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बड़ा खुलासा: जेल जाने से पूर्व 15 लाख के इनामी पूर्व माओवादी ने पूछताछ में पुलिस टीम को बताया, कुंदन पाहन ने लकड़ी व्यवसायी के पास रखे थे 1.75 करोड़ रुपये, पुलिस अफसरों ने हड़प लिये !

रांची: नक्सली कुंदन पाहन ने सरेंडर कर जेल जाने से पूर्व पूछताछ में बड़ा खुलासा किया है. पूछताछ में शामिल टीम के एक अधिकारी को उसने बताया कि आइसीआइसीआइ बैंक के कैश वैन से पांच करोड़ लूटकांड में 2.75 करोड़ रुपये उसे मिले थे. एक करोड़ उसने बाद के वर्षों में संगठन और खुद पर […]

रांची: नक्सली कुंदन पाहन ने सरेंडर कर जेल जाने से पूर्व पूछताछ में बड़ा खुलासा किया है. पूछताछ में शामिल टीम के एक अधिकारी को उसने बताया कि आइसीआइसीआइ बैंक के कैश वैन से पांच करोड़ लूटकांड में 2.75 करोड़ रुपये उसे मिले थे. एक करोड़ उसने बाद के वर्षों में संगठन और खुद पर खर्च कर दिया था. उसने 1.75 करोड़ रुपये खूंटी के एक लकड़ी व्यवसायी को सुरक्षित रखने लिए दिया था, ताकि वह बाद में उस रुपये का इस्तेमाल कर सके.

कैश वैन लूटकांड के बाद जब कुंदन पाहन की तलाश पुलिस सरगरमी से करने लगी, तब उसको कई माह तक व्यवसायी से संपर्क करने का मौका नहीं मिला. इस वजह से उसके रुपये व्यवसायी के पास पड़े रह गये. कुंदन पाहन ने पूछताछ में बताया है कि जब बाद में वह उससे मिला और अपने रुपये वापस मांगे, तब व्यवसायी ने कहा कि पुलिस को मुझ पर संदेह हो गया कि मेरा संपर्क तुमसे है. इसलिए पुलिस अफसरों ने मुझे पूछताछ करने के बुलाया था. पुलिस अफसर मुझसे अचानक पूछने लगे कि लूटकांड के पैसे तुम्हारे पास हैं. मुझे पुलिस ने कहा, तुम रुपये के बारे में बता दो कुछ नहीं होगा. इस पर व्यवसायी ने रुपये रखने की बात स्वीकार कर ली और पुलिस ने उसके पास रखे मेरे 1.75 करोड़ रुपये हड़प लिये. कुंदन पाहन ने कहा है कि उसे व्यवसायी ने बताया कि अब उसके पास सिर्फ 175 रुपये बचे हैं, बचे रुपये को व्यवसायी ने कुंदन पाहन को वापस कर दिया.

कुंदन पाहन ने पूछताछ में बताया है कि उक्त व्यवसायी तब लकड़ी का कारोबार करता था. वह अक्सर जंगल आया-जाया करता था. इस वजह से संगठन के लोगों के साथ उसका परिचय हो गया था. मैं भी उस पर विश्वास कर रुपये रखने के लिए दिये थे. जब पुलिस ने पूछा कि अब वह व्यवसायी क्या करता है. इस पर कुंदन पाहन ने बताया कि वह कुछ अफसरों के संपर्क में आकर रोड बनवाने का बड़ा ठेकेदार बन चुका है. उल्लेखनीय है कि आइसीआइसीआइ कैश वैन लूटकांड की घटना वर्ष 2008 में तमाड़ थाना क्षेत्र के सलगाडीह मोड़ के निकट सुप्रिया ढाबा के पास हुई थी. सरेंडर करने के बाद मीडिया के सामने कुंदन पाहन ने यह भी बताया था कि घटना को अंजाम देने में वह 300 नक्सलियों के साथ शामिल था. घटन की योजना आशुतोष और विपुल ने तैयार की थी. रुपये सेंट्रल कमेटी के विपुल और संदीप दा को मिले थे.

पिछले सात साल में 150 नक्सलियों ने किया सरेंडर, एक को भी सजा नहीं दिला सकी पुलिस

कुंदन पाहन को सरेंडर कराने के बाद उठे विवाद में विभिन्न संगठनों के द्वारा उसे कड़ी सजा देने की मांग की जा रही है. हमने पुलिस के समक्ष सरेंडर करनेवाले नक्सलियों के बारे में पड़ताल की, तो पता चला कि अब तक 150 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. पुलिस इनमें से किसी को भी आजतक सजा नहीं दिला पायी है.

रांची: पिछले सात साल में झारखंड पुलिस के समक्ष 150 नक्सलियों-उग्रवादियों ने सरेंडर किया. अब तक एक भी नक्सली या उग्रवादी को पुलिस किसी भी मामले में सजा नहीं दिला सकी. पुलिस मुख्यालय द्वारा समय-समय पर जारी किये गये आंकड़े के मुताबिक 152 में से 68 नक्सलियों ने पिछले डेढ़ साल में सरेंडर किया. वर्ष 2016 में 38 और वर्ष 2017 में 30 नक्सलियों-उग्रवादियों ने सरेंडर किया. सरेंडर करनेवाले नक्सलियों-उग्रवादियों के खिलाफ दर्ज मामलो में सजा दिलाने की कोशिश नहीं की गयी, जिस कारण कई नक्सली-उग्रवादी सभी मामलों में बरी होनेवाले हैं. नक्सल सरेंडर पॉलिसी में साफ लिखा हुआ है कि सरेंडर करनेवाले के खिलाफ दर्ज मामलों को विधि के तहत निष्पादित किया जायेगा. सरेंडर करनेवाले नक्सलियों के मामले के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाये, लेकिन अब तक किसी भी जिला में एक भी फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन नहीं किया गया है. वर्ष 2015 में पुलिस ने नक्सली चश्मा विकास को सरेंडर कराया था. पुलिस के अधिकारियों ने चश्मा विकास के ऊपर दर्ज मामले को वापस करने का अनुरोध पत्र लातेहार कोर्ट में दिया था. कोर्ट ने इस अनुरोध को यह कह कर ठुकरा दिया था कि यह असंवैधानिक है.

जिन बड़े नक्सलियों ने सरेंडर किया

वर्ष 2015 : लालदेव सिंह, अनिल सिंह, घुरा नाग, विमल गुड़िया, शंकर पासवान, सब जोनल कमांडर महेश यादव उर्फ बनारसी उर्फ रघुवंश, नरेंद्र यादव उर्फ नारे, सब जोनल कमांडर गजेंद्र साव उर्फ गज्जु साव, एरिया कमांडर कुलदीप मेहता.

वर्ष 2016 : छोटा विकास उर्फ चश्मा, 15 लाख का इनामी बड़ा विकास.

वर्ष 2017 : 25 लाख का इनामी कान्हू मुंडा, 15 लाख का इनामी नकुल यादव, पांच लाख का इनामी मदन यादव, पांच लाख का इनामी डिंबा पाहन, 15 लाख का इनामी कुंदन पाहन.

नक्सली जयप्रकाश अदालत से रिहा

एजेसी रंजना अस्थाना की अदालत ने कुंदन पाहन दस्ता के नक्सली जयप्रकाश दुबे को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया. जयप्रकाश दुबे पर बुंडू निवासी संतोषी देवी का अपहरण अौर दुष्कर्म का आरोप था. संतोषी देवी की जमीन पर कुछ लोगों की नजर थी. जयप्रकाश ने संतोषी की जमीन बचाने की बात कही. फिर एक दिन उसका अपहरण कर जंगल में ले गया अौर उसके साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद उसने संतोषी को दस्ता में शामिल भी कर लिया. इस मामले में बुंडू थाना में 2002 में मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने 2011 में चार्जशीट दाखिल की थी. इसमें जयप्रकाश के अलावा नक्सली कुंदन पाहन, अशोक कुमार, आरती कुमारी, मोती सिंह, सुशील सिंह मुंडा, एस मुंडा को आरोपी बनाया गया था.

सरेंडर पॉलिसी का नियम

सरेंडर करनेवाले उग्रवादी के विरुद्ध लंबित जघन्य मामलों को विधि के अनुसार निष्पादित किया जायेगा. हल्के मामलों को प्ली बारगेनिंग के तहत निष्पादन किया जा सकता है.

सरेंडर करनेवाले नक्सली को सरकार नि:शुल्क अधिवक्ता उपलब्ध करायेगी.

आवश्यक शर्तें पूरा करने पर किसी मामले में अनुमोदक बनाया जा

सकता है.

लंबित मुकदमा को निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित किया जायेगा.

हर वर्ष इस पॉलिसी की समीक्षा की जायेेगी.

कुंदन काे सरेंडर कराने का तरीका गलत : झाविमो

रांची. झाविमो के महासचिव बंधु तिर्की ने कहा है कि नक्सली कुंदन पाहन को राज्य सरकार ने महिमामंडित किया़ हमारी पार्टी इसकी भर्त्सना करती है़ कुंदन पाहन के सरेंडर का खेल खेला गया़ पुलिस के अधिकार उससे गले मिले. इससे राज्य को कुछ हासिल नहीं हुआ़ कुंदन पाहन को पुलिस चार दिन तक घुमाती रही, एक हथियार नहीं मिला़

श्री तिर्की मंगलवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे़ उन्होंने कहा कि सरकार के सरेंडर कराने का तरीका गलत था़ इस तरह के खतरनाक कदम से समाज में गलत संदेश जाता है़ सरकार अपनी नाकामी छुपा रही है़ सरकार ने राज्य के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह सबकुछ किया है़ कुंदन पाहन की जगह जेल के अंदर है़ उन्होंने कहा कि सरेंडर से साफ हो गया है कि पुलिस प्रशासन कमजोर है़ इसलिए इस तरह का काम हो रहा है़ गरीब के लिए लड़नेवालों को जेल में डाला जा रहा है और खतरनाक नक्सली को महिमामंडित किया जा रहा है. श्री तिर्की ने कहा कि हाल में ही हाइकोर्ट ने रांची-जमशेदपुर सड़क निर्माण को लेकर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि इस राज्य में सबकुछ मैनेज होता है़ यह सरकार के कामकाज पर गंभीर टिप्पणी है़ संबंधित विभाग मुख्यमंत्री के पास है़ सरकार को इसका जवाब देना चाहिए़ राज्य में विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है़ उन्होंने कहा कि जनता के सवालों पर झाविमो का संघर्ष जारी रहेगा़ हम सड़क से सदन तक विरोध करेंगे़

विकास मुंडा का अनशन जारी, केंद्रीय गृहमंत्री को लिखा पत्र

शहादत पर किया जा रहा है सौदा लगाम लगे, सीबीआइ जांच करायें

नक्सली कुंदन पाहन के सरेंडर के खिलाफ आजसू विधायक विकास मुंडा का अनशन तीसरे दिन भी जारी रहा़ अनशन के कारण विधायक श्री मुंडा का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है़ मंगलवार की देर शाम चिकित्सकों की टीम ने जांच की़ विधायक का ब्लड प्रेसर कम बताया गया़ इसके साथ ही शरीर में पानी की कमी होने की वजह से स्लाइन चढ़ाने की सलाह दी गयी़

इधर, आजसू कार्यकर्ता तेज धूप में डटे रहे़ पार्टी विधायक रामचंद्र सहिस, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो, दिवगंत डीएसपी प्रमोद कुमार की भाभी और पुलिस मेंस एसोसिएशन के राजेश पांडेय के नेतृत्व में पदाधिकारी मिलने पहुंचे़ इस बीच अनशन पर बैठे विधायक श्री मुंडा ने केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिख कर पूरे मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है़ गृहमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि कुंदन पाहन ने मेरे पिता पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा, एसडीपीओ प्रमोद कुमार, इस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या करने समेत 128 मामले का आरोपी है़ ऐसे नक्सली के कारण न जाने कितने लोगों की जिंदगी गर्त में चली गयी़ कई महिलाएं विधवा हो गयीं. ऐसे नक्सली को मार गिराने के बजाय पुलिस ने उसके सामने घुटने टेक दिये़ पत्र में विधायक ने कहा है कि यह राष्ट्रवादी सरकार शहीदों की शहादत पर हो रहे सौदे पर लगाम लगाये़ इससे मृतक की आत्मा को शांति मिलेगी़ विधायक ने केंद्रीय गृहमंत्री को बताया कि नक्सली को नायक के रूप में प्रस्तुत किया गया़ उसे 15 लाख का चेक दिया गया़ सरकार की नीति खौफ पैदा करनेवाला संदेश दे रही है़ अनशन स्थल पर विधायक श्री सहिस के अलावा डॉ देवशरण भगत, रोशन लाल चौधरी, मुनचुन राय, ललित ओझा, अनिल टाइगर, ज्योति चौधरी, निक्की शर्मा, वनमाली मंडल, आशुतोष गोस्वामी, मेरी तिर्की, उमेश महतो, हरिहर महतो, प्रदीप कुमार मुंडा, दिलीप साहू, असलम अंसारी, मोनू जायसवाल, बासुदेव सेठ, संटू जायसवाल, मलिन महतो सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे.

किस पूर्व सीएम का संरक्षण था, बतायें : सहिस

आजसू पार्टी के विधायक व प्रधान महासिचव रामचंद्र सहिस ने कहा है कि सरकार बताये कि नक्सली कुंदन पाहन का किस पूर्व सीएम से नजदीकी संबंध था़ इसका भी खुलासा होना चाहिए़ उन्होंने कहा है कि कुंदन पाहन को लेकर जितनी बातें सामने आ रही हैं, उससे सरकार की निष्पक्षता और नक्सल विरोधी अभियान चलाने के दावे पर सवाल उठ रहे हैं. कुंदन पाहन ने जिस अंदाज में भाषण दिया, उससे भी यही लगता है कि वह किसी के संरक्षण में ही इतना उत्साह दिखा रहा था़ आम लोगों के बीच भी यह चर्चा है कि उसे एक पूर्व सीएम के इशारे पर पुलिस ने सरेंडर कराया़ विधायक श्री सहिस ने विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव को पत्र लिख कर पार्टी विधायक विकास मुंडा के अनशन की जानकारी दी है़ स्पीकर से पूरे मामले मेें संज्ञान लेने का आग्रह किया है़

सरेंडर नीति का नहीं, हत्यारे को हीरो बनाने का विरोध : मेंस एसोसिएशन

झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मंगलवार को केंद्रीय कार्यालय में बैठक की. इस दौरान फैसला लिया कि हत्यारे नक्सलियों को हीरो बनाने का विरोध किया जायेगा. बैठक के बाद एसोसिएशन के महामंत्री रमेश उरांव ने कहा कि सरकार की सरेंडर पॉलिसी का कोई विरोध नहीं है. सरेंडर पॉलिसी बेहतर है. जिस तरह से हमारे जवानों की हत्या करनेवाले को महिमामंडित किया जा रहा है, यह गलत है. ऐसा करनेवालों का एसोसिएशन विरोध करेगा. बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि बुधवार को एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल डीजीपी और गृह सचिव को अपना पत्र देगा और मांग करेगा कि नक्सलियों को इस तरह महिमामंडित नहीं किया जाये.

सरकार की आत्मसमर्पण नीति के विरोध में बुंडू बंद, व्यवसायियों ने भी किया समर्थन
हार्डकोर नक्सली कुंदन पाहन का पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किये जाने के विरोध में समाजसेवी संगठन जय हो ग्रुप ने बुंडू बंद कराया. संगठन ने राज्य सरकार की आत्मसमर्पण की नीति का भी विरोध किया है. बुंडू नगर में मंगलवार की सुबह मोटरसाइकिल जुलूस निकाला गया. नगर के व्यवसायियों ने भी बंद का समर्थन किया. सुबह से ही बुंडू नगर के सभी प्रतिष्ठान बंद रहे. लोगों का आवागमन नगण्य रहा. रांची-टाटा मार्ग को बंद से मुक्त रखा गया था. लोगों का कहना है कि सरकार राज्य में अमन, चैन और शांति की बात कहती है, तो आत्मसमर्पण की नीति भी बदलनी चाहिए, अन्यथा राज्य की स्थिति बदतर हो जायेगी. बेरोजगार युवक मुख्यधारा से भटक जायेंगे. नक्सली को उचित सजा दिलाने के बजाय उसे लाखों रुपये का चेक भेंट किया जा रहा है.

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