कांग्रेस की लहर पर भारी था झापा का झंडा

रांची/तोरपा: अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित खूंटी संसदीय सीट पर भाजपा के कड़िया मुंडा ने कुल सात बार जीत दर्ज की है. आजादी के बाद से अब तक खूंटी संसदीय क्षेत्र पर छह बार भाजपा, पांच बार झारखंड पार्टी, तीन बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवार ने परचम लहराने में सफलता पायी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 25, 2014 7:30 AM

रांची/तोरपा: अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित खूंटी संसदीय सीट पर भाजपा के कड़िया मुंडा ने कुल सात बार जीत दर्ज की है. आजादी के बाद से अब तक खूंटी संसदीय क्षेत्र पर छह बार भाजपा, पांच बार झारखंड पार्टी, तीन बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवार ने परचम लहराने में सफलता पायी है.

आजादी के बाद देश भर में कांग्रेस की लहर होने के बावजूद खूंटी संसदीय क्षेत्र में झारखंड की क्षेत्रीय पार्टी (झारखंड पार्टी) की स्थिति काफी मजबूत थी. खूंटी लोकसभा क्षेत्र के शुरुआती तीन चुनाव में झारखंड पार्टी के उम्मीदवार जयपाल सिंह (मरांग गोमके) ने जीत की हैट्रिक लगायी. वर्ष 1952, 1957 तथा 1962 के आम चुनाव में जयपाल सिंह ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की.

वर्ष 1963 में जयपाल सिंह कांग्रेस में शामिल हो गये. वर्ष 1967 का चुनाव उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ा और फिर से जीत दर्ज की. तब एनइ होरो ने झारखंड पार्टी की कमान संभाली. 1971 के लोकसभा चुनाव में श्री होरो झारखंड पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी दंगल में उतरे. कांग्रेस उम्मीदवार को मात देकर वह सांसद भी बने.

1977 के चुनाव तक देश में परिस्थितियां बदल गयी थीं. उस समय पूरे देश में जनता पार्टी की लहर चल रही थी. उसी वर्ष कड़िया मुंडा पहली बार लोकसभा पहुंचे. जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कड़िया मुंडा झारखंड पार्टी के निवर्तमान सांसद एनइ होरो को हरा कर सांसद बने. पहली बार सांसद बने कड़िया मुंडा केवल तीन वर्षो तक ही संसद में रहे. बदली राजनीतिक परिस्थितियों में वर्ष 1980 में फिर से चुनाव हुए. इस बार कड़िया मुंडा अपनी जीत बरकरार नहीं रख सके. वे झारखंड पार्टी के एनइ होरो से चुनाव हार गये. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुएआम चुनाव में देश भर में कांग्रेस पार्टी को सहानुभूति का लाभ मिला. इसी का फायदा उठाते हुए खूंटी में भी कांग्रेस उम्मीदवार साइमन तिग्गा ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1989,1991,1996,1998 तथा 1999 के आम चुनावों में कड़िया मुंडा ने भाजपा के टिकट पर लगातार पांच बार जीत दर्ज कर कीर्तिमान बनाया. वर्ष 2004 में उनकी डबल हैट्रिक पर कांग्रेस ने ब्रेक लगाया. चुनाव में कड़िया मुंडा कांग्रेस प्रत्याशी सुशीला केरकेट्टा से हार गये. वर्ष 2009 के चुनाव में कड़िया मुंडा कांग्रेस के नियल तिर्की को हरा कर सातवीं बार सांसद बने. श्री मुंडा 15वीं लोकसभा के उपाध्यक्ष हैं.

Next Article

Exit mobile version