70 फीसदी सड़क दुर्घटनाओं का कारण शराब
गंभीर मामला. कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग ने जारी किया आंकड़ा, वर्ल्ड बैंक का भी है यही अनुमान रांची : कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग (सीएडीडी) के अनुसार 70 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं शराब पी कर गाड़ी चलाने की वजह से होती हैं. वर्ल्ड बैंक का भी यही अनुमान है. इस आधार पर राज्य में वर्ष 2015 में […]
गंभीर मामला. कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग ने जारी किया आंकड़ा, वर्ल्ड बैंक का भी है यही अनुमान
रांची : कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग (सीएडीडी) के अनुसार 70 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं शराब पी कर गाड़ी चलाने की वजह से होती हैं. वर्ल्ड बैंक का भी यही अनुमान है. इस आधार पर राज्य में वर्ष 2015 में सड़क दुर्घटनाओं में 2025 लोगों की मौत का कारण शराब है. दूसरी तरफ जनवरी तक सरकार को शराब से राजस्व के रूप में 796 करोड़ रुपये मिले हैं. शराब की वजह से होनेवाली दुर्घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे के किनारे शराब दुकान का नया लाइसेंस देने पर पाबंदी लगा दी है. साथ ही पहले से चल रही दुकानों के लाइसेंस का नवीकरण नहीं करने का आदेश दिया है.
नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में राज्य में 5162 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. इसमें 2893 लोगों की मौत हुई. सीएडीडी को आधार पर इनमें से 2025 लोगों की मौत का कारण शराब की वजह से हुई दुर्घटना है.
अल्कोहल मीटर खत्म, जांच भी बंद
शराब पी कर गाड़ी चलाना दंडनीय अपराध है. मोटर वाहन अधिनियम में इसका प्रावधान है. रांची पुलिस ने पिछले दिनों शराब पी कर गाड़ी चलानेवालों के खिलाफ कार्रवाई करने के उद्देश्य से ‘अल्कोहल मीटर’ का इस्तेमाल किया. दो-तीन दिनों की जांच में कुल 91 लोग पकड़े गये. इसमें से दो का ड्राइविंग लाइसेंस रद्द कर दिया गया. फिलहाल शराब पी कर गाड़ी चलाने की जांच बंद है. इसकी वजह पुलिस के पास अल्कोहल मीटर का समाप्त होना बताया जाता है.
शराबबंदी के निर्णय पर नहीं पहुंची सरकार
शराब बंदी से होनेवाले नुकसान को देखते हुए राज्य के विभिन्न हिस्सों के नागरिकों की ओ्र से राज्य में शराब बंदी की मांग उठती रही है. सरकार के स्तर पर भी अब शराब बंदी की मांग उठी है. पर राज्य सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर निर्णय नहीं लिया है. हालांकि, पड़ोसी राज्य बिहार ने पूरी तरह शराब बंदी लागू कर दी है. पर राज्य सरकार अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. हालांकि, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में नेशनल और स्टेट हाइवे के किनारे नयी दुकानों का आवंटन बंद कर दिया है.
परिवार बरबाद हाे गया
रिनपास में काम करनेवाले एक पूर्व कर्मी के पुत्र बैंक में अधिकारी थे. संयुक्त परिवार में रहने के दौरान ही उनका चयन बैंक पीओ में हुआ. एक राष्ट्रीयकृत बैंक में नौकरी करने के दौरान वह शौकिया शराब पीने लगे. किसी विशेष मौके पर इसका सेवन करते थे. धीरे-धीरे उनको शराब की लत लग गयी.
शराब की लत के कारण वह संयुक्त परिवार से दूर होकर केवल पत्नी और बच्चों के साथ रहने लगे. कुछ दिन राजधानी के विभिन्न ब्रांचों में नौकरी करने के बाद उनका तबादला धनबाद हो गया. वह हर दिन गाड़ी से धनबाद जाते थे. सुबह जाते समय शराब पीकर जाते. ऑफिस में शराब पीते थे. परिवार का ख्याल भी नहीं रहता था. इसी दौरान बैंक में आर्थिक गड़बड़ी और शराब पी कर कार्यालय आने की शिकायत मुख्यालय में हो गयी.
मुख्यालय से जांच के बाद उनकी नौकरी चली गयी. नौकरी जाने के बाद पैसे की कमी के कारण देशी शराब का सेवन करने लगे. धीरे-धीरे उनकी तबीयत खराब हो गयी. इस बीच उनका इलाज कराने का प्रयास भी घर के लोगों ने किया. इससे भी कोई सुधार नहीं हुआ. एक दिन वह सड़क के किनारे मरे हुए पाये गये. उनके आश्रित को नौकरी भी नहीं मिली. कम उम्र में ही पूरा परिवार बिखर गये. बच्चों के सामने खाने-पीने से लेकर पढ़ाई-लिखाई तक का संकट आ गया. रिनपास और सीआइपी में शराब पीनेवालों का इलाज होता है. इसके लिए सीअाइपी में एक विशेष ड्रग डि-एडिक्शन सेंटर भी है.
यहां शराब के साथ-साथ अन्य तरह के नशा करने वाले मरीज भी आते हैं. ज्यादा मरीज शराब पीड़ित ही होते हैं. 2015 में सीआइपी के के इस सेंटर में 1126 मरीज आये. इसमें 736 मरीजों को एडमिट करने की जरूरत पड़ी. करीब-करीब इतनी ही मरीज रिनपास में हर साल इलाज के लिए आते हैं.