राजनीतिक राह सरपट नहीं फिर हिचकोले खायेगा राज्य

रांची: झारखंड में राजनीतिक राह सरपट नहीं है. आनेवाले वर्ष में चुनाव होने हैं. लोकसभा-विधानसभा, दोनों ही चुनाव में रंजिश तीखी होने की उम्मीद है. झारखंड में किसी के पक्ष में चुनावी बयार नहीं है. किसी एक पार्टी की स्थिति सत्ता के करीब पहुंचनेवाली नहीं है. आनेवाले समय में झारखंड राजनीतिक सफर में हिचकोले ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 2, 2014 7:52 AM

रांची: झारखंड में राजनीतिक राह सरपट नहीं है. आनेवाले वर्ष में चुनाव होने हैं. लोकसभा-विधानसभा, दोनों ही चुनाव में रंजिश तीखी होने की उम्मीद है. झारखंड में किसी के पक्ष में चुनावी बयार नहीं है. किसी एक पार्टी की स्थिति सत्ता के करीब पहुंचनेवाली नहीं है. आनेवाले समय में झारखंड राजनीतिक सफर में हिचकोले ही खायेगा. राजनीतिक अस्थिरता की कहानी आनेवाले समय में भी खत्म होने की उम्मीद नहीं है. नये वर्ष में भी राजनीति की कोई नयी दास्तां लिखे जाने का कयास लगाना मुश्किल है. भाजपा-कांग्रेस पस्त है. हालांकि, नरेंद्र मोदी भाजपा में जान फूंक गये हैं. नरेंद्र मोदी भाजपा की धार झारखंड में कितनी तेज कर पायेंगे, यह भी भविष्य के गर्भ में है. कांग्रेस की दशा सही नहीं चल रही है. भाजपा-कांग्रेस का गणित बिगाड़ने के लिए क्षेत्रीय दल तैयार हैं.

झाविमो, आजसू जैसी पार्टियों ने अलग-अलग इलाके में पैठ बनायी है और कांग्रेस-भाजपा को अकेले फसल नहीं काटने देंगे. झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने जमीनी स्तर पर राज्य भर में संगठन खड़ा कर लिया है. लगातार विपक्ष में रहते हुए संघर्ष की बदौलत रास्ता तैयार किया है. वहीं आजसू भी दूसरों का चुनावी समीकरण बिगाड़ रही है. झामुमो का अपने परंपरागत वोट पर एकाधिकार कायम है. झामुमो के वोट बैंक को हिलाना दूसरी पार्टियों के लिए थोड़ा मुश्किल है. झारखंड में एक तरकस में कई तीर हैं. ऐसे में किस तीर का निशाना सही बैठेगा, बताना मुश्किल है. बड़े दलों की कश्ती शायद आनेवाले समय में इनके सहारे मंझधार पार करे.

निर्दलीयों के मैदान से राष्ट्रीय दल साफ: आनेवाले चुनाव में निर्दलीयों और छोटे दलों की वही भूमिका रहेगी. निर्दलीयों के पैठवाले इलाके में राष्ट्रीय दल साफ हैं. मधु कोड़ा निर्दलीय सांसद बने हैं.

चाईबासा से सांसद मधु कोड़ा ने यहां से कांग्रेस का पत्ता काट ही दिया है. मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को कांग्रेस में शामिल कर पार्टी बैसाखी की तलाश कर रही है. हालांकि, अभी केंद्रीय नेतृत्व ने गीता कोड़ा को शामिल करने की बात से इनकार किया है. विधायक बंधु तिर्की, एनोस एक्का, विदेश सिंह, चमरा लिंडा जैसे राजनीतिक खिलाड़ियों को मात देने के लिए राष्ट्रीय दलों के पास न तो चेहरा है और न ही एजेंडा है. राजनीतिक बिसात पर निर्दलीयों की फिर अपनी ही गोटी होगी. झारखंड की राजनीति में आनेवाले समय में निर्दलीय फिरएक ध्रुव होंगे.

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