रांची: अमर शहीद भगवान बिरसा मुंडा के 138वें जयंती समारोह के अवसर पर आदिवासी जन परिषद की ओर से ‘बिरसा आज के संदर्भ में’ विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आदिवासियों को अपनी मानसिक गुलामी के बंधनों को तोड़ने के लिए बिरसा के मार्ग पर चलने की जरूरत है. धर्म, कर्म और संपदा के संदर्भ में आदिवासी और झारखंड से पूरी दुनिया में कोई श्रेष्ठ नहीं.
हमारी विरासत और संस्कृति अनूठी है. आदिवासियों को कहीं से भी खुद को हीन समझने की जरूरत नहीं. उनके इतिहास के गौरव को सामने आने नहीं दिया गया है. विडंबना है कि आज दूसरे लोग हमें लोकतंत्र का अर्थ समझाना चाहते हैं. मुर्गी पालन और गाय चराने का तरीका बताना चाहते हैं. राज्य के आदिवासी और मूल निवासी यदि एकजुट हो जायें, तो हमें कोई बरबाद नहीं कर सकता. हमें स्थानीयता की लड़ाई को अंतिम मुकाम तक पहुंचाना है. इसमें आपसी एकता, ईमानदारी और पारदर्शिता जरूरी है. रांची विवि के सेंट्रल लाइब्रेरी सभागार में आयोजित समारोह में स्मारिका का विमोचन भी किया गया.
झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमिताभ चौधरी ने कहा कि यदि हम अच्छे-बुरे की सही पहचान करेंगे और हिम्मत के साथ आगे बढ़ेंगे, तो भगवान बिरसा के सपनों को साकार कर सकते हैं. पूर्व विधायक छत्रपतिशाही मुंडा ने कहा कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बिरसा मुंडा व झारखंड के अन्य जन नायकों के दिखाए रास्ते पर चलना है, जिन्होंने शहीद होने को अच्छा समझा, पर समझौता नहीं किया. जल, जंगल, जमीन पर जनसत्ता को स्थापित करने के लिए आगे आने की जरूरत है.
आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि झारखंड का विकास भगवान बिरसा के विचारों व सिद्धांतों के आधार पर ही संभव है. उन्होंने अंगरेजों के खिलाफ धर्म और जमीन की सशक्त लड़ाई लड़ी थी. आरपी साहु ने कहा कि राज्य की खुशहाली के लिए आदिवासी मूल निवासी एकता आवश्यक है. इस अवसर पर डॉ करमा उरांव, अभय भुटकुंवर व अन्य ने भी विचार रखे. एस अली, मेघा उरांव, प्रो सत्यनारायण मुंडा, उमेश लोहरा, अरुण प्रधान, शंकर बेदिया, जगलाल पाहन, राधा गोविंद सिंह मुंडा, मनोज भुटकुंवर, छनकू मुंडा, रोशन लाल महतो व अन्य मौजूद थे.