कार्यकारी महिला छात्रावास में नहीं है महिलाओं के लिए जगह
बोकारो: बोकारो में राज्य सरकार की नौकरी ज्वाइन करने से पहले महिला कर्मचारी रहने का इंतजाम करके आये. ऐसा नहीं होने पर आपकों कई मुश्किलों को सामना करना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कार्यकारी महिला छात्रावास में महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है. छात्रावास में विभिन्न विभाग के 13 कार्यालय स्थापित कर दिया […]
बोकारो: बोकारो में राज्य सरकार की नौकरी ज्वाइन करने से पहले महिला कर्मचारी रहने का इंतजाम करके आये. ऐसा नहीं होने पर आपकों कई मुश्किलों को सामना करना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कार्यकारी महिला छात्रावास में महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है. छात्रावास में विभिन्न विभाग के 13 कार्यालय स्थापित कर दिया गया है. इतना ही नहीं छात्रावास के एक हिस्सा (कांफ्रेंस रूम) का इस्तेमाल स्टोर रूम के रूप में किया जा रहा है. छात्रावास की देखरेख की जिम्मेदारी जिला समाज कल्याण विभाग के हाथों में है.
58 लाख की लागत से बना है छात्रावास : कार्यकारी महिला छात्रावास का मकसद बोकारो में काम करने वाली महिला को छत मुहैया कराना था. 58 लाख 89 हजार की लागत से वर्ष 2005 में छात्रावास का निर्माण कराया गया. लेकिन, छात्रावास कभी भी कार्यकारी महिला को छत मुहैया कराने में सफल नहीं हो सका. 100 बेड की क्षमता वाले छात्रावास में शुरुआती दौर में कस्तूरबा विद्यालय का संचालन किया गया. 2005-07 तक गोमिया, पेटरवार व चंदनकियारी प्रखंड के बच्चियों को यहां शिक्षा दी गयी. लेकिन, इन प्रखंडों में कस्तूरबा विद्यालय का भवन तैयार हो जाने के बाद कार्यकारी महिला छात्रावास का इस्तेमाल का नजरिया ही बदल गया.
कार्यालय और गोदाम
छात्रावास में कार्यकारी महिला को स्थान तो नहीं मिला, लेकिन विभिन्न विभाग के कार्यालयों को जगह जरूर मिल गयी. छात्रावास में जिला बाल कल्याण समिति, राष्ट्रीय बचत, भविष्य निधि, जिला साक्षरता समिति, ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल, बाल विकास परियोजना चास शहरी, बाल संरक्षण, निर्वाचन समेत 13 विभाग के कार्यालय हैं. इतना ही नहीं कल्याण विभाग की ओर से संचालित आंगनबाड़ी एमडीएम का गोदाम भी छात्रावास की शोभा बढ़ा रहा है. सबसे दिलचस्प यह कि छात्रावास में जिला समाज कल्याण विभाग के लिए छात्रावास में सबसे छोटी जगह मिली है.
उठते रहे हैं मामले
छात्रावास को कार्यालय मुक्त बनाने के लिए विभिन्न मंचों से आवाज उठती रही है. 17 जनवरी 2015 को जिला अनुश्रवण समिति की बैठक में छात्रावास को खाली कराने का निर्णय लिया गया था. इसके बाद विभिन्न दल के राजनेताओं ने भी इस मुद्दे को लेकर उत्साह दिखाया. बावजूद इसके छात्रावास की किस्मत ज्यों की त्यों बनी रही. छात्रावास में स्थापित विभिन्न विभाग के अधिकारियों की माने तो कार्यालय का कोई विकल्प नहीं है. यहां से कार्यालय हटा कर कहां स्थापित किया जाये, इस सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है. जगह की कमी ही छात्रावास में कार्यालय संचालन को मजबूर करता है.
इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. जल्द ही विभाग के लोगों से जानकारी प्राप्त करूंगी. मामला गंभीर है. उच्च अधिकारियों से इस संबंध में बात होगी. उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार कार्रवाई होगी.
डॉ सुमन गुप्ता, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी