राज्य में सचिवों का औसत कार्यकाल एक साल भी नहीं, कैसे होगा विकास

-विवेक चंद्र-रांचीः राज्य गठन के बाद 13 वर्षो में विभागीय सचिवों का औसत कार्यकाल एक वर्ष से भी कम रहा है. राज्य में इन 13 सालों में 13 मुख्य सचिव बनाये जा चुके हैं. वहीं 19 विकास आयुक्त बदले गये हैं. सरकार के राजस्व विभागों में भी नियमों को ताक पर रख कर तबादले किये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2014 5:24 AM

-विवेक चंद्र-
रांचीः राज्य गठन के बाद 13 वर्षो में विभागीय सचिवों का औसत कार्यकाल एक वर्ष से भी कम रहा है. राज्य में इन 13 सालों में 13 मुख्य सचिव बनाये जा चुके हैं. वहीं 19 विकास आयुक्त बदले गये हैं. सरकार के राजस्व विभागों में भी नियमों को ताक पर रख कर तबादले किये गये.

विभागीय सचिवों का सबसे ज्यादा तबादला नगर विकास विभाग में किया गया है. नगर विकास विभाग के सचिव 19 बार बदले गये हैं. झारखंड बनने के बाद राज्य में खान विभाग में 17 सचिव, खाद्य आपूर्ति और श्रम विभाग में 18-18 सचिव और स्वास्थ्य विभाग में 16 सचिव बनाये गये हैं.

दो सालों के पहले तबादला नहीं करने का है नियम : भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का कार्यकाल किसी एक पद पर न्यूनतम दो वर्षो तक का निर्धारित है. भारत सरकार ने प्रशासनिक सुधार के लिए आयोग का गठन किया था. आयोग ने अधिकारियों के तबादले और उससे होनेवाले प्रभावों का अध्ययन किया और सरकार को रिपोर्ट दी. आयोग ने अपनी अनुशंसा में कहा था कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के किसी पदाधिकारी का जल्दी-जल्दी तबादला करने से विकास कार्य प्रभावित होता है.

किसी विभाग में किसी नये अधिकारी को पदस्थापित करने के बाद उसे उस विभाग के नियम, कानून और दायित्वों को समझने में समय लगता है. इसके बाद वह विभाग का काम-काज शुरू करता है. उसे विभाग का काम-काज सही तरीके से करने के लिए और उसका परिणाम जानने के लिए कम से कम दो साल का समय मिलना चाहिए. अर्थात किसी पद पर पदस्थापित वरीय अधिकारी को उसके पद पर कम से कम दो सालों तक काम करने देना चाहिए.

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