अमीर राज्य में गरीबी क्यों?

रांचीः भारत माता की..दोनों मुट्ठी बंद कर पूरी ताकत से बोलिए.. भारत माता की…राउरे मन के जोहार. भगवान बिरसा मुंडा की धरती को प्रणाम करते हुए यहां के वीर नायकों, ज्ञानी, तपस्वी महापुरुष, जिनकी लंबी श्रृंखला है.सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, नीलांबर-पीतांबर, गणपत राय, ये सारे महापुरुष, जिन्होंने इस भूमि को अपने ज्ञान-तपस्या से परिपूर्ण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 30, 2013 6:04 AM

रांचीः भारत माता की..दोनों मुट्ठी बंद कर पूरी ताकत से बोलिए.. भारत माता की…राउरे मन के जोहार. भगवान बिरसा मुंडा की धरती को प्रणाम करते हुए यहां के वीर नायकों, ज्ञानी, तपस्वी महापुरुष, जिनकी लंबी श्रृंखला है.सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, नीलांबर-पीतांबर, गणपत राय, ये सारे महापुरुष, जिन्होंने इस भूमि को अपने ज्ञान-तपस्या से परिपूर्ण किया. ऐसी भूमि को शत-शत नमन करता हूं.

प्यारे भाइयों व बहनों झारखंड में जितनी प्राकृतिक संपदा है, भू संपदा है, सामथ्र्यवान मानव बल है, यदि इसका ब्योरा दुनिया के आर्थिक पंडितों को देकर पूछा जाये कि जहां इतनी संपदा हो, उसकी आर्थिक स्थिति कैसी होनी चाहिए. भाइयों व बहनों, मैं विश्वास से कहता हूं कि जवाब एक होगा कि यह राज्य दुनिया के समृद्ध देशों की बराबरी में हो सकता है. तो इतने संपदावाला राज्य गरीब क्यों है? अमीर राज्य की गोद में गरीबी क्यों पल रही है. इसका जवाब उनलोगों को देना है, जिन्होंने आजादी के बाद इस देश की बागडोर संभाली है. उनके नेता व उनकी सरकार को इसका जवाब देना होगा.

देश जब आजाद हुआ, तब से अलग झारखंड की भावना प्रबलता से प्रकट हो रही थी. झारखंड के लोग अपने भाग्य का फैसला खुद करना चाहते हैं. राज्य की संपदा का इस्तेमाल अपने लोगों की भलाई के लिए करना चाहते हैं. पर 50-50 साल तक देश की सल्तनत ने झारखंड की मांग नहीं सुनी गयी. इस मांग को दबाया गया. दबोचा गया. भाइयों-बहनों, यह महापुरुष अटल बिहारी वाजपेयी थे, जिन्होंने झारखंड के लोगों की भावना समझी और झारखंड का निर्माण हुआ. हम सब वाजपेयीजी के सदा आभारी रहेंगे कि उन्होंने हमें झारखंड दिया. जिन उम्मीदों व सपनों के साथ झारखंड बना, उसे पूरा करना है. उस महापुरुष की आकांक्षाओं को पूरा करना है. अटलजी को सुख तब मिलेगा, जब उनके सपनों का झारखंड हम उन्हें दे.

पर भारी संपदा के बावजूद झारखंड की गरीबी बढ़ती ही जा रही है. मैं तीन राज्यों का नाम लेना चाहता हूं, जिनका निर्माण अटलजी के हाथों हुआ. छत्तीसगढ़, झारखंड व उत्तराखंड. भाइयों-बहनों, मैं कहना चाहता हूं..देश के पंडितों इतना तो सोचो, क्या कारण है कि एक साथ जन्मे तीन राज्यों में से छत्तीसगढ़ कैसे आगे निकल गया. जब तक इस बात को गंभीरता से नहीं सोचोगे, कुछ नहीं होनेवाला. छत्तीसगढ़ की सरकार ने फैसला किया कि उसे विकास की राह पर आगे बढ़ना है. विकास करना है, नौजवानों को रोजगार देना है, गरीबों का कल्याण करना है. इसके लिए छत्तीसगढ़ की जनता ने वहां राजनीतिक स्थिरता पैदा की. वहां बार-बार भारतीय जनता पार्टी को सेवा का मौका दिया. नतीजा यह हुआ कि छत्तीसगढ़ विकास की उम्मीदों को पूरा कर रहा है. झारखंड में भी स्थिरता होती, राज्य में भारतीय जनता पार्टी का मार्ग अपनाया गया होता, तो यहां के लोग भी गरीब नहीं होते. झारखंड विकास की नयी ऊंचाइयों को प्राप्त कर लेता. पर हम वह मौका खो चुके.

किसी भी व्यक्ति के जीवन में उम्र के 13 साल का बड़ा महत्व होता है. 13 से 18 वर्ष की उम्र के बीच कई परिवर्तन होते हैं. बच्चे का कपड़ा छोटा होने लगता है, दो-तीन रोटियां खानेवाला बच्च छह रोटियां खाने लगता है. बच्चे का हुलिया, कद व सोच बदलने लगते हैं. झारखंड ने भी 13 साल की उम्र पूरी कर ली है. अब झारखंड में 13 से 18 साल उम्र के बीच वाला तबका आ रहा है. ऐसे में इसके लालन-पालन के लिए सामथ्र्यवाला चाहिए. दिल्ली के मदद-सहयोग की भी जरूरत होगी. पर आज जो दिल्ली में बैठे हैं, जिन्होंने 50-50 साल तक आपकी मांग को ठुकराया था. क्या उनके भरोसे झारखंड का विकास हो सकता है? इनके भरोसे नौजवानों का भविष्य संवर सकता है? झारखंड बदल सकता है? कतई नहीं.

झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं. और 2014 में चुनाव है. भाइयों-बहनों, यहां की सभी सीटें राजनाथजी के हाथों में दे दें. यहां 13 से 18 साल की उम्र को बरबाद मत होने देना. झारखंड के लिए जो नीतियां बनेगी, वह झारखंड को मजबूत करने के लिए मजबूत नींव का काम करेगी. यह जंग हम जीतें. यहां के आदिवासियों दलितों व पीड़ितों के सपनों को पूरा करें. झारखंड की जिस धरती पर बड़ा गर्व किया जाता है, क्या कारण है कि वह भी लड़खड़ा गया. बेरोजगारी बढ़ गयी. इनको रोजगार व सुशासन की चिंता नहीं है.

गुजरात में गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर कारखाना बंद हो रहा था. वहां के लोग मेरे पास आये. मैंने कहा, मुङो तीन दिन दें. मैं नया था. मुख्यमंत्री बनने के बाद पहला दिन था. भारत के लोक उपक्रम देखते-देखते लड़खड़ा कर रह जाते हैं. बंद होने, ताला लगने की नौबत आ जाती है. हमने तय किया कि हम कारखाने को प्रोफेशनलिज्म की ओर ले जायेंगे. तकनीक व प्रबंधन में सुधार करेंगे. फालतू खर्च कम करेंगे. आज वह फर्टिलाइजर कारखाना सबसे ज्यादा मुनाफा कमानेवाला कारखाना है. क्या देश में यह नहीं हो सकता? हो सकता है. इरादे चाहिए सिर्फ वादे नहीं. इरादे भी नेक चाहिए. तब होता है. पर न इनके पास इरादे हैं न वादे में नैतिकता है.

पुराने जमाने में हम कथा सुनते थे. पुराण में बताया जाता था कि ऐसी-ऐसी घटना होती थी, तो अचानक आकाशवाणी होती थी. ये-ये संदेश सुनने को मिलते थे. इन दिनों भी ऐसा ही हो रहा है. जो इस परिस्थिति के लिए जिम्मेवार हैं. परिस्थिति से बाहर निकालने की जिनकी जिम्मेवारी है. देश की जनता ने जिनके हाथों में बागडोर दी है. तो जैसे पुराने समय में होता था, ये भी आकाशवाणी की तरह शब्दों को छोड़ देते हैं. कोई दायित्व निभाते नहीं है. पत्रकारों को बुलाते हैं और जैसे इनको कुछ लेना-देना नहीं. अचानक आकाशवाणी कर छुप जाते हैं. पुराणों में आकाशवाणी लोगों को सोचने पर मजबूर करती थी. पर आज की आकाशवाणी (सत्ताधारी दल के बयान) छल-कपट को प्रदर्शित करती है. जनता की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास साफ-साफ दिखता है. आप बताइए कि महंगाई कम होनी चाहिए की नहीं? गरीबों के घर में चूल्हा चलना चाहिए की नहीं? गरीब के बच्चों को रात को खाना मिलना चाहिए की नहीं? क्या यह जिम्मेवारी सरकार की है या नहीं है. ये जिम्मेवारी दिल्ली की सरकार की है या नहीं है. पर क्या ऐसा हो रहा है.

और आज मुख्यमंत्रियों पर थोप देते हैं. मुख्यमंत्री यह करेंगे, मुख्यमंत्री वह करेंगे. मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की बात होती है. मैं आज रांची की धरती पर एक बात बताना चाहता हूं. पत्रकार मित्र ध्यान से सुनें. तीन साल पहले प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने को मजबूर होना पड़ा था. प्रधानमंत्री ने कमेटियां बनायी. मुङो भी एक कमेटी का चेयरमैन बनाया. मेरे साथ कमेटी में तीन मुख्यमंत्री थे. तीनों यूपीए के, कांग्रेस के. हमें महंगाई कम करने का सुझाव देना था. हमने रिपोर्ट दी. ढाई साल हो गये. उसमें कुल 62 बिंदु बताये गये थे. प्रधानमंत्री को जब रिपोर्ट मिली, तो उन्होंने कहा कि अच्छा काम हुआ है. पर दिल्ली की सरकार को लकवा मार गया है. उस रिपोर्ट पर कोई काम नहीं हुआ.

भाइयों-बहनों, मैं हैरान हूं कि झारखंड में इतनी वर्षा होती है, इतना पानी आता है, परमात्मा की कृपा से. पर झारखंड की जनता को पीने का पानी उपलब्ध नहीं होता है. भाइयों-बहनों, इससे बड़ी दर्दनाक बात और क्या हो सकती है. इससे बड़ी शर्म की क्या बात हो सकती है. आजादी के इतने वर्ष बाद भी आपको पीने का पानी मिलना चाहिए की, नहीं मिलना चाहिए. जो सरकारें पीना का पानी न दे, किसानों को समय पर पानी न दे, वह सरकार और क्या भला कर सकती है. गुजरात में इतना पानी नहीं है. हमारे यहां इतनी नदियां भी नहीं है. हमने रास्ता खोजा. हमने निश्चय किया कि छोटे-छोटे चेक डैम बनाये. लाखों की तादाद में बनाएं. बरसात की बूंद-बूंद, पानी रोकने की कोशिश की. वहां से पाइप से पानी पहुंचाया. गुजरात के हजारों गांवों में जहां कभी टैंकर से पानी जाता था, वहां नलके से पानी जा रहा है. यह झारखंड में भी हो सकता है. और इसलिए मैं कहने आया हूं, यदि हम निश्चित करें. मुङो याद है, यहां से हमारे एक कार्यकर्ता ने प्रभात खबर इस अखबार की प्रतियां भेजी थी. और शायद हफ्ते भर बहुत बारीकी से गुजरात में पानी का प्रबंधन कैसे हो रहा है, पानी बचाने की योजना कैसे हो रही है, इस पर छह-सात दिनों तक विस्तार से रिपोर्ट झारखंड की जनता के चरणों में रखा था. पर यहां की सरकारों को कांग्रेस पार्टी को, दिल्ली में बैठी सरकार को कुछ करना नहीं है. और उसी का परिणाम है कि विकास की स्थिति स्वीकार तो करते हैं, पर वैसा काम नहीं करते.

भाइयों-बहनों, लोग मुझसे पूछते हैं कि मोदीजी का आपका विजन क्या है. कोई मुङो बताये भैया. कोयला झारखंड में हो, और बिजली बाहर से लानी पड़े. यह कोई विजन है क्या. यदि आज से सालों पहले कोयला यहां से बाहर ले जाने के बजाय जहां कोयला है, वहीं बिजली बनती, तो आज सारे देश को बिजली मिलती. झारखंड में पूरे हिंदुस्तान को उजाला दे सके, इतनी ताकत थी. लेकिन आज वही झारखंड अंधेरे में डूबा हुआ है.

भाइयों-बहनों, आप देखिये कोयले की खदानों पर ताले लगे हैं और इतना ही नहीं, सरकारों पर ऐसा अविश्वास हुआ है कि एक मुट्ठी भर बालू भी नहीं उठा पाये. ऐसी स्थिति पैदा कर दी गयी. कौन पाप कर रहे हैं ये, कोयले की चोरी, कोयले का घोटाला, आज देश में 20 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली का कारखाना कोयले के अभाव में बंद पड़े हैं. झारखंड में कोयले की खदान बंद पड़ी हैं. यहां नौजवान बेरोजगार हैं. वहां बिजली के कारण नौजवान बेरोजगार हैं और बिजली के बिना लाखों कारखाने बंद होने के कारण पूरे देश की अर्थ नीति चरमरा गयी है. लेकिन न दिल्ली की सरकार को इसकी परवाह है, न ही दिल्ली की सरकार को इसकी चिंता है. और इसलिए भाइयों-बहनों, अगर देश के नौजवानों को रोजगार मिले. इसे प्राथमिकता देकर विकास की नयी दिशा तय नहीं करेंगे, तो हमारी युवा शक्ति भारत की भाग्य विधाता नहीं बन पायेगी. हमारी युवा शक्ति भारत की निर्माता नहीं बन पायेगी. और इसलिए भाइयों बहनों, नौजवान को रोजगार मिले, नौजवान को शिक्षा मिले, नौजवान के लिए स्कील डेवलपमेंट का काम हो, उस पर हम जितना बल देंगे उतना ही हमारे नौजवानों को झारखंड छोड़ कर के अड़ोस-पड़ोस के राज्य में रोजी रोटी कमाने के लिए जाना नहीं पड़ेगा.

और इसलिए, भाइयों -बहनों, मैं आज आपसे कहने आया हूं कि आप आजादी के इतने सालों के बाद भी कुछ निर्णय की आवश्यकताओं की पूर्ति के अभाव में जीना पड़ रहा है, उसके सामने झारखंड एक बन कर के अपने सपनों को पूरा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी को साथ दे. मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूं. झारखंड के भाग्य के निर्माण में भाजपा की दिल्ली में सरकार बनेगी, तो कभी हम कोताही नहीं बरतेंगे, कभी हम पीछे नहीं रहेंगे. यह विश्वास दिलाने मैं आया हूं.

भाइयों-बहनों, अब कांग्रेस पार्टी इस देश के लिए बोझ बन गयी है. कांग्रेस स्वयं देश के लिए संकट बन गयी है, क्योंकि कांग्रेस जनता से कटी हुई है. जनता को क्या चाहिए, ये कांग्रेस पार्टी को, उनकी सरकारों को, उनकी नेताओं को, उनके मार्गदर्शकों को जनता की आवाज सुनाई नहीं देती है. ये जनता से कटे हुए लोग हैं और इसलिए भाइयों बहनों, समय की मांग है कि हम जनता की आवाज को पहचाने.

देश की जनता को विकास चाहिए, विभाजन नहीं चाहिए. देश की जनता को अवसर चाहिए, राजनीतिक अवसरवादिता नहीं चाहिए. देश के नौजवान के हाथों में हुनर चाहिए, उसे राजनीतिक हथकंडों की जरूरत नहीं है. देश के युवाओं को कौशल्य चाहिए, देश के युवाओं को कौमवाद नहीं चाहिए. लोगों को रोजगार चाहिए, राजनीतिक उठा-पटक नहीं चाहिए. लोगों को सुरक्षा चाहिए, सांप्रदायिकता का जहर नहीं चाहिए. किसानों को बिजली चाहिए, जातिवादी आश्वासन नहीं चाहिए. बुजुर्गो को सहारा चाहिए, संघर्ष नहीं चाहिए. ये भाव को लेकर के जनसामान्य के आशाओं,आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए हम कुछ करने का संकल्प लेंगे.

भाइयों-बहनों, ये आकाशवाणी करनेवाले लोग न देश का भला कर सकते हैं और न देश के सपने पूरे कर सकते हैं. झारखंड के मेरे भाइयों-बहनों ये ऐतिहासिक रैली है. मैं जब हेलीकॉप्टर से देख रहा था मीलों तक लोग कतार लगा कर आ रहे थे. पता नहीं अभी भी पहुंच पाये, होंगे या नहीं पहुंच पाये. ये दृश्य अपने आप में देश के भविष्य की तसवीर दिखा रहा है. दोस्तों और भाइयों-बहनों मैं साफ देख रहा हूं 2014 का चुनाव. ये चुनाव एक जन आंदोलन बन जायेगा. जो कुशासन के खिलाफ जंग में परिवर्तित हो रहा है. जो सुशासन के लिए नयी सरकार को स्थापित करने का आधार बन जायेगा. और इसलिए भाइयों-बहनों विकास के मंत्र को लेकर के हम आगे बढ़े नौजवानों का भविष्य तय करें, माताओं-बहनों के सम्मान और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए विकास के मार्ग पर ही चलना होगा. इसी शुभकामनाओं के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.

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