पुलिस मुख्यालय से आयी रिपोर्ट, दो हजार लोगों की सुरक्षा में 22 सौ जवान

रांची: राज्य के दो हजार लोगों की सुरक्षा में पुलिस के 22 सौ से अधिक जवान अंगरक्षक के रूप में तैनात हैं. पिछले दिनों पुलिस मुख्यालय में सभी जिलों से आयी रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आया था. रिपोर्ट के मुताबिक जिन्हें ये सुरक्षा उपलब्ध कराये गये हैं, उनमें जज, अधिकारी, नेता, ठेकेदार और व्यवसायी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2014 8:47 AM

रांची: राज्य के दो हजार लोगों की सुरक्षा में पुलिस के 22 सौ से अधिक जवान अंगरक्षक के रूप में तैनात हैं. पिछले दिनों पुलिस मुख्यालय में सभी जिलों से आयी रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आया था. रिपोर्ट के मुताबिक जिन्हें ये सुरक्षा उपलब्ध कराये गये हैं, उनमें जज, अधिकारी, नेता, ठेकेदार और व्यवसायी शामिल हैं.

रिपोर्ट की समीक्षा के बाद पुलिस मुख्यालय ने जिलों के एसपी से कहा था कि अंगरक्षक के रूप में सुरक्षा में तैनात जवानों की संख्या कम करें. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यालय के इस निर्देश के बाद हाल में कई जिलों में अंगरक्षक उपलब्ध करा दिये हैं. इस बारे में अलग से रिपोर्ट मंगायी जा रही है.

डीआइजी नहीं करते समीक्षा
खतरे की समीक्षा कर सुरक्षा के लिए हर जिले में जिलास्तरीय सुरक्षा समिति बनी है. जिले के डीसी इसके अध्यक्ष होते हैं और एसपी और स्पेशल ब्रांच के पदाधिकारी सदस्य. यही कमेटी लोगों को अंगरक्षक उपलब्ध कराने का निर्णय लेती है. इस कमेटी के द्वारा लिये गये निर्णय की समीक्षा करने के लिए प्रमंडल स्तर पर कमिश्नर और डीआइजी की कमेटी है. लेकिन झारखंड में यह कमेटी काम ही नहीं करती. करीब छह माह पहले स्पेशल ब्रांच के एडीजी रेजी डुंगडुंग ने इस बाबत एक पत्र सभी कमिश्नर और डीआइजी को लिखा था, लेकिन किसी भी प्रमंडल में इस पत्र के आलोक में कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

पेमेंट पर दें अंगरक्षक
स्पेशल ब्रांच के एडीजी ने कुछ दिन पहले एक पत्र सभी एसपी को लिखा था. जिसमें कहा गया था कि जिन लोगों को भी अंगरक्षक उपलब्ध कराया गया है, उनके ऊपर के खतरे की समीक्षा करें. जिन्हें जरूरत नहीं है, उनकी सुरक्षा वापस की जाये. साथ ही अंगरक्षक लेनेवाले से अंगरक्षक के ऊपर आनेवाले खर्च का भुगतान लिया जाये. एडीजी के इस पत्र का भी जिलों के एसपी ने कोई पालन नहीं किया है.

क्या है कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल राज्यों के सरकार से कहा था कि वह अंगरक्षक के रूप में तैनात जवानों की संख्या में कमी लाये. जिन्हें सुरक्षा देना जरूरी है, उन्हें जरूर अंगरक्षक दें. लेकिन पहले यह जांच लें कि संबंधित व्यक्ति को सुरक्षा उपलब्ध कराना जरूरी है या नहीं.

Next Article

Exit mobile version