पीएम से नियुक्ति प्रमाण पत्र दिलाया जाना नियमानुकूल : पुलिस प्रवक्ता

रांची: पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता ने प्रभात खबर के पहले पन्ने पर (पहले से नियुक्त जवानों को ही पीएम से दिलवाया नियुक्ति पत्र) शीर्षक से छपी खबर का खंडन किया है. पुलिस प्रवक्ता ने कहा है कि पुलिस हस्तक नियम-674 के प्रावधानों के अंतर्गत ऐसा किया गया है. पुलिस हस्तक नियम 674-क में निम्न प्रावधान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 11, 2017 6:18 AM
रांची: पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता ने प्रभात खबर के पहले पन्ने पर (पहले से नियुक्त जवानों को ही पीएम से दिलवाया नियुक्ति पत्र) शीर्षक से छपी खबर का खंडन किया है. पुलिस प्रवक्ता ने कहा है कि पुलिस हस्तक नियम-674 के प्रावधानों के अंतर्गत ऐसा किया गया है. पुलिस हस्तक नियम 674-क में निम्न प्रावधान है.

अधिनियम-5, 1861 की धारा-8 के अधीन प्रमाण-पत्र अवर निरीक्षक या प्रारक्ष अवर निरीक्षक अथवा इससे नीचे की पंक्ति के आरक्षी-कर्मी को नियुक्ति के बाद अधिनियम-5, 1861 की धारा-8 में वर्णित पद का प्रमाण पत्र मिलेगा. आरक्षी हस्तक प्रपत्र सं0-107 (बयान के साथ संलग्न) के अनुसार जिन आरक्षियों की नियुक्ति हो चुकी है, उन्हें आरक्षी अधिकारी की शक्तियां, कृत्य और विशेषाधिकार सौपे जाते हैं.

वस्तुतः इस नियुक्ति प्रमाण-पत्र का संबद्ध आरक्षियों के प्रथम नियुक्ति से कोई संबंध नहीं है, बल्कि इससे नियुक्त आरक्षियों को पुलिस अधिकारी की शक्तियां, कृत्य और विशेषाधिकार सौंपे जाते हैं. अमूमन यह प्रशिक्षण के प्रारंभिक दिनों में दिया जाता है. विशेष इंडिया रिजर्व बटालियन के दोनों इकाइयों में समाज के अंतिम छोर पर मौजूद आदिम जनजाति के सदस्यों को नियुक्ति कर विकास की मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास किया गया. नियुक्ति के पश्चात इनकी प्रारंभिक प्रशक्षिण इनके इकाई मुख्यालय में प्रारंभ कर दी गयी है तथा नियमित प्रशक्षिण के लिए ये शीघ्र प्रशक्षिण संस्थानों में जानेवाले हैं.

आदिम जनजाति के सदस्यों के जीवन में हुई इस क्रांतिकारी परिवर्तन के महत्व को समझते हुए राज्य सरकार के द्वारा माननीय प्रधानमंत्री द्वारा सांकेतिक रूप में पांच आरक्षियों को यह नियुक्ति प्रमाण-पत्र दिलाया गया. यह बिल्कुल नियमानुकूल है. इस विषय को इस प्रकार से रखा जाना कि पहले से नियुक्त आरक्षियों को प्रधानमंत्री के द्वारा पुनः नियुक्ति प़त्र दिलाया गया, दुर्भाग्यपूर्ण विश्लेषण है. इससे अवांछनीय रूप से भ्रम की स्थिति पैदा करने का प्रयास किया गया है.

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