हाइकोर्ट: डीजीएमएस का पक्ष सुनने के बाद निर्देश, ललमटिया खदान हादसे की जांच दो माह में पूरी करें

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को इसीएल की राजमहल कोल परियोजना के ललमटिया खदान हादसे को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. डायरेक्टर जनरल माइंस शेफ्टी (डीजीएमएस) को दो माह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया. जांच रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा गया. कोर्ट ने डीजीएमएस व प्रार्थी का पक्ष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2017 7:02 AM
रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को इसीएल की राजमहल कोल परियोजना के ललमटिया खदान हादसे को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. डायरेक्टर जनरल माइंस शेफ्टी (डीजीएमएस) को दो माह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया. जांच रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा गया. कोर्ट ने डीजीएमएस व प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद उक्त निर्देश दिया.

एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ मार्च की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व डीजीएमएस की अोर से पूर्व में दिये गये जवाब को दाेहराया गया. बताया गया कि 35 कर्मी थे, जिसमें चार रेस्ट पर चले गये थे. कुछ वापस हो गये थे. 23 कर्मी खदान में थे.

हादसे के बाद 18 शव बरामद किये गये. पांच कर्मी लापता हैं. वहीं, प्रार्थी की अोर से पूरक शपथ पत्र दायर कर बताया गया है कि ई-रजिस्टर के आधार पर 47 कर्मी थे. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मो सरफराज ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि 30 दिसंबर 2016 को खदान दुर्घटना हुई थी, जिसमें काफी संख्या में मजदूर दब गये थे. दुर्घटना में दर्जनों मजदूरों की माैत हो गयी थी. प्रार्थी ने सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर खदान से कोयला निकालने का आरोप लगाया है. इसमें इसीएल व खनन कार्य कर रही महालक्ष्मी कंपनी (आउटसोर्सिंग) की मिलीभगत है. मामले की सीबीआइ से जांच कराने का आग्रह किया गया है.

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