संकल्प और अभियान

-दर्शक- 1 नवंबर को प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित एक बैठक में ‘छोटानागपुर राहत कमेटी’ का गठन किया गया. इस कमेटी का मूल स्वरूप और चरित्र गैर राजनीतिक है. कमेटी में कर्नल सुभाष बख्शी, डॉ सिद्धार्थ मुखर्जी, कुछ पत्रकार, एकाध राजनीतिक दलों के प्रतिबद्ध राजनीतिक कार्यकर्ता हैं. कर्नल सुभाष बख्शी और डॉ सिद्धार्थ मुखर्जी ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2016 11:41 AM

-दर्शक-

1 नवंबर को प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित एक बैठक में ‘छोटानागपुर राहत कमेटी’ का गठन किया गया. इस कमेटी का मूल स्वरूप और चरित्र गैर राजनीतिक है. कमेटी में कर्नल सुभाष बख्शी, डॉ सिद्धार्थ मुखर्जी, कुछ पत्रकार, एकाध राजनीतिक दलों के प्रतिबद्ध राजनीतिक कार्यकर्ता हैं. कर्नल सुभाष बख्शी और डॉ सिद्धार्थ मुखर्जी ने नेपथ्य में रह कर, बगैर किसी राजनीतिक आकांक्षा-महत्वाकांक्षा के जो कार्य किये हैं, वे ही इस बिखरते समाज में आस्था-विश्वास की रोशनी है, पर इन पर बाद में.

एक नवंबर को ‘प्रभात खबर’ में हुई बैठक में राहत काम चलाने के लिए जो रणनीति तय की गयी, उनमें महत्वपूर्ण बातें थीं (1) धनगांव (जहां भूख से पहली मौत की खबर आयी थी) में एक ट्रक राहत सामग्री भेजना, (2) भूखे से प्रभावित क्षेत्रों की खबर से लोगों को अवगत कराना, (3) मीडिया के माध्यम से सरकार को आगत दुर्भिक्ष की आहट देना, (4) रांची के विभिन्न इलाकों में घूम कर राहत सामग्री एकत्रित करना व एक-एक प्राप्त सामग्री का विवरण प्रभात खबर में सोशल ऑडिट के तहत प्रकाशित करना. नगद 101 रुपये से जो अधिक देना चाहते हैं, उनसे दवा, कपड़ा एवं खाद्यान्न सामग्री के लिए आग्रह करना.

जब इस भयावह सूखे की कहीं व्यापक चर्चा नहीं हो रही थी, सत्ता राजनीति में यह सवाल हाशिये पर था, तब छोटानागपुर राहत कमेटी ने इसे लोक मुद्दा बना कर अपना पहला संकल्प पूरा किया. जिन राजनीतिक दलों के लिए गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोग या सूखे से प्रभावित लोग कोई मुद्दा नहीं बन पा रहे थे, वे पलामू या गढ़वा के संकट की चर्चा करने लगे. पर इस कमेटी को मालूम है कि सरकारी राहत या फैशनेबुल समाज सेवा से प्रेरित लोग कैसे राहत पहुंचाते हैं? इस कारण कमेटी ने तय किया कि जो राहत सामग्री जायेगी, उसे लेकर ट्रक पर खुद कमेटी के लोग जायेंगे, ताकि सही और जरूरतमंद लोगों के बीच ही सामग्री पहुंचे. इस पहली खेप के साथ फैसल अनुराग, वासवी, त्रिदीफ घोष, कृष्णानंद मिश्र, राजेश वहां गये. रात-रात भर खड़े होकर-चौकस होकर इन्होंने जरूरतमंद लोगों की सूची बनायी वह सामग्री बंटवायी. तब से आज के बीच कर्नल बख्शी खुद तीन बार तीन जगहों पर राहत सामग्री के साथ गये और वितरित कराया.

लगभग छह लाख की सामग्री गयी

गुजरे दो महीने के दौरान छोटानागपुर राहत कमेटी के प्रयास से लगभग छह लाख रुपये का सामान गढ़वा, डालटनगंज और अड़की (रांची) भेजा गया, कपड़ा, दवा और खाद्यान्न समेत. जिसका एक-एक ब्योरा प्रभात खबर में छपा है. राहत कमेटी का दूसरा प्रयास था, इस मुद्दे पर लोक चेतना जगाना. इस कारण मोहल्ले-मोहल्ले मामूली राशि मांग कर यह कार्य आरंभ किया गया. कर्नल सुभाष बख्शी और सिद्धार्थ मुखर्जी तो इस काम में ही जुट गये. कर्नल बख्शी संकल्प के धनी व्यक्ति हैं. कुष्ठ रोगियों और स्लम इलाकों में उनका काम अदभुत है, पर वह अलग प्रसंग है. धीरे-धीरे कमेटी के प्रयास के श्रीमती नदिया गुप्ता, श्रीमती संध्या दास, जगदीश जग्गू (जिनको दोनो हाथ नहीं हैं), महेश शर्मा आदि से मदद मिली. प्रभात खबर में छपी खबरों को पढ़ कर स्लम इलाके के बच्चे व पुरुष सामान लेकर पहुंचे. इसके बाद विभिन्न जगहों पर विभिन्न महिला संगठनों-युवकों-युवतियों ने जिस उत्साह और तत्परता से काम आगे बढ़ाया, उसीसे भविष्य के प्रति उम्मीद बंधती है. कमेटी के प्रयास से दो मेडिकल टीम सूखे से प्रभावित इलाके में गयी.

संकल्प

छोटानागपुर राहत कमेटी ने तय किया है कि गढ़वा के उत्साही उपायुक्त संतोष कुमार सतपथी (जो अदभुत रूप से इन कार्यों के प्रति प्रतिबद्ध-पाबंद है) के साथ सहयोग कर आगामी छह-सात महीनों (जब स्थिति भयावह होनेवाली है) के दौरान किसी को मरने नहीं देगी. साथ ही कमेटी के डालटनगंज के सरहुआ गांव (जहां कोरबा आदिवासी काफी खराब स्थिति में हैं) को अपने सघन कार्य के लिए चुना है. इसके साथ ही जहां-जहां नाजुक स्थिति होगी, वहां भी कमेटी मदद पहुंचायेगी.

डालटनगंज में भी कमेटी से जुड़ी एक कमेटी (स्वरूप-प्रकृति में गैर राजनीतिक) बड़ी तत्परता से कार्यरत है. छोटानागपुर राहत कमेटी ने कुछ संस्थाओं से यह भी आग्रह किया है कि वे खुद आगे आकर गांवों को चुनें और रात पहुंचायें. गांवों के चयन में कमेटी मदद करेगी.

इन कार्यों के अतिरिक्त राहत कमेटी ने ‘पलामू में सूखे के संदर्भ’ में प्रभात खबर में छपी खबरों के आधार पर 20 फाइलें बनवा कर नवंबर में 20 सांसदों (सभी दलों के) को भिजवायी, शीत अधिवेशन (नवंबर) में यह मामला सांसद में उठा. संसद में बहस हुई, जिसमें प्रभात खबर की खबरों का उल्लेख है. कमेटी ने अब तय किया है कि वहां की भयावह स्थिति को उजागर करने के साथ-साथ, वहां हो रहे राहत कार्यों का पूरा ब्योरा भी पाठकों को उपलब्ध करायेगी, लेकिन कमेटी अपना कार्य तभी कर पायेगी, जब उसे पूर्ववत उत्साही का सहयोग मिलेगा.

18-11-1993

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