएमएच में उन्होंने सबका हाल-चाल जाना. तत्काल उन्होंने बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने का निर्देश दिया. चिकित्सा में जरूरत पड़े तो दूसरे अस्पतालों में भी रेफर करेंगे. मीडिया से शुक्रवार को बात करने को कहा.

कैसे हुआ हादसा, कहां हुई गड़बड़ी
एलडी गैस होल्डर पूरे कंपनी के सभी प्लांट में कार्बन मोनो-ऑक्साइड की सप्लाइ करता है. वहीं पर पूरा गैस स्टॉक भी होता है. गैस होल्डर काफी मजबूत टीने के चदरे का बना हुआ है और वहां का तापमान भी सामान्य बनाये रखा जाता है ताकि किसी तरह का हादसा न हो. गैस होल्डर में अगर अत्यधिक गैस हो गयी तो सेफ्टी वाल्व स्वत: खुल जाता है और इसके जरिये आहिस्ता-आहिस्ता हवा में गैस रिलीज होता है, जिससे कोई विस्फोट नहीं होता है. लेकिन यह सेफ्टी वाल्व खुला ही नहीं और पूरा गैस एक साथ जमा हो गया, जिसके बाद पूरा होल्डर का ऊपरी हिस्सा और दायीं ओर का हिस्सा पूरा उड़ गया

जांच में इन बिंदुओं पर होगा फोकस

कौन है इस गड़बड़ी का जिम्मेवार

तकनीकी गड़बड़ी के लिए किस पर कार्रवाई होगी

कौन करता है रेगुलर मेंटेनेंस

अगर मेंटेनेंस होता है तो सेफ्टी वाल्व की टेस्टिंग क्या कभी की गयी

क्या गैस होल्डर में ज्यादा गैस हो रहा था जिसकी मॉनिटरिंग नहीं की गयी और विस्फोट जैसे हालात उत्पन्न हो गये

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