कुंदन पाहन से पूछे पुलिस, मेरे पति को कहां दफनाया
15 लाख के इनामी पूर्व माओवादी कुंदन पाहन ने रविवार को डीआइजी एवी होमकर के सामने सरेंडर किया. इसे पुलिस बड़ी उपलब्धि मान रही है. वहीं, दूसरी ओर पुलिस विभाग ने कुंदन पाहन को जिस तरह से सरेंडर कराया, उस पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं. कुंदन पाहन की वजह से जिनका परिवार उजड़ […]
15 लाख के इनामी पूर्व माओवादी कुंदन पाहन ने रविवार को डीआइजी एवी होमकर के सामने सरेंडर किया. इसे पुलिस बड़ी उपलब्धि मान रही है. वहीं, दूसरी ओर पुलिस विभाग ने कुंदन पाहन को जिस तरह से सरेंडर कराया, उस पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं. कुंदन पाहन की वजह से जिनका परिवार उजड़ गया, उन लोगों ने अपनी पीड़ा और आक्रोश व्यक्त किया है. उन्होंने सरेंडर कराने की पॉलिसी पर भी सवाल खड़ा किया है. पीड़ित परिवारों ने एक स्वर में कहा है कि कुंदन पाहन को फांसी की सजा मिलनी चाहिए. कई लोगों की हत्या करने के आरोपी को जब फांसी की सजा दी जाती है, तो एक नक्सली को यह सजा क्यों नहीं मिलनी चाहिए. सरेंडर के खिलाफ आजसू विधायक विकास मुंडा रविवार से ही आमरण अनशन पर अपने समर्थकों के साथ बैठे हैं. सोमवार को झामुमो ने सरकार पर मामले को लेकर तीखा वार किया. उसने कहा कि कुंदन पाहन के सरेंडर के पीछे भाजपा का राजनीतिक एजेंडा काम कर रहा है़ सरेंडर को लेकर अपनी पीड़ा और आक्रोश व्यक्त करनेवालों में राज्य के मंत्री रहे तमाड़ के पूर्व विधायक दिवंगत रमेश सिंह मुंडा की पत्नी बसुंधरा देवी, शहीद डीएसपी प्रमोद कुमार की भाभी मंजू देवी, विशेष शाखा के इंस्पेक्टर शहीद फ्रांसिस इंदवार की पत्नी सुनीता इंदवार व राहे थाना क्षेत्र के सताकी गांव निवासी निर्मला देवी शामिल हैं.
संवाददाता4रांची/सोनाहातू: नक्सली कुंदन पाहन को सरेंडर करने की घटना को पुलिस के अधिकारी अॉपरेशन नयी दिशा की बड़ी सफलता मान रहे हैं. बावजूद इसके राहे थाना क्षेत्र के सताकी गांव निवासी निर्मला देवी के सवालों का जबाव पुलिस के पास नहीं है. निर्मला देवी ने झारखंड पुलिस से सवाल किया है कि वह कुंदन पाहन से पूछ कर बताये कि उसका पति शशिभूषण महतो जिंदा है या मुर्दा. कुंदन पाहन ने उसके पति को कहां दफनाया? उसने कुंदन पाहन से भी सवाल किया है कि उसके पति ने कौन सा अपराध किया था, जो उनका अपहरण किया गया. अगर कुंदन पाहन सच में गरीब का हमदर्द है, तो उसके पति शशिभूषण का शव बरामद करा दे.
निर्मला देवी पिछले आठ सालों से न तो सुहागन की जिंदगी जी रही है और न ही विधवा की. उन्होंने बताया कि 10 जुलाई 2009 की काली रात उसे आज भी याद है. जब कुंदन पाहन और राजेश टोप्पो के दस्ते ने उसके घर पर धावा बोल कर उसके पति शशिभूषण महतो का अपहरण कर लिया था. उसी रात नक्सलियों ने गांव के राशन डीलर व कांग्रेस नेता महेश्वर महतो का भी अपहरण किया था. 12 जुलाई 2009 को बुंडू थाना क्षेत्र के उलीदा जंगल से पुलिस ने महेश्वर महतो का सिर कटा शव बरामद किया था. घटनास्थल से पुलिस ने एक परचा बरामद किया था. जिसमें नक्सलियों ने घटना की जिम्मेदारी ली थी. घटना के करीब आठ साल बीत गये हैं, लेकिन अब तक शशिभूषण महतो का कुछ पता नहीं चला. न तो वह घर वापस लौटे और न ही उनका शव मिला. इस कारण समाज भी अब तक यह तय नहीं कर पाया है कि निर्मला देवी विधवा है या सुहागन. सरकार की तरफ से भी निर्मला देवी को कोई मुआवजा नहीं मिला है. वह किसी तरह अपने दो बेटों व दो बेटियों के साथ जीवन व्यतीत कर रही हैं.
शहीद डीएसपी प्रमोद की भाभी ने कहा, किसी नक्सली को हीरो की तरह पेश करना गलत
128 नक्सली घटनाओं के अभियुक्त और 70 लोगों की हत्या के आरोपी कुंदन पाहन को सजा मिलनी चाहिए. 14 मई को जिस तरीके से कुंदन पाहन को सरेंडर कराया गया, उसे महिमामंडित किया गया है, यह बहुत गलत हुआ है. इससे शहीदों के परिजनों को गहरा झटका लगा है. यह कहना है डीएसपी मनोज कुमार की भाभी मंजू देवी का. मंजू ने सवाल उठाया कि कैसे कुंदन पाहन जैसे नक्सली को हीरो की तरह पेश किया जा सकता है. उसने मेरे देवर डीएसपी प्रमोद कुमार की हत्या की थी. पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा, इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार समेत दर्जनों लोगों का घर उजारा है. उसे माफी नहीं दी जा सकती. डीएसपी प्रमोद कुमार के भाई लक्ष्मी नारायण प्रसाद ने कहा कि सरेंडर करनेवाले नक्सलियों को पुलिस विभाग नौकरी देने की बात करती है, लेकिन शहीद डीएसपी के आश्रित को अब तक नौकरी नहीं मिली है. डीएसपी प्रमोद कुमार मई 2008 में बुंडू में कुंदन पाहन के दस्ते द्वारा किये गये विस्फोट में शहीद हुए थे.
शहीद फ्रांसिस इंदवार की पत्नी सुनीता इंदवार ने कहा, नक्सली कुंदन पाहन को महिमामंडित करना गलत, मिले फांसी की सजा
विशेष शाखा के इंस्पेक्टर शहीद फ्रांसिस इंदवार की पत्नी सुनीता इंदवार ने कहा है कि नक्सली कुंदन पाहन को महिमामंडित किया जाना बुरा लगता है़ उन्होंने कहा कि एक नक्सली जिसने मेरे पति, डीएसपी, कई पुलिसवालों और न जाने कितने ग्रामीणों की निर्मम हत्या की है, उसे पुलिस के अधिकारी गले लगा रहे हैं. यह गलत है़ ऐसा लगा कि वह कोई नेता हो़ सरकार कुंदन पाहन को कड़ी से कड़ी सजा दे.
कानून के प्रावधान के अनुसार इतनी हत्या करनेवाले आम आदमी को फांसी की सजा हाेती है, तो नक्सली को भी फांसी की सजा मिलनी चाहिए़ हमलोग राजतंत्र नहीं प्रजातंत्र में रहते हैं, इसलिए सबके लिए कानून एक जैसा होना चाहिए़ उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार कुंदन पाहन को विधायक बनाना चाहती है़ उन्होंने जनता से अपील की है कि इस तरह के निर्मम हत्या करनेवाले नक्सली को विधायक न बनाये़ं इसका विरोध करें, नहीं तो इस राज्य का कभी भला नहीं होगा़.
सरकार की पॉलिसी ठीक नहीं : सुनीता इंदवार ने कहा कि सरकारी की पॉलिसी ठीक नहीं है़ नक्सली को कभी भी महिमामंडित कर एक हीरो नहीं बनाना चाहिए़ कुंदन पाहन भी एक बड़ा अपराधी है, उसके साथ भी अपराधी की तरह व्यवहार होना चाहिए़ उन्होंने कहा कि वह शहर में रहती हैं, इसलिए उन्हें नौकरी और अन्य सुविधाएं मिल गयीं. सुदूर इलाके में कई शहीद की विधवाएं हैं, जिन्हें अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली है.
टीवीएस स्कूल, जगन्नाथपुर में शिक्षिका हैं सुनीता इंदवार
सुनीता इंदवार की नियुक्ति सामाजिक विज्ञान की शिक्षिका के रूप में बाल कृष्णा स्कूल रांची में हुई है़ वर्तमान में वह टीवीएस स्कूल, जगन्नाथपुर में प्रतिनियुक्ति पर हैं. शहीद फ्रांसिस इंदवार के तीन पुत्र हैं. अनिमेष, स्नातक कर रहा है, जबकि दो पुत्र अमितेश गोस्सनर कॉलेज व अभिषेक संत जेवियर्स कॉलेज में इंटर का छात्र है़
दिवंगत पूर्व विधायक की पत्नी बसुंधरा देवी ने कहा, मरनेवाले के परिवार को दिये एक लाख मारनेवाले को 15 लाख, यह कैसा न्याय
राज्य के मंत्री रहे तमाड़ के पूर्व विधायक दिवंगत रमेश सिंह मुंडा की पत्नी बसुंधरा देवी नक्सली कुंदन पाहन को पुलिस द्वारा सरेंडर कराये जाने से दुखी हैं. सात जुलाई 2008 को रमेश सिंह मुंडा की हत्या का आरोप नक्सली कुंदन पाहन पर है़ स्व मुंडा की पत्नी बसुंधरा देवी ने कहा कि पति की हत्या के बाद मेरे परिवार काे एक लाख रुपये दिये गये. थर्ड ग्रेड की नौकरी देने की बात कहते हैं. यह कैसा न्याय है कि मरनेवाले के परिवार को एक लाख रुपये दिये जाते हैं और मारनेवाले को 15 लाख का चेक मिलता है़ सरकार को यही न्याय करना था, तो उस समय केवल मेरे पति को ही क्यों मारा गया़ पूरे परिवार को मरवा दिया होता़ बसुंधरा देवी प्रभात खबर से बात कर रही थीं. वह गुस्से में कहती हैं : कुंदन पाहन को ऐसे माला पहनाया जा रहा है, जैसे वह आंदोलनकारी है़ ऐसा लग रहा है कि वह सरकार और प्रशासन का रिश्तेदार है़ पुलिस-प्रशासन के लोग दबाव में काम कर रहे हैं. प्रशासन के लोगों पर दबाव डाल कर सरेंडर कराने को कहा गया है़ वह कहती हैं कि न्याय के लिए 10 वर्ष गुजारा़ रमेश सिंह मुंडा जुझारू नेता थे, उनके साथ जनता थी़ अगर हमारे घर में खेतीबारी नहीं होती, हम अपने पैरों पर खड़े नहीं होते तो सरकार के एक लाख से क्या होता़ थर्ड ग्रेड की नौकरी अब तक सरकार के कागज में ही है़ पूरा इलाका कुंदन पाहन के डर और खौफ में समय गुजारा़ हत्या करना इसका काम था़ उसे आज सम्मानित किया जा रहा है़
सुरक्षा गार्ड भी वापस ले लिया, हमारा ख्याल नहीं
बसुंधरा देवी कहती हैं कि घर पर दो सुरक्षा गार्ड थे. वे पहले ही वापस ले लिये गये. इसी से पता चलता है कि सरकार काे हमारे सुरक्षा की कितनी चिंता है़ यह पूछने पर कि कुंदन पाहन ने राजनीति में जाने की मंशा जाहिर की है़ वह कहती हैं कि कल किसने देखा है़