डोरंडा थाना क्षेत्र के साउथ ऑफिस पाड़ा निवासी जितरंजन साव के घर में बुधवार देर रात शॉर्ट सर्किट से आग लग गयी. परिवार के लोग किसी तरह जान बचा कर घर से बाहर भागने लगे. उसी दौरान घर में रखे दो एलपीजी सिलिंडरों में ब्लास्ट हो गया, जिससे पूरा घर ध्वस्त हो गया. धमाका इतना जोरदार था कि आसपास के घरों की खिड़कियों के शीशे टूट गये. हादसे में घर के मालिक 84 वर्षीय जितरंजन साव की मौत हो गयी. उनका शव गुरुवार सुबह मजदूरों की मदद से मलबे से बाहर निकाला गया.
रांची: जितरंजन साव के रिश्तेदार दिनेश सोनी ने बताया कि हादसा बुधवार रात करीब 1.30 बजे हुआ. उस दौरान घर के एक कमरे में जितरंजन साव सो रहे थे. वहीं परिवार अन्य सदस्य अलग-अलग कमरे में सोये हुए थे. तभी किसी कमरे की वायरिंग में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गयी और पूरा कमरा धुएं से भर गया. जब घरवालों को आग लगने का पता चला तो जितरंजन साव के पुत्र हेमंत कुमार व उसकी पत्नी सुनीता, देवराज व उसकी पत्नी श्वेता, शिवराज कुमार और दो बच्चे निम्मी व शालू सहित परिवार के आठ सदस्य जान बचा कर घर से बाहर भागे. लेकिन, जितरंजन साव अपने कमरे ही फंस रह गये. उसी दौरान घर में एलपीजी के दो सिलिंडरों में धमाका हो गया. धमाका इतना जोरदार था कि पूरे घर की छत उड़ गयी और देखते ही देखते घर मलबे में तब्दील हो गया.
मजदूरों की मदद से मलबा हटा निकाला गया शव
घटना की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम वहां पहुंची. सुबह 4:00 बजे आग पर काबू पाया गया. आग और धमाके की वजह से पूरा घर बरबाद हो गया. एक बाइक भी जल कर बरबाद हो गयी. गुरुवार सुबह मजदूरों की मदद से घर का मलबा हटा कर चितरंजन साव का शव क्षतिग्रस्त अवस्था में बाहर निकाला गया. पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
धमाके से आसपास के घरों की खिड़कियों के शीशे टूटे
सिलिंडरों में हुआ धमाका इतना जोरदार था कि आसपास के घरों की खिड़कियों के शीशे टूट गये. लोग घरों से बाहर निकल आये़ अगर समय रहते आग पर काबू नहीं पाया जाता, तो आसपास के घर भी इसकी चपेट में आ सकते थे.
दहशत में दिखे परिवार के लोग
पुलिस ने परिजनों के बयान पर केस दर्ज कर लिया है. परिवार के सदस्य घटना के बाद काफी दहशत में दिख रहे थे. उन्होंने बताया कि धमाका काफी जोरदार था, जिसकी वजह से सभी डर गये. यह सब इतनी जल्दी हुआ कि परिवार के किसी सदस्य को जितरंजन साव काे बचाने का माैका ही नहीं मिला. अगर समय रहते उन्हें घर से बाहर निकाल लिया गया होता, तो उनकी जान बच सकती थी.