आदेश के तीन माह बीत गये, नहीं गिरफ्तार हुआ दारोगा संतोष रजक

रांची: धनबाद के जीटी रोड पर ट्रक चालक को गोली मारने, चालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और इंस्पेक्टर उमेश कच्छप की मौत के मामले में धनबाद में तीन मामले दर्ज किये गये थे. तीनों मामलों का सुपरविजन रांची रेंज के तत्कालीन डीआइजी आरके धान ने किया था. उन्होंने 17 नवंबर 2016 को सुपरविजन रिपोर्ट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 18, 2017 7:21 AM
रांची: धनबाद के जीटी रोड पर ट्रक चालक को गोली मारने, चालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और इंस्पेक्टर उमेश कच्छप की मौत के मामले में धनबाद में तीन मामले दर्ज किये गये थे. तीनों मामलों का सुपरविजन रांची रेंज के तत्कालीन डीआइजी आरके धान ने किया था. उन्होंने 17 नवंबर 2016 को सुपरविजन रिपोर्ट दे दी थी. पीड़ित द्वारा राजगंज थाना में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी की सुपरविजन रिपोर्ट में उन्होंने दारोगा संतोष रजक के खिलाफ आर्म्स एक्ट (भादवि की धारा 27) और हत्या का प्रयास (भादवि की धारा 307) के तहत आरोप सही पाया था.

साथ ही अनुसंधानक को निर्देश दिया था कि दारोगा संतोष रजक को गिरफ्तार किया जाये. गिरफ्तारी नहीं होने की स्थिति में कुर्की-जब्ती की जाये. सुपरविजन रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि गलत कार्रवाई को छिपाने के लिए दारोगा ने ड्राइवर व खलासी के पास से पिस्तौल व गोली की बरामदगी दिखवा कर तोपचांची थाना में कांड संख्या-98/2016 दर्ज करवाया. इस मामले के सुपरविजन में डीआइजी ने यह पाया है कि एसडीपीओ ने अपने कनीय पदाधिकारियों द्वारा किये जा रहे अापराधिक कृत्य की अनदेखी की. इंस्पेक्टर डीके मिश्रा की भूमिका को भी डीआइजी ने संदेहास्पद पाया है. एसडीपीओ व इंस्पेक्टर के खिलाफ उन्होंने प्रशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गयी.

तीन माह में जांच करनी थी, नौ माह बीत गये : सरकार ने इंस्पेक्टर उमेश कच्छप की मौत के मामले की जांच तीन माह में पूरी करने का आदेश दिया था, लेकिन नौ माह बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हुई है. जांच को लटकाने की कोशिशें भी होने लगी हैं. अनुसंधानक की नियुक्ति करने के लिए एडीजी सीआइडी ने डीजीपी को प्रस्ताव भेजा. ऐसा पहली बार हुआ. सीआइडी स्वतंत्र एजेंसी है. हालात यह है कि अनुसंधानक सीआइडी के तत्कालीन एसपी अमोल वेणुकांत होमकर के स्थानांतरण के 50 दिन बाद तक अनुसंधानक बनाये गये एसपी नरेंद्र कुमार सिंह ने अनुसंधान का प्रभार ही नहीं लिया था. 13 जून 2016 की रात धनबाद के राजगंज थाना क्षेत्र में जीटी रोड पर ट्रक चालक को गोली मारने की घटना के तीन दिन बाद इंस्पेक्टर उमेश कच्छप का शव तोपचांची थाना परिसर के कमरे में लटकता मिला था. इंस्पेक्टर की मौत के बाद यह मामला खुला कि पुलिस जीटी रोड पर मवेशी लदे वाहनों से वसूली का काम करती थी. इंस्पेक्टर के परिजनों के आरोप पर सरकार ने एडीजी सीआइडी व कैबिनेट सचिव एसएस मीणा ने पूरे मामले की जांच करायी थी.
एफएसएल की रिपोर्ट सुपरिवजन से अलग
डीआइजी ने अपनी सुपरविजन रिपोर्ट में लिखा है कि ट्रक चालक मो नजीम को गोली मारने की घटना के बाद दारोगा संतोष रजक ने चालक व खलासी नफीस के पास से हथियार की बरामदगी दिखलायी. इस बीच हजारीबाग के मंगल बाजार निवासी पवन कुमार गुप्ता ने सीआइडी के एडीजी को एक आवेदन दिया है. आवेदन के साथ उन्होंने एफएसएल जांच की कॉपी भी लगायी है. जिसे श्री गुप्ता ने सूचना अधिकार के तहत एफएसएल, रांची से प्राप्त किया है. आवेदन में श्री गुप्ता ने कहा है कि डीआइजी ने सुपरविजन से पहले सभी बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया है. आठ माह से दो पुलिस पदाधिकारियों को निलंबित रखा गया है और दो पुलिस पदाधिकारियों को अन्य जिला में पदस्थापित कर दिया गया है. एफएसएल रिपोर्ट के मुताबिक खलासी नफीस के हाथ के पाउडर की जांच कर कहा गया है कि पुलिस ने जो हथियार बरामद किये हैं, उससे नफीस ने दाहिने हाथ से फायरिंग की थी.

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