बीटेक छात्रा हत्याकांड : सीबीआइ को केस ट्रांसफर होने से पहले ही अनुसंधान ठप

रांची :बूटी बस्ती में बीटेक की छात्रा के साथ दुष्कर्म व हत्या मामले में पुलिस ने सीबीआइ के पास केस ट्रांसफर होने से पहले ही अनुसंधान छोड़ दिया है. वर्तमान में केस का अनुसंधान ठप है. केस को सीबीआइ के पास ट्रांसफर करने की अनुशंसा सरकार ने की थी. पांच फरवरी तक रांची पुलिस के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 6, 2017 7:13 AM
रांची :बूटी बस्ती में बीटेक की छात्रा के साथ दुष्कर्म व हत्या मामले में पुलिस ने सीबीआइ के पास केस ट्रांसफर होने से पहले ही अनुसंधान छोड़ दिया है. वर्तमान में केस का अनुसंधान ठप है. केस को सीबीआइ के पास ट्रांसफर करने की अनुशंसा सरकार ने की थी. पांच फरवरी तक रांची पुलिस के अधिकारियों के पास सीबीआइ को केस ट्रांसफर करने से संबंधित कोई पेपर नहीं पहुंचा है.
केस के अनुसंधानक वर्तमान में सदर थाना में पदस्थापित दारोगा कृष्णा कुमार हैं. उन्होंने जांच के क्रम में अंतिम बार छात्रा के पिता का ब्लड सैंपल छात्रा के शव के डीएनए प्रोफाइल से मिलाने के लिए एफएसएल के पास भेजा था. डीएनए प्रोफाइल मिलान करने का निर्णय छह जनवरी को पुलिस अधिकारियों ने लिया था. एफएसएल ने जांच कर पुलिस को जानकारी दी थी कि छात्रा के शव का डीएनए प्रोफाइल व उसके पिता का डीएनए प्रोफाइल एक ही है.
वर्तमान में केस के अनुसंधान की जिम्मेवारी पुलिस के पास होने के बावजूद जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है. पूर्व में विभिन्न बिंदुओं पर जांच के बाद अारोपी की पहचान तक नहीं हो सकी. सीनियर पुलिस अफसरों ने भी अनुसंधानक को केस से संबंधित निर्देश देना छोड़ दिया है. अनुसंधान ठप होने की वजह से बीटेक छात्रा हत्याकांड का आरोपी अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है.
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष 16 दिसंबर की सुबह बूटी स्थित घर के एक कमरे से बीटेक की छात्रा का शव बरामद हुआ था. दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर शव जलाने की बात सामने आयी.
घटना को लेकर छात्रा के पिता की शिकायत पर अज्ञात अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया. घटना के बाद सीनियर पुलिस अधिकारियों ने आरोपी की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए घटनास्थल का निरीक्षण किया. पुलिस ने आरोपी की पहचान के लिए छात्रा के मोबाइल नंबर और फेसबुक प्रोफाइल की जांच की. छात्रा को करीब से जानने वाले और बूटी बस्ती के कुछ लोगों की संलिप्तता पर जांच शुरू हुई.
पुलिस ने मामले में करीब 60 लोगों से पूछताछ की. पुलिस ने अनुसंधान के दौरान मिले सुराग के आधार पर आरोपी तक पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. जब पुलिस मामले में आरोपियों का सुराग नहीं लगा सकी, तब सरकार ने परिजनों की मांग पर मामले को सीबीआइ से जांच कराने की अनुशंसा की.

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