रांचीः राज्य सरकार रांची-महुलिया नेशनल हाइवे (एनएच 33) का काम अब खुद ही कराना चाहती है. इस पर विचार-विमर्श चल रहा है. इस बीच सरकार ने नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) को पत्र लिख कर कहा है कि वह सड़क को चलने के लायक बनाये रखने के लिए ठेकेदार (मधुकॉन प्रोजेक्टस लिमिटेड) को उचित निर्देश दे. साथ ही ठेकेदार पर कार्रवाई करे. सड़क की स्थिति अत्यधिक खराब होने की वजह से जनता में आक्रोश है. सरकार और राज्य की बदनामी हो रही है. नियमानुसार सड़क निर्माण के लिए चुनी गयी कंपनी को काम के दौरान सड़क को चलने के लायक बनाये रखना है, पर ऐसा नहीं किया जा रहा है.
रांची-महुलिया सड़क की स्थिति के मद्देनजर राज्य सरकार इससे पहले भी कई बार एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को पत्र लिख चुकी है. एनएचएआइ द्वारा ठेकेदार को उचित निर्देश भी दिया जा चुका है. पर, इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा. इसलिए राज्य सरकार अब अपने कोष से ही इस सड़क की मरम्मत कराने पर विचार कर रही है. ऐसा करने में कानूनी और तकनीकी अड़चनों की वजह से अंतिम फैसला नहीं हो सका है.
नये प्रावधान से सरकार मजबूर
नेशनल हाइवे की मरम्मत आदि के मामले में भारत सरकार द्वारा बनाये गये नये नियम के आलोक में राज्य सरकार अपने स्तर से कुछ नहीं कर सकती है. एनएच की देखरेख और मरम्मत आदि का काम एनएचएआइ द्वारा ही किया जाना है. एनएचएआइ ने रांची-महुलिया नेशनल हाइवे (114 से 277 किलोमीटर) का काम टेंडर निबटारे के बाद आंध्र प्रदेश की कंपनी मधुकॉन प्रोजेक्टस लिमिटेड को दिया है. नियमानुसार निर्माण कार्य के दौरान कंपनी की जिम्मेवारी है कि वह सड़क को चलने के लायक बनाये रखे. सरकार अपने स्तर से मधुकान प्रोजेक्ट लिमिटेड को कोई निर्देश नहीं दे सकती है.
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