किसानों के नाम पर एक वर्ग हो रहा है मालामाल
रांची: किसानों के हितों के नाम पर एक वर्ग मालामाल हो रहा है. सिंचाई के लिए किसानों को आवंटित राशि पटवन सामग्री देनेवालों की जेब में जा रही है. इसमें करीब 60 से 70 फीसदी राशि की गड़बड़ी की जा रही है. यह राशि आपूर्तिकर्ता व इस सिस्टम से जुड़े लोग हड़प रहे हैं. इसका […]
रांची: किसानों के हितों के नाम पर एक वर्ग मालामाल हो रहा है. सिंचाई के लिए किसानों को आवंटित राशि पटवन सामग्री देनेवालों की जेब में जा रही है. इसमें करीब 60 से 70 फीसदी राशि की गड़बड़ी की जा रही है.
यह राशि आपूर्तिकर्ता व इस सिस्टम से जुड़े लोग हड़प रहे हैं. इसका आकलन किसानों को दी गयी पटवन सामग्री से किया जाता है. सूत्रों के अनुसार किसानों को जो सामग्री आवंटित की जाती है, उसकी लागत 60 से 70 हजार रुपये होती है, पर उन किसानों के नाम पर दो लाख या इससे ज्यादा राशि की निकासी हुई है.
अफसरों ने बंद कर ली आंखें : इतनी बड़ी गड़बड़ी पर अफसरों व कर्मचारियों की कभी नजर नहीं पड़ती. इस गड़बड़ी की ओर से अफसर ध्यान ही नहीं देते. किसी भी स्तर पर इसे चेक नहीं किया गया. यह भी नहीं देखा जाता कि किसानों को पटवन सामग्री मिली है या नहीं. अगर मिली है, तो उनके खेतों में इसे लगाया गया है या नहीं. आपूर्तिकर्ताओं की ओर से दी गयी रिपोर्ट को ही अफसर सही मान लेते हैं. लाभुकों के चयन के दौरान न तो वे फील्ड में जाते हैं और न ही पटवन सामग्री लगने के बाद निरीक्षण करते हैं.
नियमों का पालन नहीं होता : केंद्र की इस योजना में नियमों का पालन नहीं किया जाता. लाभुकों के चयन के बाद उनके खेत में लाभुक, आपूर्तिकर्ता कंपनी के प्रतिनिधि व जिला उद्यान पदाधिकारी या उनके प्रतिनिधि एक साथ निरीक्षण करने जायें. तीनों का एक साथ फोटोग्राफी होनी चाहिए. यह फोटो उस फाइल में लगानी है, जिसमें लाभुक के सारे दस्तावेज हों. देखा गया है कि अधिकतर किसानों के साथ फोटोग्राफी नहीं हुई है. इसका उद्देश्य था कि अफसर व आपूर्तिकर्ता कंपनी के प्रतिनिधि फील्ड में जाकर वस्तुस्थिति से अवगत हों. इसका पालन नहीं किया जाता.