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पूर्व राज्यपाल सिब्ते रजी और जज के बेटे के घर सीबीआइ छापा

रांची: सीबीआइ ने मंगलवार को बोकारो स्टील लिमिटेड (बीएसएल) नियुक्ति घोटाले में पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के पुत्र एसएन रजी और सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीजीआर पटनायक के बेटे वाइसी पटनायक के घर सहित 36 ठिकानों पर छापा मारा. रांची, बोकारो, दिल्ली, मुंबई सहित 10 शहरों में स्थित इनके ठिकानों पर की गयी छापेमारी में नियुक्ति […]

रांची: सीबीआइ ने मंगलवार को बोकारो स्टील लिमिटेड (बीएसएल) नियुक्ति घोटाले में पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के पुत्र एसएन रजी और सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीजीआर पटनायक के बेटे वाइसी पटनायक के घर सहित 36 ठिकानों पर छापा मारा. रांची, बोकारो, दिल्ली, मुंबई सहित 10 शहरों में स्थित इनके ठिकानों पर की गयी छापेमारी में नियुक्ति व गड़बड़ी से संबंधित दस्तावेज जब्त किये गये हैं.

गलत तरीके से नियुक्त होने और नियुक्ति में शामिल अधिकारियों के जिन 36 ठिकानों पर छापे पड़े, उनमें से तीन महत्वपूर्ण ठिकाना रांची और एक दिल्ली में है. सेवानिवृत्त जज डीजीआर पटनायक के पुत्र के पीपी कंपाउंड व अशोक नगर में बोकारो स्टील के तत्कालीन सहायक महा प्रबंधक एएस हेंब्रम के घर की तलाशी ली गयी. गलत ढंग से नौकरी पानेवाले रांची के संतोष कुमार के सेटेलाइट कॉलोनी स्थित घर पर भी छापा पड़ा. सीबीआइ अधिकारियों के एक दल ने झारखंड के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के पुत्र के दिल्ली स्थित ठिकाने पर भी छापा मारा.

सीबीआइ ने दर्ज की है प्राथमिकी : बीएसएल में हुई नियुक्ति घोटाले के सिलसिले में सीबीआइ ने एक प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें बीएसएल के तत्कालीन छह अधिकारियों और गलत ढंग से नियुक्त हुए लोगों को अभियुक्त बनाया गया है. आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सुनियोजित साजिश के तहत विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया. हालांकि बीएसएल की बेतिया परियोजना में इन पदों पर नियुक्ति की कोई जरूरत नहीं थी.

विज्ञापन प्रकाशित करने के बाद इन अधिकारियों ने गलत तरीके से झारखंड के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के पुत्र एसएन रजी को मैनेजर के पद पर नियुक्त कर लिया. इसी तरह हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीजीआर पटनायक के पुत्र वाइसी पटनायक को भी नियुक्त किया गया. इनके अलावा अन्य आठ लोगों को दिल्ली कार्यालय में अटेंडेंट को-ऑर्डिनेशन के पद पर नियुक्त किया गया. वर्ष 2007 में नियुक्त किये गये लोगों में से अब तक किसी को भी बेतिया प्रोजेक्ट में पदस्थापित नहीं किया गया है. मामले की जांच एसके झा, हाबिल, आशीष और सुधीर कुमार कर रहे हैं.

कैसे दर्ज हुई प्राथमिकी
दीवान इंद्रनील सिन्हा ने बीएसएल में अवैध नियुक्तियों के सिलसिले में सीबीआइ धनबाद को लिखित शिकायत की थी. इसमें न्यायाधीश, राजनीतिज्ञ सहित अन्य प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदारों को गलत तरीके से नियुक्त करने से संबंधित विस्तृत ब्योरा और साक्ष्य दिये गये थे. इसकी एक प्रति केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को भी भेजी गयी थी. सीबीआइ और सीवीसी को शिकायत करनेवाले व्यक्ति ने अपने पत्र में लिखा था कि अगर उसकी शिकायत गलत पायी गयी, तो वह हर तरह की सजा भुगतान को तैयार है. इसके बाद शिकायतों व नियुक्तियों की प्रारंभिक जांच हुई. सीवीसी ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. इसके बाद सीबीआइ ने दो प्राथमिकियां दर्ज की.

13 उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाया गया
जांच एजेंसी ने जूनियर प्रबंधक एसएम रजी, राजकुमार जटिया और योगेश चंद्र पटनायक को नामजद किया है. ये लोग क्रमश: एक पूर्व राज्यपाल, एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश के रिश्तेदार हैं. यह आरोप लगाया गया है कि भरती प्रक्रिया में इन उम्मीदवारों का समर्थन किया गया था. उप प्रबंधक रितेश को भी सीबीआइ ने प्राथमिकी में नामजद किया है. वह भी इसी तरह नियुक्त हुए थे. सीबीआइ ने ये मामले आइपीसी की विभिन्न धाराओं धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज किये हैं. नियुक्ति के समय वरिष्ठ पदों पर काबिज बोकारो इस्पात संयंत्र के कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी भी प्राथमिकी में आरोपी बनाये गये हैं, जिनमें तत्कालीन कार्यकारी निदेशक जिवेश मिश्र भी शामिल हैं. यह आरोप लगाया गया है कि करीब 13 उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाया गया और ये लोग संयंत्र में मध्य एवं जूनियर प्रबंध स्तर के पदों के लिए चयनित किये गये.

आरके गौर, सीबीआइ प्रवक्ता, दिल्ली

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