नेशनल टाइगर प्रोजेक्ट बेतला में कर्मियों की कमी पर हाइकोर्ट गंभीर, दिया आदेश 30 सितंबर तक 50% कर्मियों को करें नियुक्त

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को राज्य में घटते जंगल व बाघों की कमी काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. राज्य सरकार को नेशनल टाइगर प्रोजेक्ट बेतला में कर्मियों की कमी को दूर करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि देश के किसी भी हिस्से से बाघ को लाकर उसकी संख्या बढ़ायी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 1, 2017 7:44 AM
रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को राज्य में घटते जंगल व बाघों की कमी काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. राज्य सरकार को नेशनल टाइगर प्रोजेक्ट बेतला में कर्मियों की कमी को दूर करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि देश के किसी भी हिस्से से बाघ को लाकर उसकी संख्या बढ़ायी जा सकती है या नहीं, इस पर विचार करें.

मानव व वन्य जीवों के बीच संघर्ष नहीं हो, इसका भी प्रयास किया जाना चाहिए. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने कहा कि टाइगर प्रोजेक्ट में 90 प्रतिशत कर्मियों का पद खाली रहना गंभीर बात है. इसकी अनदेखी कतई नहीं की जा सकती. 30 सितंबर तक हर हाल में 50 प्रतिशत खाली पड़े पदों पर कर्मियों की नियुक्ति की जाये. खंडपीठ ने माैखिक रूप से मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि यदि उक्त अवधि में नियुक्ति नहीं की जाती है, तो वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव व निदेशक का वेतन रोक दें.

कोर्ट के आदेश के बाद ही वेतन की निकासी संभव होगी. टाइगर प्रोजेक्ट निदेशक के जवाब को खंडपीठ ने गंभीरता से लिया. खंडपीठ ने कहा कि टाइगर प्रोजेक्ट क्षेत्र में चेक डैम की क्या स्थिति है. उसमें पानी है या नहीं. पेट्रोलिंग की मॉनिटरिंग के लिए जीपीएस लगाने के लिए कहा. खंडपीठ ने राज्य सरकार को फोटोग्राफ के साथ विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की गयी. सुनवाई के दाैरान टाइगर प्रोजेक्ट के निदेशक सशरीर उपस्थित थे. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि प्रोजेक्ट क्षेत्र में चार बाघ हैं.

95 पेट्रोलिंग कैंप हैं. कर्मियों की भारी कमी है. 164 वनरक्षी के स्वीकृत पद पर 12 वनरक्षी कार्यरत हैं आैर 152 पद रिक्त हैं. वनपाल के 29 में से 20 पद खाली हैं. एसीएफ व रेंजर के कई पद खाली हैं. निचले स्तर के कर्मियों की कमी की वजह से कार्य पर असर पड़ता है. सरकार की अोर से बताया गया कि प्रोजेक्ट क्षेत्र में आठ गांव पड़ते हैं. उन गांवों में रहनेवाले लोगों के लिए दूसरी जगह पुनर्वास पर विचार किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विकास महतो ने जनहित याचिका दायर की है.

सीसीएल से जवाब मांगा
हाइकोर्ट ने डकरा-खलारी में कोयला ढुलाई से हो रहे प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सीसीएल को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. शपथ पत्र दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि प्रदूषण रोकने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं. जवाब नहीं देने पर कोल साइडिंग को बंद करने का भी कोर्ट आदेश दे सकती है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 मार्च की तिथि निर्धारित की गयी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई.

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